भारत में कोयला खदान शुरू करने के लिए ज़रूरी सभी औपचारिकताओं को पूरा करने और मंजूरियों को दिलाने की प्रक्रिया में सहयोग देने के लिए कोयला मंत्रालय ने सोमवार को एक सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल शुरू किया। केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी की उपस्थिति में भारत की पहली वाणिज्यिक कोयला खनन नीलामी के विजेताओं के साथ समझौते करने के लिए नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इस पोर्टल का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में कोयला क्षेत्र ने सराहनीय काम करते हुए महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने कहा कि 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में कोयला क्षेत्र प्रमुख भूमिका निभाएगा। श्री शाह ने कहा कि लंबे समय से कोयला क्षेत्र में आ रही बाधाओं को दूर करने और इसमें पारदर्शिता लाने की ज़रूरत महसूस की जा रही थी, जिसे मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरा किया गया है।
श्री शाह ने कहा कि आज देश की पहली वाणिज्यिक कोयला खनन नीलामी के 19 सफल बोलीदाताओं को खदानों का आवंटन किया गया। इससे राज्यों को अनुमानित 6500 करोड़ रुपये का राजस्व प्रतिवर्ष प्राप्त होने के अलावा 70,000 से अधिक रोज़गार पैदा होगा।
केन्द्रीय मंत्री श्री जोशी ने घोषणा करते हुए कहा कि वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए खदानों की नीलामी के अगले चरण की शुरुआत जनवरी 2021 में होगी। उन्होंने कहा “हमने कोयला क्षेत्र में व्यापक सुधार किए हैं और अब कोयला क्षेत्र राष्ट्र में बड़े बदलावों का वाहक बनेगा।” श्री जोशी ने कहा कि “माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साहसिक एवं निर्णायक नेतृत्व में कोयला क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सकारात्मक बदलाव हुए हैं। सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल सरकार के ‘मिनीमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस’ दृष्टिकोण को मज़बूती प्रदान करता है। श्री जोशी ने कहा कि यह पोर्टल कोयला क्षेत्र में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा”।
वर्तमान समय में, देश में कोयला खदान शुरू करने के लिए 19 बड़ी औपचारिकताओं और मंज़ूरी लेने की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। इनमें माइनिंग प्लान एंड माइन क्लोज़र प्लान, माइनिंग लीज़ लेना, पर्यावरण एवं वन क्लीयरेंस, वन्य जीव क्लीयरेंस, सुरक्षा और पर्यावरण संबंधई क्लीयरेंस, परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारोंका विस्थापन, कर्मचारी कल्याण जैसे क्षेत्रों से जुड़ी मंजूरियां लेना शामिल हैं। ये सभी मंजूरियां और क्लीयरेंस केंद्र या राज्य सरकारों की ओर से प्रदान की जाती हैं। सरकार से इन सभी मंजूरियों/क्लीयरेंसको प्राप्त करने के लिए किसी एकीकृत प्लेटफॉर्म की अनुपस्थिति में खनन परियोजना का प्रस्ताव लाने वाली कंपनियों को विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों में अलग-अलग करना पड़ता है, जिससे कोयला खदानों से कोयला उत्पादन शुरू करने के काम में देरी होती है।
लेकिन अब यह सिंगल विंडो पोर्टल खनन आवेदनों की मंज़ूरी और क्लीयरेंस की जटिल प्रक्रिया को जल्द पूरा करने में मदद करेगा। इस पोर्टल पर आवेदन के सभी ज़रूरी प्रारूप उपलब्ध होंगे और ऑनलाइन आवेदनों को मंज़ूरी/क्लीयरेंस प्रदान करने की प्रक्रिया में तेज़ी भी आएगी। इस पोर्टल का माइनिंग प्लान मॉड्यूल सोमवार को शुरू किया गया, जबकि मंज़ूरियों से जुड़े अन्य मॉड्यूल चरणबद्ध तरीके से शुरू किए जाएंगे।
कोयला मंत्रालय ने भारत की सबसे पहली वाणिज्यिक कोयला खनन नीलामी के सफल विजेताओं- वेदांता लिमिटेड, अडानी एंटरप्राइजेस लिमिटेड, जिंदल पावर लिमिटेड, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड सहित कुल 19 विजेताओं के साथ समझौते भी किए। भारत की इस पहली वाणिज्यिक कोयला खनन नीलामी की सफलता से भारत में कोयले का आयात लगभग 20 फीदसी तक कम होगा, जिससे आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को मज़बूती मिलेगी। कोयला मंत्रालय के एकमात्र और प्रमुख ‘लेन-देन सलाहकार’ एसबीआई कैपिटल मार्केटस् लिमिटेड ने इस नीलामी प्रक्रिया की कार्यपद्धति को विकसित करने और नीलामी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने में कोयला मंत्रालय की मदद की है।
“श्री जोशी ने सभी राज्यों से अपील करते हुए कहा कि राज्य अपने यहाँ मौजूद खदानों को जल्द से जल्द शुरू करने में अपना सहयोग दें, ताकि भारत अपने विशाल कोयला भंडार का समुचित उपयोग कर कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके।
गौरतलब है कि 19 वाणिज्यिक कोयला खदानों के लिए सफलतापूर्वक नीलामी की गई है, जिससे राज्यों को 6,656 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा। नीलामी प्रक्रिया के दौरान आवेदकों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते अधिकतम प्रीमियम 66.75 फीसदी और औसत प्रीमियम 27 फीसदी रहा। ये खदान मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र में फैली हैं और इनसे प्रतिवर्ष समग्र रूप से 51 मिलियन टन अधिकतम अनुमानित कोयला उत्पादन होगा।
श्री जोशी ने कहा कि खनिज संपदा से संपन्न विभिन्न राज्यों के अनुभव और हितधआरकों से मिले फीडबैक के आधार पर सरकार खनन क्षेत्र में व्यापक स्तर पर ढांचागत सुधार लाएगी। ये सुधार बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर पैदा करेंगे और खनिज उत्पादन को भी बढ़ाएंगे, जिससे देश आत्म-निर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्र में होने वाले ये सुधार भारत खनिज क्षेत्र की संभावनाओं को बढ़ाएंगे।