केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीराज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिहं ने आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी)द्वारा विकसित “बायोटेक-प्राइड (डेटा आदान-प्रदान के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन) दिशानिर्देश” जारी किये। इस अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप, सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ता भी उपस्थित थे। मंत्री महोदय ने भारतीय जैविक डेटा केंद्र, आईबीडीसी की वेबसाइट का भी शुभारंभ किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 135 करोड़ से अधिक की बड़ी आबादी और देश की विविधस्थितियों को देखते हुए, भारत को भारतीय अनुसंधान और समाधान के लिए अपने स्वयं के विशिष्ट डेटाबेस की आवश्यकता है। उन्होंने कहा किदेश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और स्वदेशी डेटाबेस में भारतीय नागरिकों के लाभ के लिए युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा डेटा के आदान-प्रदान और इसके अंगीकरण के लिए एक विशाल सक्षम तंत्र होगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 6-7 वर्षों में, मोदी सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी और विशेष रूप से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्यापक प्रोत्साहन और प्राथमिकता दी है, और अबविश्व भारत के साथरचनात्मक सहयोग और मिलकर कार्य करने के प्रति आशान्वित है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि डीबीटी द्वारा बायोटेक-प्राइड को जारीकरना अपनी तरह की प्रथम पहल हैऔरजैविक डेटाबेस में योगदान देने वाले शीर्ष 20 देशों में भारत चौथे पायदाने पर है। उन्होंने कहा कि सरकार ज्ञान सृजन के लिए जैव विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में डेटा उत्पन्न करने के लिए बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन का निवेश करती है, ताकि जटिल जैविक तंत्र और अन्य प्रक्रियाओं और अनुवाद के लिए गहन अंतर्दृष्टि प्राप्त की जा सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा किडीएनए अनुक्रमण और अन्य उच्च-प्रवाह क्षमता प्रौद्योगिकियों में प्रगति के साथ-साथ डीएनए अनुक्रमण लागत में आई महत्वपूर्ण कमी ने सरकारी एजेंसियों को जैव-विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में जैविक डेटा के सृजन की दिशा में अनुसंधान को वित्त पोषित करने में सक्षम बनाया है। उन्होंने कहा किबड़े पैमाने पर डेटा की एक विस्तृत श्रृंखला साझा करने से आणविक और जैविक प्रक्रियाओं की समझ को बढ़ावा मिलता है जिससे कृषि, पशुपालन, मौलिक अनुसंधान पर मानव स्वास्थ्य में योगदान मिलेगा और इसके माध्यम से इसे सामाजिक लाभ तक पहुंचाया जा सकेगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा किप्रारंभ मेंइन दिशानिर्देशों को जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र में भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) के माध्यम से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अन्य मौजूदा मंत्री महोदय ने कहा कि डेटासेट/डेटा केंद्रों को आईबीडीसी से जोड़ा जाएगा, जिसे बायो-ग्रिड कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बायो-ग्रिड जैविक ज्ञान, सूचना और डेटा के लिए एक राष्ट्रीय भंडार होगा और इसपर आदान-प्रदान को सक्षम करने, डेटासेट के लिए सुरक्षा, मानकों और गुणवत्ता के उपायों को विकसित करने और डेटा तक पहुंचने के लिए विस्तृत तौर-तरीके स्थापित करने का दायित्व होगा।
बायोटेक प्राइड दिशानिर्देश देश भर में विभिन्न अनुसंधान समूहों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बनाएंगे। बायोटेक-प्राइड (डेटा आदान-प्रदान के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार का बायोटेक प्रोत्साहन) दिशानिर्देशों का उद्देश्य जैविक ज्ञान, सूचना और डेटा को साझा करने और इसके आदान-प्रदान को सुविधाजनक एवं सक्षम बनाने के लिए एक बेहतररूप से निर्धारित प्रारूप और मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करना है जोदेश भर के अनुसंधान समूहों द्वारा उत्पन्न उच्च-मात्रा डेटा विशेष रूप से उच्च-प्रवाह क्षमता पर लागू होता है। ये दिशानिर्देश जैविक डेटा के सृजन से ही नहीं अपितुदेश के मौजूदा कानूनों, नियमों, विनियमों और दिशानिर्देशों से उत्पन्न जानकारी और ज्ञान को साझा करने एवं इन्हें आदान-प्रदान करने के लिए एक सक्षम तंत्र है। ये दिशानिर्देश डेटा साझाकरण,अधिकतमउपयोग, दोहराव से बचाव, अधिकतम एकीकरण, स्वामित्व की जानकारी, बेहतर निर्णय लेने और समान पहुंच जैसे लाभों को सुनिश्चित करेंगे। ये दिशानिर्देश डेटा को सार्वजनिक रूप से और डेटा-सृजन के बाद उचित समय के भीतर साझा करने के हेतु एक सक्षम तंत्र हैं, और इस प्रकार से इ डेटा की उपयोगिता अधिकतम होगी। इसके परिणामस्वरूप, डेटा सृजन के लिए सार्वजनिक निवेश के लाभ के उपार्जन से समझौता नहीं किया जाएगा।
प्राइडदिशानिर्देश देश में अनुसंधान और विश्लेषण के लिए डेटा साझा करने के में सामंजस्य औरतालमेल स्थापित करने साथ-साथवैज्ञानिक कार्य को बढ़ावा देने और पिछले कार्य पर आगे बढ़ते हुए प्रगति को प्रोत्साहनदेने में सहायक होंगे। ये दिशानिर्देश अनुसंधान पर संसाधनों के दोहराव और फिजूलखर्ची से बचने में भी लाभप्रद होंगे। प्रारंभ में, इन दिशानिर्देशों को जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र में भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) के माध्यम से लागू किया जाएगा। इस अवसर पर, माननीय मंत्री महोदय ने आईबीडीसी को जैविक डेटा प्रदान करने के लिए वेब-पोर्टल का भी शुभारंभ किया। अन्य वर्तमान डेटासेट/डेटा केंद्रों को इस आईबीडीसी से जोड़ा जाएगा जिसे बायो-ग्रिड कहा जाएगा। बायो-ग्रिड जैविक ज्ञान, सूचना और डेटा के लिए एक राष्ट्रीय भंडार होगा और इसपर आदान-प्रदान को सक्षम करने, डेटासेट के लिए सुरक्षा, मानकों और गुणवत्ता के उपायों को विकसित करने और डेटा तक पहुंचने के लिए विस्तृत तौर-तरीके स्थापित करने का दायित्व होगा।