देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत से विगत दिवस बीजापुर अतिथि गृह में केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र ने भेंट की। भेंट के दौरान मुख्यमंत्री श्री रावत ने केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराया कि राज्य सरकार द्वारा एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए ‘‘सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति-2015‘‘ बनायी गई है।
इसका मुख्य उद्देश्य पर्वतीय एवं सुदूर क्षेत्रों में पूंजी निवेश प्रोत्साहित कर रोजगार के अवसरों के सृजन के माध्यम से पलायन रोकने, स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्यमों की स्थापना एवं राज्य का समावशी विकास करना है। हमने यह भी प्रयास किया है कि नीति के माध्यम से प्रदेश में उपयुक्त वातावरण तैयार कर उद्यमियों को उद्योग स्थापना हेतु आधारभूत सुविधायें, वित्तीय संसाधन, प्रशिक्षण एवं विपणन सहायता एकीकृत रूप से उपलब्ध करायी जाय। नीति में पर्वतीय एवं दूरस्थ क्षेत्रों में उद्यम स्थापना हेतु प्रोत्साहन सहायता उपलब्ध करायी गई है। इस नीति को प्रभावी ढंग से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में लागू करने के लिए केन्द्र सरकार पूरा सहयोग दंे। पर्वतीय क्षेत्रों में माईक्रो एवं स्माॅल उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य को विशेश पैकेज दिया जाय। उत्तराखण्ड के लिए घोशित औद्योगिक पैकेज को समाप्त कर दिया गया है, जिसका राज्य को काफी नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में औद्योगिक निवेश के लिए बेहतर वातावरण है, जिसमें केन्द्र सरकार पूरा सहयोग करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पीएमईजीपी योजना में बेहतर प्रदर्शन किया गया है। मुख्यमंत्री ने आवंटित मार्जिन मनी से अधिक लक्ष्य दिये जाने का भी अनुरोध किया। उत्तराखण्ड राज्य तथा अन्य पर्वतीय राज्यों के दृष्टिगत पीएमईजीपी योजना में शाॅल, पंखी, थुलमा आदि के उत्पादन प्रस्तावों को भी शामिल किया जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने केन्द्रीय मंत्री को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया।
केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री द्वारा शनिवार को बीजापुर अतिथि गृह में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, एनएसआईसी व राज्य सरकार के सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। समीक्षा बैठक में केन्द्रीय मंत्री द्वारा राज्य में एम.एस.एम.ई. क्षेत्र की स्थिति की जानकारी ली तथा एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस क्षेत्र के विकास हेतु किये गये नवीन प्राविधानों से अवगत कराया गया। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि पर्वतीय क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमों को ही प्राथमिकता पर प्रोत्साहित किया जाय। शहरी क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक उद्यम स्थापित होते हैं, अतः उद्योग विभाग एवं खादी बोर्ड को दूरस्थ क्षेत्रों में इन उद्यमों की स्थापना पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। उद्योग विभाग द्वारा बताया गया कि प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना (पीएमईजीपी) ने राज्य में युवाओं को स्वरोजगार स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। राज्य की उपलब्धि गत वर्षों में लक्ष्य से अधिक रही है। राज्य सरकार द्वारा पीएमईजीपी योजना में आवंटित मार्जिन मनी से अधिक लक्ष्य दिये जाने का अनुरोध किया गया, जिसमें केन्द्रीय मंत्री द्वारा कार्रवाही का आश्वासन दिया गया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह उद्यम जहां एक ओर पर्यावरण हितैशी होते हैं, वहीं दूसरी ओर अधिक रोजगार सृजन के वाहक भी होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखण्ड राज्य तथा अन्य पर्वतीय राज्यों के दृष्टिगत पीएमईजीपी योजना की ऋणात्मक सूची से ऊन (पशमिना) व ऊनी वस्त्र उत्पादन हटा दिया गया है। इसलिए शाॅल, पंखी, थुलमा आदि के उत्पादन प्रस्तावों को भी अब इस योजना का लाभ दिया जा सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि एम.एस.एम.ई. मंत्रालय द्वारा एन.एस.आई.सी. के माध्यम से आजीविका परियोजना चलाई जा रही है, जिसके तहत् इनक्यूबेश्न संेटर स्थापित कर युवाओं को हैंड्सआॅन प्रशिक्षण प्रदान करना है। इस योजना में मंत्रालय द्वारा रु. 5 लाख से रु. 25 लाख तक की मशीनरी प्रशिक्षण हेतु उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के विभाग भी अपनी आवश्यकतानुरूप इस योजनान्तर्गत मशीनों की मांग कर सकते हैं।
उद्योग निदेशालय, उत्तराखण्ड के अपर निदेशक एस.सी. नौटियाल ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य गठन से पूर्व प्रदेष में 14,163 लघु स्तरीय औद्योगिक इकाईयाॅ स्थाई रूप से पंजीकृत थी, जिनमें रू0 700.29 करोड़ का पूंजी निवेश तथा 38,509 लोगों को रोजगार उपलब्ध था। राज्य गठन के पश्चात् से माह मई, 2015 तक प्रदेश में 33,662 सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम स्थापित हुये हैं। इन उद्यमों में रू0 8,956 करोड़ का पूंजी निवेश तथा 1,84,347 लोगों को रोजगार दिया गया है। कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, आॅटो मोबाइल, फार्मा, एफएमसीजी, आई.टी. एण्ड इलैक्ट्राॅनिक्स, जनरल इंजीनियरिंग, पैकेजिंग आदि ऐसे विशिष्ट क्षेत्र हैं, जिनमें उद्यमियों द्वारा सर्वाधिक निवेश किया गया है।
इस अवसर पर के.वी.आई.सी. के उप निदेशक वी.के. मलिक, सहायक निदेशक गंगन तिवारी, उद्योग निदेशालय की संयुक्त निदेशक श्रीमती कौशल्या बन्धु, के.सी. चमोली व एन.एस.आई.सी. के अधिकारी भी उपस्थित थे।