केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में स्वर्ण भारत ट्रस्ट की 20वीं वर्षगांठ समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में सार्वजनिक जीवन के हर व्यक्ति को किसी भी छोटी सी ही गतिविधि के ज़रिए किस प्रकार अपने मूल के साथ जुड़े रहना चाहिए, इसका एक बहुत अच्छा उदाहरण वेंकैया नायडू जी ने प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू एक बेहद अनुशासित व्यक्ति हैं और उन्होंने संविधान की भावनाओं का सम्मान करते हुए सभी राजनीतिक गतिविधियों से स्वयं को अलग कर लिया है। वेंकैया जी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए हमारी पार्टी बैक टू बेसिक की ओर गई और वहां से इसका ग्राफ़ ऊपर की ओर बढ़ना शुरू हुआ। उन्होंने बहुत अनुशासित तरीक़े से पार्टी को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। किसी भी व्यक्ति के लिए एक ग़रीब किसान परिवार में जन्म लेकर भारत का उपराष्ट्रपति बनना, अनेक विभागों का मंत्री बनना और हर जगह अपना योगदान देना, ये एक बहुत बड़ी बात है। उनकी पूरी यात्रा में जो भी भूमिका उन्हें मिली उसके हिसाब से और अनुशासित तरीक़े से उन्होंने अपना सार्वजनिक जीवन जिया। संविधान द्वारा बनाई गई व्यवस्था को अनुशासित तरीक़े से मानना हमारे लोकतंत्र को टिकाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आपातकाल के दौरान उन्हें जेल में भी रहना पड़ा और वर्ष 1993 में वे हमारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बने और उन्होंने मुद्दों को लोगों के सामने रखने की कला दर्शाई। 1998 में वे राज्यसभा सांसद बने और चार बार राज्यसभा सांसद के नाते उन्होंने सदन में अनेक महत्वपूर्ण चर्चाओं में भाग लिया। जब अटल जी की सरकार में मंत्री बनने का मौक़ा आया तो उन्होंने स्वयं ग्रामीण विकास मंत्रालय चुना और ये भारत के गांवों के विकास के प्रति उनका लगाव दर्शाता है कि ग्रामीण भारत का विकास करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्री बनकर किस प्रकार से वे योगदान दे सकते हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि जिस युवा वेंकैया नायडू जी ने धारा 370 के लिए आंदोलन किया था, राज्यसभा में उसकी प्रस्तुति के समय वे ही भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति थे। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के नाते संविधान का आदर्श कस्टोडियन कैसा हो सकता है, संविधान में उपराष्ट्रपति के लिए जो भूमिका बताई गई है और उसका आदर्श निर्वहन कैसे करें, इसका उदाहरण वेंकैया नायडू जी सबके सामने रख रहे हैं। पूरे जीवन में उन्होंने परिवारवाद के ख़िलाफ़ भारत के लोकतंत्र को स्वस्थ रखने का प्रयास किया।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि एक छोटी सी गतिविधि को वटवृक्ष बनाकर कैसे अपनी मातृभूमि व गांव की सेवा की जा सकती है, इसका वेंकैया जी से बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता। स्वर्ण भारत ट्रस्ट की सभी गतिविधियों के केंद्र में किसान, युवा, महिलाएं और विद्यार्थी हैं और जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है, उन सभी तबकों को ट्रस्ट की गतिविधियों के साथ जोड़ा गया है। अगर हर गांव में एक व्यक्ति स्वयं की बजाय गांव के बच्चों, किसानों, महिलाओं और गरीबों की चिंता करे तो देश में एक भी गांव विकास से वंचित नहीं रहेगा। श्री शाह ने कहा कि वेंकैया नायडू जी ने नेल्लोर के युवाओं, किसानों, बच्चों और गरीबों के कल्याण के लिए इतना बड़ा गतिविधि का केंद्र बनाया है और स्वयं इससे जुड़े रहे हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार का एक ऐसा प्रयास है जिसे मैं आपके साथ साझा करने आया हूं। उन्होंने कहा कि मैंने पद्म पुरस्कारों को पहले भी देखा है और आज गृहमंत्री के नाते इनकी प्रक्रिया को भी क़रीब से देखा है और पुराने रिकॉर्ड भी देखे। ज़्यादातर जो दल सत्ता में होते हैं उनके प्रभाव क्षेत्र के लोगों को पद्म पुरस्कार मिलते थे और सिफारिश के बगैर पद्म पुरस्कार की कल्पना ही नहीं कर सकते थे। लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पद्म पुरस्कारों के आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर पारदर्शी बनाया और मेरिट के आधार पर अब ऐसे लोगों को पद्म पुरस्कार मिलना शुरू हुआ है, जिन्होंने ज़मीन पर भारत को आगे बढ़ाने, समाज को सुधारने, सुदृढ़ करने और समाज की दिक्कतों को कम करने के लिए काम किया है। मैं 3 साल से इस प्रक्रिया के साथ जुड़ा हुआ हूं और आपको बताता हूं कि सुदूर कर्नाटक के किसी कोने में कोई महिला अपने परिश्रम से अकेली 35 हजार से ज्यादा वृक्षों की बुवाई करके उन्हें बड़ा करती है और पैर में चप्पल नहीं है, मगर उसे किसी सिफारिश की जरूरत नहीं है। कन्नड़ में स्वयं का लिखा हुआ परिचय पत्र भेजती है और आज पद्म श्री से सम्मानित होकर देश की करोड़ों ग़रीब महिलाओं को प्रेरणा दे रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पद्म पुरस्कारों की प्रक्रिया को इतना पारदर्शी और लोकतांत्रिक बना दिया है कि आज अपने अपने क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले आम लोगों को जब पद्म पुरस्कार मिलता है तो वो समाज के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत बनते हैं।