केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने इन दिनों जारी ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पहल के तहत आज बेंगलूरु के इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईडब्ल्यूएसटी) के सहयोग से चंदन की खेती एवं उसका स्वास्थ्य प्रबंधन विषय पर आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम भारतीय चंदन की बुनियादी बातें एवं फायदे, बीजों का प्रबंधन, नर्सरी तकनीक और पौधे के स्वास्थ्य प्रबंधन पर आधारित है। मंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए इस मुफ्त प्रशिक्षण पहल की सराहना की। उनका मानना है कि इससे युवाओं को चंदन की खेती की ओर आकर्षित करने, विलुप्त होती इस कला को पुनर्जीवित करने और व्यापार के लिए भारत को एक अग्रणी बाजार के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।
चंदन लंबे समय से भारतीय विरासत एवं संस्कृति से जुड़ा हुआ है क्योंकि देश ने चंदन के वैश्विक व्यापार में 85 प्रतिशत का योगदान किया था। हालांकि बाद में यह तेजी से घटने लगा है। एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-बायोटिक और कैंसर-रोधी लाभों के साथ चंदन का उपयोग फार्मास्युटिकल्स, पर्सनल केयर और फर्नीचर में होता है।
वैश्विक स्तर पर भारत और ऑस्ट्रेलिया चंदन के सबसे बड़े उत्पादक हैं जबकि सबसे बड़े बाजारों में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और भारतीय घरेलू बाजार शामिल हैं। साल 2020 में चंदन का वैश्विक बाजार 30 करोड़ डॉलर था जबकि विश्व व्यापार अनुसंधान ने 2040 तक इस बाजार का आकार 3 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान जाहिर किया है। विकास की इस जबरदस्त क्षमता को पहचानते हुए मंत्री ने निर्यात के लिए गुणवत्तायुक्त उत्पाद बनाकर आगामी मांग को भुनाने के लिए तैयारी करने पर जोर दिया। उन्होंने माना कि चंदन की खेती वाले राज्यों में आईडब्ल्यूएसटी के नेतृत्व में चंदन प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र स्थापित करने, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास में मूल्यवर्धन के साथ-साथ किसानों एवं युवा उद्यमियों के बीच खेती के नए तरीकों को शुरू करने जैसी तमाम पहल के जरिये इसे हासिल किया जा सकता है।