नई दिल्ली: केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आज नई दिल्ली में मंत्रालय के नवोन्मेष प्रकोष्ठ के अंतर्गत ‘प्रतिष्ठान की नवोन्मेष परिषद ’कार्यक्रम की शुरूआत की। मंत्रालय ने एआईसीटीई में एक ‘नवोन्मेष प्रकोष्ठ’ स्थापित किया है। इसका उद्देश्य देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में नवाचार की संस्कृति को व्यवस्थित ढंग से प्रोत्साहित करना है।
इस अवसर पर श्री जावड़ेकर ने कहा कि यह देश में नवाचार को संस्थागत बनाने और एक वैज्ञानिक प्रकृति विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठान की नवोन्मेष परिषद (आईआईसी) का नेटवर्क बनाने का उद्देश्य युवा छात्रों के रचनात्मक वर्षों में उनकी अद्भुत कल्पनाओं और कार्य विधियों को प्रदर्शित करके उन्हें प्रोत्साहित, प्रेरित और विकसित करना है। उन्होंने बताया कि 1000 से अधिक उच्च शिक्षण संस्थानों ने पहले से ही अपने परिसरों में आईआईसी का गठन कर लिया है और मंत्रालय के नवोन्मेष प्रकोष्ठ द्वारा व्यवस्थित आईआईसी नेटवर्क के लिए नामांकित किया है।
श्री जावड़ेकर ने कहा कि विकसित देशों का प्रमुख अनुसंधान केन्द्र विश्वविद्याल हैं और उनके अनुसंधान के कारण वे वैश्विक नवोन्मेष रैंकिंग में शीर्ष पर है। उन्होंने कहा कि अब भारतीय विश्वविद्यालय भी संस्थान के नवोन्मेष परिषद कार्यक्रम के जरिए अनुसंधान केन्द्र स्थापित कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि इस पहल के जरिए अगले दो-तीन वर्षों में वैश्विक नव-परिवर्तन रैंकिंग में हम अच्छे रैंक तक पहुंच सकते हैं।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में शैक्षणिक दृष्टि से तभी आगे बढ़ा जा सकता है जब हम नवोन्मेष में सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रणालियों को प्रोत्साहित करें, अनुसंधान को आगे बढ़ाएं। नवोन्मेष प्रकोष्ठ ने इस दिशा में अनेक पहल की हैं जैसे नवोन्मेष उपलब्धि पर संस्थानों की अटल रैंकिंग (एआरआईआईए), स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन (एसआईएच)-2019 आदि जैसे कार्यक्रमों को लागू किया गया है। उन्होंने इस कार्यक्रम को लाने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों के प्रयासों और एआईसीटीई की सराहना की जिससे देश में शिक्षा के समग्र विकास में योगदान मिलेगा।
इस अवसर पर मंत्रालय में सचिव (एचई) श्री आर. सुब्रह्मण्यम, एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे, संयुक्त सचिव (टीई) डॉ. एन. सर्वणा कुमार, यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो. भूषण पटवर्धन, एमआईसी के सीआईओ डॉ. अभय जेरे और केन्द्र सरकार की एजेंसियों के गणमान्य व्यक्ति तथा देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों के 800 से अधिक प्रतिनिधि मौजूद थे।