केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि सरकार लोगों,खासकर बच्चों और युवा पीढ़ी मेंवैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए, देश भर में विज्ञान संग्रहालय स्थापित करेगी।
डॉ.जितेंद्र सिंह वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनेर)मंत्री श्री जी किशन रेड्डी भीउपस्थिति थे। समझौता ज्ञापन का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों में आम लोगों के बीच वैज्ञानिक जिज्ञासा और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए चुनिंदा सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में विज्ञान संग्रहालय स्थापित करना है।
डॉ.जितेंद्र सिंह ने 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए वैज्ञानिक सोच अपनानेका आह्वान किया। उन्होंने कहाकिहालिया महामारी ने विज्ञान और वैज्ञानिक सोच के लिए समाज में जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया है।
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की 76वीं महासभा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हालिया भाषण का उल्लेख करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि विज्ञान आधारित, तर्कसंगत एवंप्रगतिशील सोच विकास का आधार होनी चाहिएऔर विज्ञान आधारित दृष्टिकोण को मजबूत करने के लिए भारत अनुभव आधारित शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने इस भाषण मेंदुनिया के सामने मौजूदप्रतिगामी सोच और आतंकवाद के खतरे की ओर इशारा कियाथा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज का समझौता ज्ञापन इस दिशा मेंउठाया गयाएक कदम है औरयहविज्ञान संचार एवंप्रसार के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू करेगा। उन्होंने कहा कियह गर्व की बात है क्योंकि यह एक सही समय पर हो रहा है जब देश भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर आजादी काअमृत महोत्सव मना रहा है।
डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा, 2020 में सीएसआईआर सोसाइटी की बैठक में प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप, स्कूली छात्रों के लिए आईआईटी-बंबई के साथ साझेदारी में वर्चुअल लैब स्थापित करने से जुड़ीसीएसआईआर की नई पहल काफी सराहनीयहै। उन्होंने पिछले आठ दशकों में सीएसआईआर द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों और अविष्कारोंको प्रदर्शित करने के लिएराष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला(एनपीएल)के भीतर एक संग्रहालय स्थापित करने से जुड़ेसीएसआईआर और एनसीएसएम के कदम का भी स्वागत किया।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कियह पहल नरेन्द्र मोदी जी के विजन के अनुरूप भी है, जो चाहते हैंकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी देश के कोने-कोने तक पहुंचे और हमें, लोगों तक इसे पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा किसंग्रहालय जड़वत नहीं होने चाहिए बल्कि गतिशील एवंआकर्षक होने चाहिए और नवाचार को जांचने के स्थल के तौर परउभरने चाहिए तथाहमें छात्रों एवंयुवाओं मेंमौजूदजिज्ञासा और उत्साह का दोहन करना चाहिए।
डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा किजहांसीएसआईआर ने केंद्रीय विद्यालयों एवंनवोदय विद्यालयों, और नीति आयोग के अटल टिंकरिंग लैब स्कूलों के साथ करार किया है, वहींइसे दूरस्थ क्षेत्रों तथास्कूलों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा किसीएसआईआर के डिजिटल माध्यमों एवं वर्चुअल लैब और एनसीएसएम के मोबाइल साइंस म्यूजियम का उपयोग बहुत ही पूरक तथा मूल्यवान होगा।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री जी किशन रेड्डी ने कहा, “विश्व स्तर पर, यह माना जाता है कि विज्ञान केंद्र देश में विज्ञान की शिक्षा के पूरक और विज्ञान एवंप्रौद्योगिकी की संस्कृति का निर्माण करने तथालोगों,विशेष रूप से युवाओं के बीच वैज्ञानिक सोच विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”उन्होंने यह भी कहा कियह हमारे प्रधानमंत्री कीभीविजन है, जिन्होंने कहा है कि छात्रों को 21 वीं सदी के कौशल के साथ आगे बढ़ना है, जिसे उन्होंने 21 वीं सदी के ‘फाइव सी’बताया है यानी क्रिटिकल थिंकिंग (गहनसोच), क्रियेटिविटी (रचनात्मकता), कोलैबोरेशन (सहयोग), क्यूरिऑसिटी (जिज्ञासा)और कॉम्युनिकेशन (संचार)।
श्री रेड्डी ने कहा किइस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एनसीएसएम और सीएसआईआर एवंइसकी प्रयोगशालाओं को उनके उद्देश्योंको पूरा करने तथाहमारे प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने के लिहाज से अधिक उपयोगी तरीके से आपस मेंजोड़ देगा। उन्होंने इस पहल को सफलतापूर्वक लागू करने में मंत्रालय की ओर से हरसंभव मदद और सहायता का आश्वासन भी दिया।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत सरकार में ऐसे अन्य विभागों के बीच तालमेल और सहयोग की भी आवश्यकता है जिनका उद्देश्य भी देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकीएवंनवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना है।