केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बी.एस. येदियुरप्पा ने कर्नाटक में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की आज संयुक्त रूप से विधान सौदा बेंगलुरु में समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने राज्य के दौरे पर आए केन्द्रीय मंत्री को आश्वासन दिया कि राज्य जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की गति बढ़ाने और 2023 तक कर्नाटक में बकाया 61.05 लाख घरों में नल से जल की आपूर्ति कराने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रीने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार ‘हर घर जल’ लक्ष्य को हासिल करनेमें राज्य को हर संभव सहायता उपलब्ध कराएगी। इस मिशन का उद्देश्य वर्ष 2024 तक देश के हर घर में नल का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के बारे में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को साकार करना है।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य हर ग्रामीण परिवार को नियमित एवं दीर्घ अवधि के आधार पर निर्धारित गुणवत्ता केजल को नल द्वारा आपूर्ति उपलब्ध कराने के कार्य की मासिक गहन समीक्षा करेगा। बैठक के दौरान अपर सचिव और राष्ट्रीय जल जीवन मिशन निदेशक श्री भरत लाल ने राज्य में जेजेएम की योजना एवं क्रियान्वयन पर प्रकाश डालते हुए एक प्रस्तुति दी। बाद में, उन्होंने प्रमुख सचिव और राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथमिशन के त्वरित कार्यान्वयन पर एक विस्तृत समीक्षा बैठक की।
जल जीवन मिशन शुरू होने के समय कर्नाटक के कुल 91.19 लाख घरों में से केवल 24.51 लाख (26.88 प्रतिशत) घरों में ही नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध थे। 22 महीनों में 5.62 लाख घरों में पीने के पानी के कनेक्शन दिए गए। इसके परिणाम स्वरूप अब राज्य के गांवों में 30.14 लाख घरों (33.05 प्रतिशत) में नल से पानी की आपूर्ति हो रही है।
वर्ष 2023 तक कर्नाटक को ‘हर घर जल’ वाला राज्य बनाने के लिए राज्य ने 2021-22 में 25.17 लाख घरों में नल के पानीके कनेक्शन तथा 2022-23 में 17.93 लाख घरों को नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराने तथा 2023-24 में बकाया 19.93 लाख घरों को नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।
राज्य के प्रत्येक घर में नल द्वारा पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य के दृढ़ संकल्प को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जल जीवन मिशन के तहत केंद्रीय अनुदान के रूप में 5,008.79 करोड़ की मंजूरी दी जो पिछले साल के केन्द्रीय आवंटन की तुलना में चार गुना अधिक है। इस बढ़े केन्द्रीय आवंटन से 177.16 करोड़ रुपये के प्रारंभिक बकाया राशि और और राज्य सरकार के 5,215.93 करोड़ रुपये की समान हिस्सेदारी से राज्य में 2020-21 के लिए जल आपूर्ति कार्य हेतु जल जीवन मिशन के तहत 10,401.88 करोड़ रुपये का कुल परिव्यय उपलब्ध हो गया है। इस प्रकार इस मिशन की कार्यान्वयन की गति में तेजी लाने के लिए पर्याप्त धन की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है।
वर्ष 2021-22 में कर्नाटक को 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुदान के रूप में ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं को जल एवं स्वच्छता के लिए 1,426 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अगले पांच साल यानी 2025-26 तक 7,524 करोड़ रुपये का सुनिश्चित वित्त पोषण हो गया है। कर्नाटक के ग्रामीण क्षेत्रों में इस बड़े निवेश से आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे गांवों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
कर्नाटक ने स्कूलों, आश्रमशालाओं और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल उपलब्ध कराने में अच्छा काम किया है। वर्तमान में 41,636 स्कूलों (99 प्रतिशत) और 51,563 आंगनबाड़ी केंद्रों (95 प्रतिशत) को नल से जल उपलब्ध कराया गया है। केंद्रीय मंत्री ने स्कूलों और आंगनबाड़ियों में किए गए कार्य की प्रशंसा की और राज्य से बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर स्वच्छता और साफ-सफाई के लिए सभी बकाया शिक्षण केंद्रों में जल्द से जल्द नल से जल की शत-प्रतिशत कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए कहा।
राज्य पानी की कमी वाले क्षेत्रों,गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गांवों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत गांवों के घरों में नल से जलकी आपूर्ति को प्राथमिकता दे रहा है।
जल गुणवत्ता देख-रेख और निगरानी गतिविधियों को उच्च प्राथमिकता दी जा रही हैजिसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह के सदस्य, पीआरआई सदस्य, स्कूल शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके दूषित पानी के नमूनों की जांच कर सकें। कुल 78 प्रयोगशालाओं में से केवल 1 प्रयोगशाला ही एनएबीएल से मान्यता प्राप्त है। राज्य को इन जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं के तेजी से उन्नयन और एनएबीएल मान्यता हासिल करने में तेजी लाने की जरूरत है। इन प्रयोगशालाओं को जनता के लिए खोल दिया जाएगा ताकि वे मामूली लागत पर अपने पानी के नमूनों की जांच करा सकें।
जल जीवन मिशन में बॉटम अप दृष्टिकोण यानी प्रत्येक प्रमुख घटक को समान महत्व दिया गया है।इस दृष्टिकोण को अपनाते हुए योजना से लेकर कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव तक समुदाय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस उपलब्धि के लिए राज्य सरकार को ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी)/पानी समिति को मजबूत बनाने और अगले पांच वर्षों के लिए ग्राम कार्य योजना विकसित करने तथा कार्यान्वयन करने वाली राज्य एजेंसियों (आईएसए) को ग्राम समुदायों को संभालने और समर्थन करने के लिए सहायक गतिविधियों को शुरू करना तथा लोगों में जागरूकता प्रसार करना है।अब तक कर्नाटक में 28,883 गांवों में 22,203 वीडब्ल्यूएससी या पानी समितियां हैं और 19,446 ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार की जा चुकी हैं। वर्ष 2021-22 मेंराज्य ने 30 कार्यान्वयन राज्य एजेंसियों (आईएसए) को शामिल करने की योजना बनाई है। कर्नाटक को ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 2 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है ताकि हर घर को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिन स्थिरता और परिचालन सुनिश्चित किया जा सके।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन का शुभारंभ किया था। इस मिशन को तेजी लागू किया गया है 2019 में मिशन की शुरुआत मेंदेश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) घरों में ही नल से पानी की आपूर्ति हो रही थी। पिछले 22 महीनों के दौरान कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन व्यवधानों के बावजूद4.47 करोड़ घरों को जल आपूर्ति कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इस बढ़ोतरी से 23.63 प्रतिशत हुई है और वर्तमान में 7.71 करोड़ (41 प्रतिशत) ग्रामीण घरों में नल से पानी की आपूर्ति हो रही है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और पुडुचेरी के ग्रामीण क्षेत्रों में शत-प्रतिशत पानी कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं और ये राज्य ‘हर घर जल’ वाले राज्य बन गए हैं। प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ मिशन का अनुसरण करते हुएमिशन का आदर्श वाक्य है कि ‘कोई भी घर छूट न पाए’ और गांव के हर घर को नल से जल आपूर्ति का कनेक्शन उपलब्ध कराए गए। वर्तमान में 71 जिलों के 99 हजार से अधिक गांवों के हर घर में जल की आपूर्ति हो रही है।