केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने ब्रिटेन सरकार और निजी क्षेत्र को भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में बड़ी व्यावसायिक क्षमता का दोहन करने के लिए आमंत्रित किया है। ब्रिटेन के उच्चायोग के अधिकारियों के साथ आज एक वर्चुअल बैठक में, उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन, दो ऐसी जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं हैं जो परस्पर व्यापारिक संबंधों का भरपूर लाभ उठाने की स्थिति में हैं, ऐसे में ये दोनों पूर्वोत्तर क्षेत्र में नए अवसरों की खोज और दोहन के लिए एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं।
श्री सिंह ने कहा कि कोविड के बाद के समय में एक नए बदलाव का आगाज होगा जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, व्यापार, वैज्ञानिक अनुसंधान और कई अन्य विविध क्षेत्रों में नई सफलताओं की संभावना बनेंगी जो भारत और ब्रिटेन दोनों के लिए लाभकारी होगी।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के अधिकारियों ने पूर्वोत्तर राज्यों के हस्तशिल्प, फलों, सब्जियों और मसालों की बहुत सराहना की है और इन्हें ब्रांड बनाकर वैश्विक बाजार में बेचने की इच्छा व्यक्त की है। उनका कहना है कि उनका देश कृषि प्रौद्योगिकी में बहुत आगे है और ऐसे में वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में फलों- सब्जियों को ताजा संरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की श्रृंखला खोलने की संभावना तलाश सकता है। ऐसा हरियाणा में प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए किया जा चुका है।
डॉ. सिंह ने पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में विज्ञान और गणित का विषय पढ़ाने के लिए ब्रिटिश काउंसिल द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि इसके लिए जल्दी पूर्वोत्तर परिषद् के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। ब्रिटिश काउंसिल ने भी पूर्वोत्तर क्षेत्र के विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों, विशेषकर आईआईटी गुवाहाटी के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले छह वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार देश के अन्य क्षेत्रों के समान ध्यान दिया गया। इससे लोगों में न केवल आत्मविश्वास बढ़ा, बल्कि विभिन्न स्तरों पर भारत के अन्य हिस्सों के साथ-साथ पूर्वी सीमाओं से सटे देशों के साथ जुड़ने की क्षमता भी बढ़ी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आसियान के साथ व्यापार और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने में पूर्वोत्तर क्षेत्र की विशेष भूमिका है क्योंकि यह दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं का प्रवेश द्वार है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बहुपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए “लुक ईस्ट” की नीति को “एक्ट ईस्ट” में बदल दिया है।
संपर्क सेवाओं के मुद्दों का जिक्र करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि पिछले छह वर्षों में सड़क, रेल और वायु संपर्क सेवाओं के संदर्भ में पूर्वोत्तर में महत्वपूर्ण विकास हुआ है, जिससे न केवल पूरे क्षेत्र में बल्कि पूरे देश में वस्तुओं और व्यक्तियों के आवागमन को सुगम बनाने में मदद मिली है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दोनों देशों के परिक्षेत्रों के आदान-प्रदान के लिए की गई भारत-बांग्लादेश संधि का स्मरण करते हुए कहा कि इससे व्यापार और आवागमन के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर किया गया है।
उन्होंने कहा कि बहुत जल्दी ही त्रिपुरा से बांग्लादेश के लिए एक ट्रेन सेवा शुरु की जाएगी जिसके साथ ही एक नए अध्याय की शुरुआत होगी जो इस क्षेत्र के विकास के नए रास्ते खोलकर पूरे क्षेत्र को बंदरगाह तक पहुंच प्रदान करेगा। उन्होंने व्यापार, व्यवसाय और परिवहन के लिए एक सस्ते विकल्प के रूप में क्षेत्र के अन्य देशों के साथ जुड़ने के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग (बंगाल के ब्रह्मपुत्र से बंगाल तक) के वैकल्पिक साधनों का पता लगाने के लिए भारत सरकार की ओर से निरंतर किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा कि यह विशेष रूप से देश के पूर्व में स्थित पड़ोसी देशों के साथ सीमा व्यापार को बढ़ाने में मददगार होगा।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि बागवानी, चाय, बांस, सूअर पालन, मछली पालन, अदरक जैसे मसाले तथा साइट्रस फलों की खेती के क्षेत्र में निर्यात की प्रचुर संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने ब्रिटेन के अधिकारियों का ध्यान पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रभावी कोरोना प्रबंधन की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि जल्दी ही यह क्षेत्र एक बड़ा व्यावसायिक और पर्यटन केन्द्र बनकर उभरेगा।