केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में वर्चुअल माध्यम से जीएसटी परिषद की 48वीं बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी के अलावा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (विधानसभा युक्त) के वित्त मंत्रियों और वित्त मंत्रालय एवं राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
जीएसटी परिषद ने अन्य बातों के साथ-साथ जीएसटी कर दरों में बदलाव, व्यापार में सुविधा के उपायों और जीएसटी में अनुपालन को सुव्यवस्थित करने के उपायों से संबंधित निम्नलिखित सिफारिशें की हैं:
कर की दरें::
क्र.
सं. |
विवरण | पहले | अब |
वस्तुएं | |||
1. | चिल्का सहित दालों की भूसी और चुन्नी/चूरी, खांडा सहित सान्द्र | 5% | शून्य |
2. | मोटर स्पिरिट (पेट्रोल) में मिलाने के लिए रिफाइनरियों को आपूर्ति किया गया इथाइल एल्कोहल | 18% | 5% |
2. यह भी निर्णय लिया गया कि मेंथा अर्वेंसिस की आपूर्ति को रिवर्स चार्ज व्यवस्था के तहत शामिल किया जाए जैसा कि मेंथा ऑयल के लिए किया गया है।
3. यह स्पष्ट करने का निर्णय लिया गया कि:
• रब (रब-सलावत) सीटीएच 1702 के तहत वर्गीकृत है जिस पर 18% की दर से जीएसटी लगता है।
• एक्सट्रूज़न की प्रक्रिया का उपयोग करके तैयार फ्रायम्स विशेष रूप से सीटीएच 19059030 के अंतर्गत आते हैं और उस पर 18% की दर से जीएसटी लगता है।
• 22% क्षतिपूर्ति उपकर की उच्च दर इन सभी चार शर्तों को पूरा करने वाले मोटर वाहन, यथा यह लोकप्रिय रूप से एसयूवी के रूप में जाना जाता है, इसकी इंजन क्षमता 1500 सीसी से अधिक है, लंबाई 4000 मिमी से अधिक है और 170 मिमी या उससे अधिक की ग्राउंड क्लीयरेंस है, पर लागू होती है।
• पेट्रोलियम परिचालन के लिए अधिसूचना संख्या 1/2017-सीटीआर की अनुसूची I के तहत 5% की निम्न दर श्रेणी में आयात की जाने वाली वस्तुओं पर 5% की कम दर लागू होगी और 12% की दर केवल तभी लागू होगी जब सामान्य दर 12% से अधिक होगी।
4. एक राहत उपाय के रूप में परिषद ने ‘चिल्का सहित दालों की भूसी और चुन्नी/चूरी, खांडा सहित सान्द्र’ पर जीएसटी के संबंध में परिपत्र (3.08.2022) जारी करने की तारीख से शुरू होने वाली मध्यवर्ती अवधि को वास्तविक शंकाओं के कारण “जैसा है” के आधार पर नियमित करने का निर्णय लिया।
5. यदि कोई आवासीय घर एक पंजीकृत व्यक्ति को किराये पर दिया जाता है, तो उस पर कोई जीएसटी देय नहीं है, बशर्ते कि यह अपनी व्यक्तिगत क्षमता में अपने निवास के रूप में उपयोग करने के लिए, और अपने स्वयं के लिए, न कि अपने व्यवसाय के कारण किराये पर दिया जाता है।
6. रुपे डेबिट कार्ड को बढ़ावा देने की योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा बैंकों को दिया गया प्रोत्साहन और कम मूल्य वाले भीम-यूपीआई लेन-देन सब्सिडी जैसे हैं, अत: ये कर योग्य नहीं हैं।
व्यापार को सुगम बनाने के उपाय
1. जीएसटी के तहत कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाना: परिषद ने सिफारिश की है कि –
• जीएसटी के तहत अभियोजन शुरू करने के लिए कर राशि की न्यूनतम सीमा एक करोड़ रुपये से बढ़ा कर दो करोड़ रुपये करना, जिसमें माल या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति के बिना चालान जारी करने के अपराध शामिल नहीं होंगे;
• कंपाउंडिंग राशि को कर राशि के 50 प्रतिशत से 150 प्रतिशत की वर्तमान सीमा से घटाकर 25 प्रतिशत से 100 प्रतिशत की सीमा तक लाना;
• सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 की उप-धारा (1) के खंड (जी), (जे) और (के) के तहत निर्दिष्ट कुछ अपराधों को गैर-अपराध घोषित करना, जैसे-
– किसी अधिकारी को उसके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालना या रोकना;
– महत्वपूर्ण साक्ष्य को जानबूझकर विकृत करना;
– जानकारी प्रदान करने में विफलता।
2. गैर-पंजीकृत व्यक्तियों को रिफंड: गैर-पंजीकृत खरीदारों द्वारा वहन किए गए कर की वापसी के दावे के लिए कोई प्रक्रिया नहीं है, ऐसे मामलों में जहां सेवाओं की आपूर्ति के लिए अनुबंध/समझौता, जैसे फ्लैट/घर का निर्माण और दीर्घकालिक बीमा पॉलिसी रद्द कर दी जाती है और समय समाप्त हो जाता है संबंधित आपूर्तिकर्ता द्वारा क्रेडिट नोट जारी करने की अवधि समाप्त हो गई है। परिषद ने ऐसे मामलों में गैर-पंजीकृत खरीदारों द्वारा रिफंड के आवेदन को दाखिल करने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए एक परिपत्र जारी करने के साथ सीजीएसटी नियम, 2017 में संशोधन की सिफारिश की।
3. सूक्ष्म उद्यमों के लिए ई-कॉमर्स की सुविधा: जीएसटी परिषद ने अपनी 47वीं बैठक में गैर-पंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं और कंपोजिशन करदाताओं को कुछ शर्तों के अधीन ई-कॉमर्स ऑपरेटरों (ईसीओ) के माध्यम से माल की राज्य के भीतर आपूर्ति करने की अनुमति देने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। परिषद ने संबंधित अधिसूचना जारी करने के साथ-साथ जीएसटी अधिनियम और जीएसटी नियमों में संशोधनों को मंजूरी दे दी है, ताकि उन्हें सक्षम बनाया जा सके। इसके अलावा, पोर्टल पर आवश्यक कार्यक्षमता के विकास के साथ-साथ ईसीओ द्वारा तैयारियों के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए आवश्यक समय पर विचार करते हुए, परिषद ने सिफारिश की है कि इस योजना को 01.10.2023 से लागू किया जा सकता है।
4. कुछ लेन-देन/गतिविधियों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने के लिए 01.02.2019 से सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की अनुसूची III में पैरा 7, 8 (ए) और 8 (बी) शामिल किए गए थे, जैसे कि कर योग्य क्षेत्र के बाहर एक स्थान से दूसरे कर योग्य क्षेत्र के बाहर वाले स्थान पर माल की आपूर्ति, समुद्र के पार दूरस्थ बिक्री और अपने स्थान की ओर से स्वीकृति से पहले गोदामों में माल की आपूर्ति। 01.07.2017 से 31.01.2019 की अवधि के दौरान ऐसे लेन-देन/गतिविधियों की करदेयता के संबंध में संदेह और अस्पष्टता को दूर करने के लिए, परिषद ने उक्त पैरा को 01.07.2017 से प्रभावी बनाने की सिफारिश की है। हालांकि, भुगतान किए गए कर का कोई रिफंड उन मामलों में उपलब्ध नहीं होगा, जहां 01.07.2017 से 31.01.2019 की अवधि के दौरान ऐसे लेन-देन/गतिविधियों के संबंध में पहले से ही कोई कर चुकाया गया हो।
5. परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के नियम 37 के उप-नियम (1) को पूर्वव्यापी प्रभाव से 01.10.2022 से संशोधित करने की सिफारिश की है, ताकि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 के दूसरे प्रावधान के अनुसार केवल आनुपातिक रूप से देय कर सहित आपूर्ति के मूल्य की तुलना में आपूर्तिकर्ता को भुगतान नहीं की गई राशि के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिवर्सल किया जा सके।
6. परिषद ने सीजीएसटी नियम, 2017 में नियम 37ए को शामिल करने की सिफारिश की ताकि एक पंजीकृत व्यक्ति द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट को एक निर्दिष्ट तिथि तक कर का भुगतान न करने की स्थिति में इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिवर्सल के लिए तंत्र और इस तरह क्रेडिट के पुन: लाभ के लिए तंत्र निर्धारित किया जा सके, अगर आपूर्तिकर्ता बाद में कर का भुगतान करता है। इससे सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16(2)(सी) के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने की शर्त का अनुपालन करने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
7. सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 108 के उप-नियम (3) और नियम 109 में संशोधन किया जाएगा ताकि अपील किए गए आदेश की प्रमाणित प्रति जमा करने और अपीलीय प्राधिकारी द्वारा अंतिम पावती जारी करने की आवश्यकता पर स्पष्टता प्रदान की जा सके। इससे अपीलों पर समय पर कार्रवाई करने में सुविधा होगी और अपीलकर्ताओं के लिए अनुपालन का बोझ कम होगा।
8. सीजीएसटी नियमावली, 2017 में नियम 109सी और फॉर्म जीएसटी एपीएल-01/03 डब्ल्यू को शामिल किया जाएगा ताकि निश्चित निर्दिष्ट चरण तक अपील के आवेदन को वापस लेने की सुविधा प्रदान की जा सके। इससे अपीलीय अधिकारियों के स्तर पर मुकदमों को कम करने में मदद मिलेगी।
9. यह स्पष्ट करने के लिए इसका परिपत्र जारी किया जाएगा कि बीमा कंपनियों द्वारा बीमाधारक को दिया जाने वाला नो क्लेम बोनस बीमा सेवाओं के मूल्यांकन के लिए स्वीकार्य कटौती है।
10. उन करदाताओं के संबंध में जीएसटी कानून के तहत वैधानिक देय राशि के निराकरण के मुद्दे को स्पष्ट करने के लिए इस आशय का परिपत्र जारी किया जाएगा, जिसके लिए दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत कार्यवाही को अंतिम रूप दिया गया है। सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 161 और फॉर्म जीएसटी डीआरसी-25 भी इसे सुगम बनाने के लिए संशोधित किया जाना है।
11. सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 12 के उप-नियम (3) को संशोधित किया जाएगा ताकि पंजीकृत व्यक्तियों को उनके अनुरोध पर उनके पंजीकरण को रद्द करने के लिए सुविधा प्रदान की जा सके, जिन्हें सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 52 के तहत स्रोत पर कर एकत्र करना या धारा 51 के तहत स्रोत पर कर कटौती करना आवश्यक है।
12. आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 12 की उप-धारा (8) के प्रावधान के अनुसार इस आशय का परिपत्र जारी किया जाएगा कि किस प्रकार की आपूर्ति के लिए माल के परिवहन की सेवाओं की आपूर्ति के स्थान से संबंधित मुद्दों को स्पष्ट करने और प्राप्तकर्ता को इनपुट टैक्स क्रेडिट की उपलब्धता संभव हो सके। यह भी सिफारिश की गई है कि आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 12 की उप-धारा (8) के प्रावधान को हटा दिया जाए।
13. विभिन्न मुद्दों पर अस्पष्टता और कानूनी विवादों को दूर करने के लिए निम्नलिखित परिपत्र जारी करना, इस प्रकार बड़े पैमाने पर करदाताओं को लाभान्वित करना:
अ. वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान फॉर्म जीएसटीआर-2ए की तुलना फॉर्म जीएसटीआर-3बी में प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट में अंतर वाले मामलों में इनपुट टैक्स क्रेडिट के सत्यापन की प्रक्रिया।
ब. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 75 की उप-धारा (2) के संदर्भ में मांग के पुनर्निर्धारण के तरीके को स्पष्ट करना।
स. एक इकाई के संबंध में ई-चालान की प्रयोज्यता के संबंध में स्पष्टीकरण।
जीएसटी अनुपालन को सुव्यवस्थित करने के उपाय
(14) बायोमेट्रिक के माध्यम से ‘आधार’ सत्यापन और पंजीकरण आवेदकों के जोखिम-आधारित भौतिक सत्यापन के लिए गुजरात राज्य में एक पायलट के संचालन का प्रस्ताव। इसके लिए सीजीएसटी विनियम, 2017 के नियम 8 और नियम 9 में संशोधन किये जायेंगे। इससे फर्जी और जाली पंजीकरणों की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
(15) पैन-नं से जुड़े मोबाइल नंबर और ई-मेल पते (सीबीडीटी डेटाबेस से प्राप्त) को फॉर्म जीएसटी आरईजी-01 में दर्ज किया जायेगा और ऐसे पैन-नं से जुड़े मोबाइल नंबर और ई-मेल पते पर पंजीकरण के समय ओटीपी-आधारित सत्यापन किया जायेगा, ताकि बेईमान तत्वों द्वारा उक्त पैन धारक की जानकारी के बिना, व्यक्ति के पैन के दुरुपयोग को प्रतिबंधित किया जा सके।
(16) सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 37, 39, 44 और 52 में संशोधन किये जायेंगे, ताकि प्रासंगिक रिटर्न/विवरण दाखिल करने की नियत तारीख से; रिटर्न/विवरण दाखिल करने की अधिकतम अवधि को तीन साल तक के लिए सीमित किया जा सके।
(17) सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 52 और धारा 9(5) के तहत ईसीओ के माध्यम से की गई आपूर्ति के विवरण की रिपोर्टिंग और सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 9(5) के तहत आपूर्तिकर्ता द्वारा की गई आपूर्ति के सन्दर्भ में ईसीओ द्वारा रिपोर्टिंग प्रदान करने के लिए फॉर्म जीएसटीआर-1 में संशोधन किया जाएगा।
(18) नियम 88सी और फॉर्म जीएसटी डीआरसी-01बी को सीजीएसटी विनियम, 2017 में शामिल किया जाएगा, ताकि करदाता को फॉर्म जीएसटीआर-1 और फॉर्म जीएसटीआर-3बी में रिपोर्ट की गई देनदारी व टैक्स अवधि की देनदारी के बीच का अंतर एक निर्दिष्ट राशि और/ या एक निर्दिष्ट प्रतिशत से अधिक है, इस अंतर के बारे में या तो अंतर देयता का भुगतान करने या अंतर की व्याख्या करने में सक्षम बनाने के लिए कॉमन पोर्टल द्वारा सूचना दी जा सके। इसके अलावा, सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 59 के उप-नियम (6) में खंड (डी) को जोड़ा जाएगा, ताकि बाद की कर अवधि के लिए फॉर्म जीएसटीआर-1 की प्रस्तुति को प्रतिबंधित किया जा सके, यदि करदाता द्वारा न तो सूचना में निर्दिष्ट राशि जमा की गयी है और राशि का भुगतान न किए जाने के कारणों को स्पष्ट करते हुए न ही कोई जबाव प्रस्तुत किया है। यह करदाताओं को कर अधिकारियों के हस्तक्षेप के बिना, उनके द्वारा रिपोर्ट की गई ऐसी देनदारियों में अंतर का भुगतान/व्याख्या करने में सुविधा प्रदान करेगा।
(19) आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 2(16) के तहत “गैर-कर योग्य ऑनलाइन प्राप्तकर्ता” की परिभाषा में संशोधन और आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 2(17) के तहत “ऑनलाइन सूचना और डेटाबेस पहुंच या पुनर्प्राप्ति सेवाएं (ओआईडीएआर)” की परिभाषा में संशोधन किए जायेंगे, ताकि ओआईडीएआर सेवाओं के कराधान से संबंधित व्याख्या से जुड़े मुद्दों और मुकदमों को कम किया जा सके।
नोट: इस विज्ञप्ति में जीएसटी परिषद की सिफारिशों को हितधारकों की जानकारी के लिए सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें प्रमुख बातों के साथ विभिन्न निर्णय भी शामिल हैं। इन्हें प्रासंगिक परिपत्रों/अधिसूचनाओं/कानून संशोधनों के माध्यम से प्रभावी किया जाएगा, जिनमें कानून की शक्ति होगी।