केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकीराज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार);प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि कठुआ अपनी विविध संसाधन समृद्धि के साथ-साथ अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण उत्तर भारत का स्टार्टअप ठिकाना बन गया है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा के साथ जम्मू-कश्मीर में कठुआ जिले के घट्टी में उत्तर भारत के पहले औद्योगिक बायोटेक (जैव-प्रौद्योगिकी) पार्क का उद्घाटन करने के बाद कही।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि यह कठुआ के लिए ऐतिहासिक दिन है क्योंकि कठुआ का नाम अब भारत के उन विकसित क्षेत्रों में सूचीबद्ध है जहां बायोटेक पार्क स्थापित किए गए हैं,जो न केवल देश से बल्कि पूरी दुनिया से नवाचारों और अनुसंधान को आकर्षित कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगले पच्चीस वर्ष इस देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और जब भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएगा,तो कठुआ के युवाओं के नाम भारत को ‘विश्व गुरु’बनाने में महान योगदानकर्ताओं में शामिल होंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बिना किसी क्षेत्रीय पूर्वाग्रह के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने शिक्षा,स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे,विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास की एक नई सुबह देखी है। जम्मू-कश्मीर मेंअखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स),आईआईएम, आईआईटी, आईआईएमसी,जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना,राजमार्ग गांव, एक्सप्रेस कॉरिडोर, अटल सेतु, मेगा-क्विंटल बीज प्रसंस्करण संयंत्र,मेडिकल कॉलेजों का निर्माण जिनमें से कुछ कठुआ में स्थापित किए गए हैं।इनमें से कुछ राष्ट्रीय स्तर की विकास परियोजनाएं हैं जिन्हें जम्मू-कश्मीर ने पिछले आठ वर्षों में देखे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बायोटेक पार्क नए विचारों के उद्भव का केंद्र के रूप में कार्य करेगा और यह न केवल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बल्कि इसके नजदीकी राज्यों पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के कृषिउद्यमियों,स्टार्टअप्स, प्रगतिशील किसानों, वैज्ञानिकों,विद्वानों और छात्रों को मदद के लिए एक मजबूत मंच के रूप में कार्य करेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कठुआ मेंजैव प्रौद्योगिकी पार्क में एक वर्ष में 25 स्टार्टअप तैयार करने की क्षमता है जो इस क्षेत्र के विकास में इसके बड़े योगदानों में से एक होगा। डॉ. सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को खोले जाने के मात्र डेढ़ साल में साठ स्टार्टअप स्थापित हो गए हैं।उन्होंने कहा कि आज यहां मौजूद जम्मू के युवा वैज्ञानिक ओंकार सिंह इसके बेहतरीन उदाहरणों में से हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि जरूरत है कि पहले बड़ों और फिर युवाओं में सरकारी नौकरी की मानसिकता को बदलें क्योंकि सरकार ने आकर्षक स्टार्ट-अप के नाम पर ‘स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया’के तहत युवाओं के लिए सबसे बड़े रास्ते बनाए हैं।
डॉ. जितेंद्र ने यह भी कहा कि स्टार्टअप क्रांति अब जम्मू-कश्मीर में शुरू हो गई है। अरोमा मिशन के तहत शुरू स्टार्ट-अप्स सबसे अच्छी शुरुआत हैं, जिसने भारत में अरोमा मिशन के ब्रांड एंबेसडर के रूप में भारत भूषण को घरेलू पहचान दिया है। यह स्टार्टअप्स कुछ ही वर्षों में अपनी आय को न सिर्फ दोगुना बल्कि चौगुना कर लिया है।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि स्टार्टअप टिकाऊ और आजीविका से जुड़े होने चाहिए जो कि स्टार्टअप के तहत अधिक से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने वाली इस सरकार का वास्तविक मंत्र है। डॉ. सिंह ने कहा कि ‘बोटलैब्स’आजीविका से जुड़े एक स्थायी स्टार्टअप का सबसे अच्छा उदाहरण है, जिसने बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान 1000 ड्रोन उड़ाए और अब देश में ड्रोन शो को प्रायोजित करने के लिए लाखों की कमाई कर रहे हैं।
डॉ. जितेंद्र ने यह भी कहा कि स्टार्टअप को लेकर जागरूकता अभियानों में मीडिया की बड़ी भूमिका है और लोगों को प्रेरित करने के लिए मीडिया को इस पर सफलता की कहानियां दिखानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उन युवाओं के हितों की पूर्ति के लिए एक एकल राष्ट्रीय पोर्टल शुरू किया जाएगा,जिनके पास क्षेत्र विशेष में क्षमता है और इसके तहत स्टार्टअप बनाना चाहते हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि पूर्वोत्तर अब भारत में बदलाव का सबसे अच्छा उदाहरण है जो देश भर से स्टार्टअप को आकर्षित कर रहा है। डॉ. सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में संसाधनों की विविधता है जिससे इसमें भी स्टार्ट-अप के लिए प्रमुख ठिकाना बनने की क्षमता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बायोटेक पार्क, घट्टी कठुआ में प्रौद्योगिकी ऊष्मायन,प्रशिक्षण और कौशल विकास के प्रावधान के अलावा हर्बल निष्कर्षण, किण्वन, विश्लेषणात्मक प्रयोगशाला, आसवन, सूक्ष्म प्रसार, प्लांट टिशू कल्चर जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि दो औद्योगिक बायोटेक पार्कों पहला घट्टी, कठुआ, जम्मू और दूसरा हंदवाड़ा, कश्मीर में काम के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में जैव प्रौद्योगिकी विभागऔर जम्मू एवं कश्मीर विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषण फरवरी 2019 में शुरू हुई थी। इस परियोजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सीएसआईआर-भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान, (सीएसआईआर-आईआईआईएम) जम्मू को सौंपी गई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह बायोटेक पार्क जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जैव विविधता,औषधीय और सुगंधित पौधों पर शोध करेगा और यह हरित श्रेणी के व्यवसायों को भी बढ़ावा देगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने आवश्यक बुनियादी ढांचा सहायता प्रदान करके अनुसंधान को उत्पादों और सेवाओं में बदलने के लिए देश भर में जैव प्रौद्योगिकी पार्क/इनक्यूबेटर की स्थापना की है। ये जैव प्रौद्योगिकी पार्क जैव प्रौद्योगिकी के तेज वाणिज्यिक विकास के लिए प्रौद्योगिकी ऊष्मायन, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और प्रायोगिक संयंत्र अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों,और छोटे एवं मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) को सुविधाएं प्रदान करते हैं। जम्मू-कश्मीर के बायोटेक पार्क विभिन्न राज्यों में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के 9 जैव प्रौद्योगिकी पार्कों में से हैं।
जैव प्रौद्योगिकी ने स्वास्थ्य देखभाल,कृषि,प्रसंस्करण उद्योग,पर्यावरण और सेवा क्षेत्रों जैसे जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के साथ दुनिया भर में सामाजिक-आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। भारतीय जैव प्रौद्योगिकी उद्योग सबसे तेजी से बढ़ती ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है औरभारत की अर्थव्यवस्था को आकार देने में इसके महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। भारत वैश्विक स्तर पर जीवन के सभी पहलुओं को बदलने के लिए जैव प्रौद्योगिकी की अपार क्षमता का दोहन करने के लिए विशिष्ट रूप से स्थित है। भारतीय बायोटेक उद्योग दुनिया के शीर्ष 12 ठिकानों में से एक है और चीन के बाद एशिया में दूसरे स्थान पर है।
भारत सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से, नवीन प्रौद्योगिकियों,बुनियादी ढांचे,मानव संसाधन और उद्योग के विकास को बढ़ावा देकर जैव प्रौद्योगिकी के विकास में तेजी लाने के लिए कई पहल की हैं, जिससे इस क्षेत्र को वैश्विक सोच हासिल करने में मदद मिली है।
सीएसआईआर-आईआईआईएम के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और बायोटेक पार्क घट्टी,कठुआ के ओएसडी डॉ. जबीर अहमद ने बताया कि इस उद्घाटन समारोह में भारत के शीर्ष वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद प्रो. अजय कुमार सूद,भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार; डॉ. राजेश गोखले, सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग और महानिदेशक, सीएसआईआर;डॉ. एम. रविचंद्रन, सचिव, एमओईएस;डॉ. एस. चंद्रशेखर, सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग;डॉ. डी.एस. रेड्डी, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू;डॉ. आलोक कुमार, सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, जम्मू-कश्मीर सरकार;कर्नल महान सिंह,अध्यक्ष,डीडीसी कठुआ;रघुनंदन सिंह बबलो, उपाध्यक्ष, डीडीसी, कठुआ; केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर केविश्वविद्यालयों के कुलपति, आईआईटी, एम्स, और आईआईएम के निदेशक,उद्योगपति, कृषि-उद्यमी, स्टार्टअप्स, विद्वान और छात्र शामिल हुए।