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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, अब विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश का आकर्षक केंद्र है भारत

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डीएसटी-सीआईआई इंडिया-सिंगापुर टेक्नोलॉजी शिखर सम्मेलन के 28वें संस्करण में उद्घाटन भाषण देते हुए केंद्रीय  विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग राज्य डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारत अब विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश का एक आकर्षक केंद्र है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मेक इन इंडिया अभियान की मदद से भारत हाई-टेक विनिर्माण का केंद्र बनने की राह पर है क्योंकि वैश्विक दिग्गज या तो भारत में विनिर्माण संयंत्र लगा रहे हैं या लगाने की प्रक्रिया में हैं, जो भारत के एक अरब से अधिक उपभोक्ताओं के बाजार और बढ़ती क्रय शक्ति से आकर्षित हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की निगरानी में  भारत 1,200 से अधिक सरकारी वित्त पोषित अनुसंधान संस्थानों, सक्रिय नीति तंत्र, उद्योग और शिक्षाविदों के बीच सहयोग के साथ नवाचार अर्थव्यवस्था के युग को लेकर खुद को तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत नवाचार के निरंतर बढ़ते पथ पर है और उभरती हुई तकनीकियां जैसे ब्लॉक चेन, नैनो टेक्नोलॉजी, क्वांटम कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नवाचार के केंद्र में हैं और भारत शीर्ष 25 नवोन्मेषी देशों के संघ में शामिल होना चाहता है।

मंत्री ने कहा कि एनएसएफ डेटाबेस के हिसाब से वैज्ञानिक प्रकाशन के देशों में भारत तीसरे स्थान पर है और वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) के अनुसार इसने वैश्विक स्तर पर शीर्ष 50 नवीन अर्थव्यवस्थाओं में (46वें रैंक पर) जगह बनाई है। हमने पीएचडी की संख्या, उच्च शिक्षा प्रणाली के आकार के साथ-साथ स्टार्ट-अप की संख्या के मामले में भी तीसरा स्थान हासिल किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आसियान देशों में सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रमुख स्रोत है। आंकड़ों से पता चलता है कि सिंगापुर में लगभग 9,000 भारतीय कंपनियां पंजीकृत हैं और सिंगापुर से 440 से अधिक कंपनियां भारत में पंजीकृत हैं। उन्होंने कहा कि सिंगापुर की कंपनियां कई स्मार्ट शहरों, शहरी नियोजन, लॉजिस्टिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भाग ले रही हैं और सिंगापुर कई राज्यों के साथ टाउनशिप के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के लिए काम कर रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत और सिंगापुर के बीच अच्छी तरह से स्थापित विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के संबंध हैं। उन्होंने बताया कि इसरो ने 2011 में सिंगापुर का पहला स्वदेश निर्मित सूक्ष्म उपग्रह और 2014-15 के दौरान 8 और उपग्रहों को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि इन संबंधों में समय-समय पर नए आयाम जुड़ते जाते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण, समावेश और पारदर्शिता हासिल करने के लिए तकनीकी को एक माध्यम बनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार तकनीकी का उपयोग कर अंतिम छोर तक सेवाओं की प्रभावी पहुंच सुनिश्चित करती है। मंत्री ने कहा कि डीएसटी लोगों के बीच वैज्ञानिक प्रवृत्ति को विकसित करने और उसे बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है और देश में अनुसंधान व नवाचार अभियान का नेतृत्व कर रहा है। इस दिशा में हम कई मिशन मोड कार्यक्रम चला रहे हैं जैसे राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन, अंतर्विषयक साइबर भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (आईसीपीएस), क्वांटम कम्प्यूटिंग और संचार,  सुपरकम्प्यूटिंग, सुपरकम्प्यूटिंग पर राष्ट्रीय मिशन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी आदि, ताकि इस अभियान का सहयोग किया जा सके।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच आज समझौता ज्ञापन संपन्न हुआ और कार्यान्वयन समझौता भारत सिंगापुर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग को मजबूत करेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि समझौता ज्ञापन और कार्यान्वयन समझौता आज दो देशों के बीच संपन्न हुआ, जो भारत सिंगापुर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग को मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारे उद्योग और अनुसंधान संस्थानों को आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों से संबंधित नए उत्पादों को संयुक्त रूप से विकसित करने में सक्षम बनाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में भारत विकासपरक यात्रा से गुजरा है, जिसने हमें वैश्विक राष्ट्रों के बीच एक आर्थिक और राजनीतिक पहचान बनाने में मदद की है। मंत्री ने कहा कि आज जब भारत अपनी आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है, भारत के लिए अगले 25 वर्षों के लिए रोडमैप @100, यानि वर्ष 2047 तक जीवन के सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक व तकनीकी नवाचारों द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

अपनी समापन टिप्पणी में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी निकायों, उद्योग जगत के दिग्गजों, तकनीकी विशेषज्ञों, प्रमुख शिक्षाविदों की उपस्थिति के साथ ज्ञान और नवाचार अर्थव्यवस्था, नए सहयोग और साझेदारी बनाने, दोनों देशों के लिए विकास के प्रचुर अवसरों के युग की शुरुआत करने के लिए उभरती तकनीकी का लाभ उठाने जैसे क्षेत्रों में अगले कदमों के संदर्भ में इस शिखर सम्मेलन से पहले से ही बहुत उम्मीदें हैं।

सिंगापुर के परिवहन और व्यापार संबंधों के प्रभारी मंत्री श्री एस. ईश्वरन ने प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और सिंगापुर के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020 से 2021 तक 19.8 अरब डॉलर से 35 फीसदी बढ़कर 26.8 अरब डॉलर हो गया।

सिंगापुर द्वारा बेंगलुरु में स्थापित ग्लोबल इनोवेशन एलायंस (जीआईए) नोड का उल्लेख करते हुए श्री ईश्वरन ने कहा कि एसएमई और स्टार्ट-अप के लिए भारतीय शहरों में और अधिक जीआईए नोड्स स्थापित किए जाएंगे ताकि सिंगापुर को एशिया और विश्व में संचालन के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।

श्री ईश्वरन ने भविष्य के सहयोग के तीन प्रमुख क्षेत्रों जैसे स्मार्ट शहरों के लिए एआई का उपयोग कर डी-टेक, विमानन और परिवहन क्षेत्रों में कार्बन शमन प्रौद्योगिकियों के लिए क्लीन-टेक और जीनोम और जैव सूचना विज्ञान अनुसंधान पर संयुक्त परियोजनाओं को भी हरी झंडी दिखाई।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने नए अवसरों का पता लगाने के लिए स्कूल स्तर से ही नवाचार पर कई मिशन शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि नवाचार में निवेश के लिए जोखिम भी ज्यादा है, लेकिन इस क्षेत्र में प्रतिफल भी बहुत अधिक हैं।

विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (दक्षिण) विश्वास विदु सपकल ने अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए नवाचार महत्वपूर्ण है। उन्होंने कौशल विकास, ई-गवर्नेंस, स्मार्ट सिटी, डिजिटल मोबिलिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में भारत-सिंगापुर संयुक्त उपक्रम का आह्वान किया।

सीआईआई के अध्यक्ष और टाटा स्टील लिमिटेड के सीईओ और प्रबंध निदेशक श्री टीवी नरेंद्रन, सीआईआई के नेशनल कमेटी ऑन टेक्नोलॉजी, आरएंडडी और नवाचार के अध्यक्ष और अशोक लीलैंड लिमिटेड के एमडी और सीईओ श्री विपिन सोंधी, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी एवं भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रमुख श्री संजीव के वार्ष्णेय ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।

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