जम्मू और कश्मीर जल्द ही जिला स्तर पर सुशासन सूचकांक रखने वाला देश का पहला केंद्रशासित प्रदेश बन जाएगा। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कार्मिक मंत्रालय में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के नवनियुक्त सचिव वी श्रीनिवास से इस संबंध में जानकारी मिलने के बाद बताया कि केंद्र, जम्मू-कश्मीर में जिला सुशासन सूचकांक (डीजीजीआई) स्थापित करेगा और प्रशासनिक सुधार तथा लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) केंद्र शासित प्रदेश की सरकार के सहयोग से इस कार्य को पूरा करेगा। सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (सीजीजी) हैदराबाद के तकनीकी सहयोग से प्रस्तावित सूचकांक की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं कि हमें जम्मू और कश्मीर में शासन की उन्हीं सर्वोत्तम प्रणालियों को अपनाना चाहिए जो देश के अन्य राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में अपनाई जाती हैं।डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि लंबे समय से कुछ संवैधानिक एवं प्रशासनिक बाधाओं के चलते डीओपीटी तथा एआरपीजी के कई केंद्रीय नियम जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं थे, लेकिन पिछले दो वर्षों में कार्य संस्कृति को परिवर्तित करने तथा “अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार” के मंत्र का पालन करने के लिए एक फास्ट-ट्रैक प्रयास किया गया है, जो वर्ष 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से केंद्र एवं राज्यों में मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है।
जिला स्तर पर सुशासन सूचकांक के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह जम्मू और कश्मीर के 20 जिलों में से प्रत्येक को देश के कुछ सबसे अच्छे प्रशासित जिलों के स्तर तक बढ़ने में सक्षम बनायेगा, कार्यालय फाइलों और अन्य मामलों के समयबद्ध निपटान के साथ, पारदर्शिता में वृद्धि, जवाबदेही में बढ़ोत्तरी तथा नागरिक भागीदारी भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि अगला कदम इन सुशासन प्रथाओं को तहसील और ब्लॉक स्तर तक ले जाना होगा।
डीजीजीआई फ्रेम वर्क में विकास के विभिन्न पहलुओं से लिए गए 58 संकेतक हैं और जिला प्रशासन को सभी 10 क्षेत्रों जैसे कि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र, वाणिज्यव उद्योग, मानव संसाधन विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और उपयोगिताओं, आर्थिक शासन, कल्याण एवं विकास, सार्वजनिक सुरक्षा और न्यायपालिका तथा नागरिक केंद्रित शासन में वितरित किया गया है।
इन संकेतकों को जम्मू और कश्मीर सरकार के जिला अधिकारियों, शिक्षाविदों, विषय विशेषज्ञों आदि के साथ परामर्श की एक श्रृंखला के बाद अंतिम रूप दिया गया था। प्रामाणिक प्रकाशित डेटा और अन्य प्रमुख सिद्धांतों की उपलब्धता को देखते हुए संकेतकों के सेट को 135 से 58 की एक बड़ी सूची से तैयार किया गया है।
सूचकांक और रैंक की गणना करने के लिए जिलों ने अंतिम 58 संकेतकों के आधार पर उनका प्रदर्शन देखकर डाटा संयोजन का एक विस्तृत अभ्यास किया, जिसके बाद उपयुक्त डाटा को अलग किया गया। मानक और परीक्षण किए गए डाटा सामान्यीकरण तथा स्कोरिंग विधियों का उपयोग करके अंतिम सूचकांक गणना प्रक्रिया चल रही है। इसके परिणामस्वरूप जिलों की डिवीजन-वार और जिले-वार रैंक सामने आएंगी। जहां समग्र 10 क्षेत्रों के आधार पर जिलों की एक व्यापक रैंक होगी, वहीं डीजीजीआई जिलों के संकेतक-वार प्रदर्शन पर एक विंडो भी जारी करेगा।