केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 59वें स्थापना दिवस पर ग्रेटर नोएडा में आयोजित समारोह की अध्यक्षता की और परेड की सलामी ली।
श्री जी किशन रेड्डी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र को मानते हुए विश्व शांति का संदेश देती है। वहीं शास्त्रों के साथ-साथ शस्त्रों की पूजा करने का मंत्र भी इसी भारतीय संस्कृति ने दिया है जिससे हमें दुश्मन द्वारा पैदा की गई हर तरह की विषम परिस्थिति के लिए अपने आपको पूर्ण रूप से सशक्त करने का मंत्र भी मिलता है। श्री रेड्डी ने कहा कि आइटीबीपी वर्ष 1962 में अपनी स्थापना के बाद से ही देश की सीमाओं की रक्षा कर रही है। कितनी भी विषम परिस्थिति हो आइटीबीपी के जवान ऊंचे मनोबल से अपनी ड्यूटी का पालन करते हैं और भारत माता की सेवा में पूर्ण राष्ट्रभक्ति के साथ जमकर खड़े रहते हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से लडाई हो या छत्तीसगढ़ में लेफ्ट विंग का संघर्ष सभी जगह आइटीबीपी ने उत्कृष्टता के साथ प्रदर्शन किया है।
श्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार आइटीबीपी को पूर्ण रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। गृह मंत्री श्री अमित शाह के प्रभावी नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने आइटीबीपी को अधिक सक्षम और आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। श्री रेड्डी ने बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा आईटीबीपी को 47 बॉर्डर आउटपोस्ट बनाने की मंजूरी दे दी गई है। जवानों को आवश्यक यूनीफार्म और मॉनिटरिंग इक्विपमेंट दिए गए है। एक वर्ष में 28 प्रकार के नए वाहनों की व्यवस्था की गई है। आईटीबीपी के लिए 7,223 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। साथ ही प्रबंधन के लिए 15 करोड़ से अधिक राशि मंजूर की गई है।
श्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब देश कोरोना महामारी से लड़ रहा था उस समय आईटीबीपी के जवानों ने भी कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दिया। लॉकडाउन के दौरान दूर-दराज के इलाकों में रहने वाली आम जनता को आइटीबीपी के द्वारा आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई की गई। श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में छतरपुर में आईटीबीपी को दुनिया के सबसे बड़े सरदार पटेल कोविड-19 अस्पताल चलाने की जिम्मेदारी दी गई जिसे पूर्णकर आईटीबीपी ने मानव सेवा का उत्कृष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। श्री रेड्डी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में युवाओं को खेल से जोड़ना हो,आम जनता के लिए साफ पीने के पानी की व्यवस्था करना हो या दूर-दराज के इलाकों में मेडिकल कैंप लगाना सभी जगह आईटीबीपी के जवान बिना थके अपने मोर्चे पर ढटे रहे। जवानों ने कंधों पर उठाकर कई किलोमीटर तक मरीजों को मुश्किल रास्तों से चलते हुए अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाने का भी काम किया जो मानवता का प्रतिरूप है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि भारत सरकार की योजनाओं को सफल बनाने में भी आईटीबीपी के जवान सक्रिय भूमिका अदा करते हैं। गृह मंत्री श्री अमित शाह के कहने पर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ी संख्या में पौधारोपण भी किया गया। आईटीबीपी के जवानों ने बड़े पैमाने पर फिट इंडिया मूवमेंट के माध्यम से आम जनता को फिट रहने की प्रेरणा दी। आईटीबीपी का देश के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान है। कोई भी पडोसी देश जब किसी प्रकार की बाधा डालकर देश के आर्थिक विकास को रोकना चाहते हैं तब आईटीबीपी के जवान उन कुप्रयासों को विफल करते हैं तो देश का आर्थिक विकास सही दिशा में तेज गति से बढ़ता है।
श्री रेड्डी ने आइटीबीपी के शहीदों को नमन करते हुए कहा कि मैं शहीदों के परिवाराजनों को विश्वास दिलाना वाहता हूं कि पूरा देश और भारत सरकार सदैव उनके साथ है।
श्री रेड्डी ने आईटीबीपी कर्मियों को छह राष्ट्रपति पुलिस पदक और सराहनीय सेवाओं के लिए 23 पुलिस पदक प्रदान किए। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि आईटीबीपी के बलिदान और वीरता के लिए राष्ट्र हमेशा उनपर गर्व करेगा और उनका ऋणी रहेगा।
इससे पहले आइटीबीपी के महानिदेशक श्री सुरजीत सिंह देशवाल ने श्री जी किशन रेड्डी को आइटीबीपी के वर्तमान दायित्वों के बारे में जानकारी दी। श्री देशवाल ने बताया कि गृह मंत्रालय के नेतृत्व में आईटीबीपी के मॉर्डनाइजेशन के लिए लगातार कोशिश की जा रही है जिसमें जवानों को आधुनिक गाड़ियां, जैकेट, हेलमेट आदि की खरीद शामिल है। इसके साथ ही राइफल को भी अपग्रेड किया गया है, सीमा पर बेहतर कम्युनिकेशन के लिए इक्विपमेंट भी लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें गर्व है कि कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में आईटीबीपी को देश की सेवा करने का मौका मिला जिसमें स्वास्थ्य सेवाएं तथा अन्य सेवाएं निशुल्क प्रदान की गईं।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की स्थापना 24 अक्टूबर, 1962 को भारत-चीन सीमा पर चीनी आक्रमण के मद्देनजर की गई थी। प्रत्येक वर्ष इस दिन को आईटीबीपी कर्मियों का मनोबल बढ़ाने और इसकी वीरता तथा उपलब्धियों को याद करने के लिए बल के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। आईटीबीपी को शुरू में सीमावर्ती आसूचना, अवैध घुसपैठ और तस्करी रोकने तथा एक गुरिल्ला बल के रूप में भारत-तिब्बत सीमा के साथ-साथ सुरक्षा स्थापित करने के लिए गठित किया गया था। बल के विस्तार के परिणामस्वरूप, आईटीबीपी को समय-समय पर सीमा सुरक्षा ड्यूटी, आतंकवाद रोधी कार्य और आंतरिक सुरक्षा कार्यों के अलावा अन्य कार्य भी सौंपे गए हैं।