आज केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, जो जाने-माने मधुमेह विशेषज्ञ (डायबिटोलॉजिस्ट) भी हैं, ने कहा कि कोरोना महामारी ने एकीकृत चिकित्सा प्रणाली के महत्व को रेखांकित किया है। रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) के 48वें वार्षिक सम्मेलन के मुख्य संबोधन में उन्होंने कहा कि कोविड ने हमें विपरीत हालात में नए मानकों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है और भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के महत्व को रेखांकित किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यहां तक कि कोरोना से पहले समय के दौर में भी, सबूतों के साथ यह सिद्ध हो गया था कि गैर-संक्रामक रोगों जैसे डायबिटीज-मेलिटस के इलाज में कुछ खास योगासनों का अभ्यास करके और नेचुरोपैथी में उपलब्ध जीवन शैलीगत बदलावों को अपना कर इंसुलिन या मधुमेह रोधी दवाओं की खुराक घटाई जा सकती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि महामारी के दौरान मधुमेह विशेषज्ञों पर एक से ज्यादा रोगों से ग्रस्त मरीजों को सलाह देने और मार्गदर्शन करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान, कई एलोपैथिक मेडिकल के पेशेवरों ने, जो इलाज की अन्य प्रणालियों को लेकर उलझन में थे, आयुर्वेद और योग से प्रतिरक्षा बनाने वाली दवाओं और प्रतिरोधकता को बढ़ाने वाले उपायों में दिलचस्पी दिखानी शुरू की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कई श्रेणियों में आरएसएसडीआई पुरस्कार बांटे और डायबिटीज प्रबंधन की गाइडलाइन भी जारी की। उन्होंने डायबिटीज अपडेट 2020 के साथ-साथ एनुअल केस बुक और आरएसएसडीआई ईयर बुक ऑफ डायबिटीज को भी जारी किया।
इंटरनेशनल वेबिनार में आरएसएसडीआई के अध्यक्ष डॉ. बंशी साबू, इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ. एंड्रयू बोल्टन, आईडीएफ-दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के चेयर प्रोफेसर शशांक जोशी और अन्य जाने-माने चिकित्सा पेशेवर शामिल हुए।