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केंद्रीय मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने समुद्री राज्य विकास परिषद की 18वीं बैठक की अध्यक्षता की

देश-विदेश

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने आज समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) की 18वीं बैठक की अध्यक्षता पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा आयोजित एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की।

परिषद को संबोधित करते हुए श्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि एमएसडीसी का उद्देश्य राज्यों और केंद्र दोनों के लिए फायदेमंद समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक राष्ट्रीय योजना विकसित करना और क्षेत्र के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना है। उन्होंने आगे कहा कि देश का विकास राज्यों के विकास पर निर्भर करता है और एमएसडीसी सहकारी संघवाद का सबसे अच्छा उदाहरण है। मंत्री ने कहा, “अलग-अलग होकर हम विकास नहीं कर सकते। विकास के लिए एकजुट होना बेहद जरूरी है।”

भारतीय बंदरगाह विधेयक 2021 की आवश्यकता पर बल देते हुए मंत्री ने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे इस अधिनियम को राजनीतिक मुद्दे के रूप में न देखें, बल्कि इसे विकास के मुद्दे के रूप में देखें। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय बंदरगाह विधेयक 2021 केंद्र सरकार और समुद्री क्षेत्र वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी के माध्यम से समुद्र तट के बेहतरीन प्रबंधन और उपयोग की सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने राज्यों को आश्वासन दिया कि पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय एक व्यापक बंदरगाह विधेयक विकसित करने के लिए राज्यों के सभी सुझावों का स्वागत करेगा।

जलमार्ग राज्य मंत्री ने कहा, “18वीं समुद्री राज्य विकास परिषद की बैठक में आज समुद्री क्षेत्र की समग्र प्रगति से संबंधित बहुत महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों संयुक्त रूप से समुद्री क्षेत्र के विकास पर काम करेंगे। इसमें कई बंद पड़ी बंदगाहों का विकास भी शामिल है। हमारे प्रधानमंत्री की सोच के अनुसार विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समयबद्ध तरीके से सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है और ऐसे में एमएसडीसी इस पर चर्चा करने के लिए एक सक्रिय मंच है।”

बैठक के दौरान जिन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की गई, वे हैं- भारतीय बंदरगाह विधेयक 2021, राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय (एनएमएचसी), बंदरगाहों के साथ रेल और सड़क संपर्क, समुद्री संचालन और समुद्री विमान संचालन के लिए फ्लोटिंग जेटी, सागरमाला परियोजनाएं और नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) परियोजनाएं।

भारतीय बंदरगाह विधेयक 2021: भारत के बंदरगाह विकास में तेजी लाने की दिशा में एक कदम

वित्त वर्ष 2020 में भारतीय बंदरगाहों पर यातायात का संचालन लगभग 1.2 बिलियन मीट्रिक टन है, जिसके 2030 तक बढ़कर 2.5 बिलियन मीट्रिक टन होने की उम्मीद है। दूसरी ओर, भारत में केवल कुछ बंदरगाहों के पास ही जो सुविधा है जिससे जहाजों के पलटने जैसे स्थितियों से निपटा जा सकता है। इसके अलावा, भारत के तट पर लगभग 100 ऐसी बंदरगाहें हैं जो चालू हालत में नहीं है। जहाजों के लगातार बढ़ते आकार के लिए डीप ड्राफ्ट पोर्ट होने अनिवार्य हैं और वास्तव में मेगा पोर्ट्स को विकसित करने की आवश्यकता है। इसी तरह, बंद पड़ी बंदरगाहों को भी प्राथमिकता पर विकसित करने की आवश्यकता है।

मौजूदा बंदरगाहों को बढ़ाने या नई बंदरगाहों को एक कुशल और टिकाऊ तरीके से विकसित करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर के एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो बदले में माल ढुलाई लागत को काफी हद तक कम कर देगा और व्यापार में वृद्धि लाएगा। राष्ट्रीय स्तर की एकीकृत बंदरगाह योजना को ‘विश्व बैंक की पोर्ट रिफॉर्म बुक और यूएनसीटीएडी की ‘विकासशील देशों में योजनाकारों के लिए पुस्तिका’ आदि विभिन्न रिपोर्टों में भी उजागर किया गया है।

एमएसडीसी प्रमुख बंदरगाहों सहित सभी बंदरगाहों की योजना पर सलाह देगा। इसके अलावा, सभी बंदरगाहों द्वारा इस तरह के सम्मेलनों में निर्धारित सभी आवश्यकताओं को लागू करने के लिए सुरक्षा और प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित बिंदुओं को भी आईपी विधेयक 2021 में शामिल किया गया है।

एनएमएचसी- भारत का पहला समुद्री विरासत परिसर

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) को गुजरात के लोथल में लगभग 350 एकड़ के क्षेत्र को भारत की समुद्री विरासत को समर्पित एक विश्व स्तरीय संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाना है। इस समुद्री विरासत परिसर को एक समुद्री संग्रहालय, लाइटहाउस संग्रहालय, समुद्री थीम पार्क और मनोरंजन पार्क आदि के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

एनएमएचसी के प्रमुख आकर्षणों में से एक यह है कि प्रत्येक तटीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश का अपनी विशिष्ट समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक पवेलियन होगा। बैठक के दौरान तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया कि वे अपने-अपने पवेलियन का विकास करें।

पोर्ट कनेक्टिविटी को बढ़ाना

बंदरगाहों को अन्य जगहों से जोड़ना भी महत्वपूर्ण है और मंत्रालय अपनी प्रमुख पहल सागरमाला कार्यक्रम के माध्यम से पोर्ट कनेक्टिविटी पर जोर दे रहा है। मंत्रालय ने 45,051 करोड़ रुपये की लागत वाली 98 पोर्ट-रोड कनेक्टिविटी परियोजनाएं शुरू की हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, प्रमुख बंदरगाहों, समुद्री बोर्डों और राज्य सड़क विकास कंपनियों जैसी विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ इन परियोजनाओं को चलाया जा रहा है जिनमें से 13 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 85 परियोजनाएं विकास और कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इसी तरह, 75,213 करोड़ रुपए की लागत वाली  91 पोर्ट-रेल कनेक्टिविटी परियोजनाएं भी चल रही हैं। जलमार्ग मंत्रालय द्वारा भारतीय रेल, प्रमुख बंदरगाहों और समुद्री बोर्डों के साथ इन्हें पूरा किया जा रहा है जिनमें से 28 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 63 परियोजनाएं विकास और कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।

फंडिंग से जुड़े मुद्दों और उन परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों का निवारण करने के लिेए जो पीपीपी मोड के तहत विकसित होने के लिए उपयुक्त नहीं है, राज्य, केंद्र सरकार और निजी खिलाड़ियों के बीच एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के गठन की सलाह दी गई है जिसके लिए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से रुचि जताने का अनुरोध किया गया है।

समुद्री संचालन और समुद्री विमान सेवाओं के लिए फ्लोटिंग जेटी

अन्य देशों में फ्लोटिंग जेटी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। परंपरागत जेटी की तुलना में फ्लोटिंग जेट्टी के कई फायदे हैं जैसे लागत-प्रभावशीलता, त्वरित निर्माण, न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव, विस्तार और स्थानांतरित करने  में आसान और तेज लहरों वाले स्थानों के लिए उपयुक्त आदि।

बंदरगाहों, जलमार्गों और तटों के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र (एनटीसीपीडब्ल्यूसी), आईआईटी मद्रास को भारतीय तटरेखा में 150 से अधिक फ्लोटिंग जेटी विकसित करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया गया था और काम प्रगति पर है। फ्लोटिंग जेट्टी का मुख्य रूप से फिशिंग हार्बर्स/फिश लैंडिंग सेंटर्स और सीप्लेन संचालन के लिए उपयोग करने का प्रस्ताव है।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी परियोजना के लिए फ्लोटिंग जेटी/प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से फ्लोटिंग जेटी विकसित करने के लिए अधिक स्थानों की पहचान करने का अनुरोध किया गया है। प्रस्ताव के उचित अनुमोदन के बाद परियोजनाओं पर सागरमाला से फंडिंग के लिए विचार किया जा सकता है।

भारतीय बुनियादी ढांचे को सागरमाला कार्यक्रम और नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) के जरिए मजबूती

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय में विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाएं हैं जो सागरमाला कार्यक्रम और  नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत की जाती हैं।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने सागरमाला कार्यक्रम के तहत कार्यान्वयन के लिए 5.53 लाख करोड़ रुपये के निवेश की 802 परियोजनाओं को विकसित करने का प्रस्ताव रखा है। जिनमें से 87,000 करोड़ रुपये की लागत वाली 168 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, 2.18 लाख करोड़ की लागत वाली 242 परियोजनाएं चालू हैं। इसी तरह, जलमार्ग मंत्रालय 1.28 लाख करोड़ की लागत वाली 123 परियोजनाओं को एनआईपी के तहत 2020 से चला रहा है। इसके अलावा, समुद्रतट समृद्धि योजना के तहत तट आधारित समृद्धि के लिए 1226 परियोजनाएं हैं, जिनमें से 192 परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

जलमार्ग मंत्रालय ने तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उन परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने का अनुरोध किया जहां राज्य सरकार कार्यान्वयन एजेंसी है, और जिन परियोजनाओं को मंत्रालय से अनुदान के माध्यम से या सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (एसजीसीएल) के माध्यम से इक्विटी फंडिंग के रूप में सेंट्रल फंडिंग पर विचार किया जा सकता है।

इस अवसर पर बोलते हुए, जलमार्ग मंत्री ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रासंगिक और तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। चाहे यह बंदरगाहों को मजबूत करना हो, रेल या सड़क बुनियादी ढांचे के माध्यम से बहु-आयामी कनेक्टिविटी लानी हो या फिर सागरमाला, एनआईपी और सागरतट समृद्धि योजना के माध्यम से की गई विभिन्न परियोजना पहल हों, सभी के विकास पर जोर देने की बात मंत्री ने कही।

बैठक में केरल के बंदरगाह मंत्री श्री अहमद देवरकोइल, तमिलनाडु के लोक निर्माण मंत्री श्री तिरु ईवी वेलु, महाराष्ट्र के कपड़ा, मत्स्य पालन और बंदरगाह विकास मंत्री श्री असलम शेख, गोवा के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, अपशिष्ट प्रबंधन, आरडीए और बंदरगाह मंत्री श्री माइकल लोबो, आंध्र प्रदेश के उद्योग, वाणिज्य, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री मेकापति गौतम रेड्डी, ओडिशा के योजना और अभिसरण, वाणिज्य और परिवहन मंत्री श्री. पद्मनाभ बेहरा, एडमिरल डी के जोशी (सेवानिवृत्त), उपराज्यपाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सहित राज्यों के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया। यहां संबद्ध मंत्रालयों के प्रतिनिधियों और अधिकारियों ने भी भाग लिया।

एमएसडीसी की पृष्ठभूमि: एमएसडीसी समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक शीर्ष सलाहकार निकाय है और इसका उद्देश्य प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के एकीकृत विकास को सुनिश्चित करना है। एमएसडीसी का गठन मई, 1997 में राज्य सरकारों के परामर्श से संबंधित समुद्री राज्यों द्वारा या तो सीधे या कैप्टिव यूजर और निजी भागीदारी के माध्यम से मौजूदा और नए छोटे बंदरगाहों के भविष्य के विकास का आकलन करने के लिए किया गया था। इसके अलावा, एमएसडीसी समुद्री राज्यों में छोटी बंदरगाहों, कैप्टिव बंदरगाहों और निजी बंदरगाहों के विकास की निगरानी भी करता है ताकि प्रमुख बंदरगाहों के साथ उनके एकीकृत विकास को सुनिश्चित किया जा सके और सड़कों/रेल/आईडब्ल्यूटी जैसी अन्य बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकताओं का आकलन किया जा सके और संबंधित मंत्रियों को उपयुक्त सिफारिशें दी जा सकें।

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