केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि, जम्मू-कश्मीर में देविका नदी राष्ट्रीय परियोजना हमारे सामूहिक गौरव तथा विश्वास को दर्शाएगी और यह उत्तर भारत में अपनी तरह की यह पहली परियोजना होगी। उन्होंने इस बात को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि, इस कार्य को अंजाम देने वाले संबंधित अधिकारी समाज के सभी वर्गों को विश्वास में लें, चाहे उनकी विचारधारा या राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो, ताकि जब यह परियोजना पूरी हो जाए, तो इसे न केवल देश के अन्य हिस्सों में इसी तरह की अन्य परियोजनाओं के लिए एक आदर्श के रूप में देखा जाए, बल्कि इसे सद्भाव एवं एकता की भावना का प्रतीक माना जाये, जिस तरह से देविका नदी सदियों से इसका प्रतीक रही है।
देविका कायाकल्प परियोजना स्थल का निरीक्षण करने के दौरान और उसके बाद आज हुई बैठक के दौरान डीडीसी अध्यक्ष लालचंद भगत, जिला विकास आयुक्त इंदु कंवलचिब, नगर निगम अध्यक्ष डॉ. योगेश्वर गुप्ता, पूर्व मंत्री पवन गुप्ता, विभिन्न इंजीनियरिंग खंडों और कार्यकारी एजेंसियों के प्रमुख तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि, जहां काम की गुणवत्ता में किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं होना चाहिए, वहीं किसी भी तरफ से आने वाले तार्किक सुझाव या इनपुट प्राप्त करने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, वह ऐतिहासिक देविका परियोजना को न केवल आस्था की परियोजना के रूप में देखते हैं बल्कि आम सहमति और समाधान के स्मारक के रूप में देखते हैं।
केंद्र सरकार की अग्रणी “नमामि गंगे” परियोजना के साथ इसकी तुलना करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने देविका परियोजना को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया, इस परियोजना को श्री मोदी ने 2019 की शुरुआत में अपनी जम्मू यात्रा के दौरान औपचारिक रूप से लॉन्च किया था। उन्होंने कहा कि, अब यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस परियोजना को उसी भावना एवं विश्वास के साथ पूरा करें, जिसके साथ मोदी सरकार ने इसे अनुमति और मंजूरी दी थी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि, पिछले सप्ताह ही उन्होंने वर्चुअल बैठक के माध्यम से इस परियोजना की गहन समीक्षा की थी, जिसमें मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता और प्रधान सचिव शहरी विकास धीरज गुप्ता भी शामिल थे। बैठक में उन्होंने कोविड महामारी के कारण अधिक समय बीत जाने की भरपाई करने के लिए काम की गति बढ़ाने पर जोर दिया था और उन्होंने ठेकेदार एजेंसी तथा इंजीनियरिंग विंग के बीच आदर्श समन्वय के महत्व पर भी बल दिया था। केंद्रीय मंत्री ने उस बैठक में नियमित आधार पर परियोजना की निगरानी के महत्व पर जोर दिया था और आज इस साइट का उनका दौरा भी इसे रेखांकित करने के लिए ही था।
परियोजना स्थल पर डॉ. जितेंद्र सिंह को निर्माण कार्य की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान की गई। उन्हें यह भी बताया गया कि, पूर्व में रिपोर्ट की गई ठेकेदार एजेंसी से सहयोग की कथित कमी को देखते हुए ठेकेदार पर जुर्माना लगाकर इसकी भरपाई करने की मांग की गई है, ठेकेदारों ने आश्वासन भी दिया था कि, इसके बाद कोई ढिलाई नहीं होगी।
केंद्र द्वारा वित्त पोषित 190 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) देविका परियोजना के तहत, देविका नदी के तट पर स्नान “घाट” (स्थल) विकसित किए जाएंगे, अतिक्रमण हटाए जाएंगे, प्राकृतिक जल निकायों को बहाल किया जाएगा और जलग्रहण क्षेत्र को श्मशान भूमि के साथ विकसित किया जाएगा।
परियोजना में 8 एमएलडी, 4 एमएलडी और 1.6 एमएलडी क्षमता के तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, 129.27 किलोमीटर के सीवरेज नेटवर्क, दो श्मशान घाटों का विकास, सुरक्षा बाड़ और भूनिर्माण, छोटे जल विद्युत संयंत्र तथा तीन सौर ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं। परियोजना के पूरा होने पर नदियों में प्रदूषण की कमी और पानी की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलेगा।
देविका नदी का बहुत धार्मिक महत्व भी है क्योंकि इसे हिंदुओं द्वारा इसे गंगा नदी की बहन के रूप में संबोधित किया जाता है। पिछले साल जून में डॉ. जितेंद्र सिंह ने उधमपुर में महत्वपूर्ण देविका ब्रिज का उद्घाटन भी किया था। देविका पुल यातायात की भीड़ से निपटने के अलावा सेना के काफिले और वाहनों के सुगम आवागमन में काफी मददगार है।
साथ जाने वाले अधिकारियों ने यह भी बताया कि, केंद्रीय मंत्री के निर्देशानुसार कार्य की गुणवत्ता से कोई समझौता न हो यह सुनिश्चित करने के लिए “वर्क ऑडिट” की योजना बनाई गई थी। साइट के दौरे और उसके बाद की बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री के साथ डीडीसी के अध्यक्ष लाल चंद भगत, नगर निगम अध्यक्ष डॉ. योगेश्वर गुप्ता, पूर्व मंत्री पवन गुप्ता, वरिष्ठ नेता पूरन चंद, विवेक गुप्ता, पाराशर, और अन्य सहित प्रमुख स्थानीय नेता तथा सुशांत गुप्ता के नेतृत्व में पार्षद, युवा नेता व अन्य मौजूद थे।