नई दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री को राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के संबंध में पत्र लिखते हुए उन्हें कोविड-19 की स्थिति के प्रभावी नियंत्रण के लिए बधाई दी है। जल शक्ति मंत्री प्रधानमंत्री के प्रमुख कार्यक्रम जल जीवन मिशन को कार्यान्वित करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने हेतु राज्यों के साथ कार्य करते रहे हैं। इस मिशन का लक्ष्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 55 लीटर पीने का पानी उपलब्ध कराना है। जेजेएम का लक्ष्य ग्रामीण व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं एवं लड़कियों के जीवन में उनकी कठिन मेहनत में कमी लाने के जरिये सुधार लाना है।
चूंकि कर्नाटक 2022-23 तक 100 प्रतिशत पारिवरिक कवरेज की योजना बना रहा है, केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को बधाई दी है और उनसे राज्य में जेजेएम के त्वरित कार्यान्वयन के लिए आग्रह किया है जिससे कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सके। राज्य में 89.61 लाख ग्रामीण परिवारों में से, 24.41 लाख को पहले ही नल कनेक्शन (एफएचटीसी) उपलब्ध कराया जा चुका है। 2019-20 में केवल 22, 133 नल कनेक्शन उपलब्ध कराया गया था। 2020-21 में राज्य 23.57 लाख परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है। केंद्रीय मंत्री ने इस वर्ष के दौरान 3,139 वर्तमान पाइप युक्त जलापूर्ति प्रणालियों के पुनःसंयोजन एवं संवर्धन पर फोकस किया है जो 23.57 लाख नल कनेक्शन उपलब्ध करा सकता है और यही कारण है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से ‘अभियान मोड‘ में कार्य आरभ करने का आग्रह किया है जिससे कि निर्धन और हाशिये पर रहने वाले लोगों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सके।
केंद्र सरकार ने कर्नाटक में 2020-21 में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 1,189.40 करोड़ रुपये के फंड को मंजूरी दी है जोकि 2019-20 के 546.06 करोड़ रुपये के मुकाबले एक उल्लेखनीय वृद्धि है। राज्य के पास उपलब्ध 80.44 करोड़ रुपये के आदिशेष के साथ और इस वर्ष के 1,189.40 करोड़ रुपये के आवंटन को मिला कर तथा राज्य के बराबर के हिस्से पर विचार करते हुए कर्नाटक में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए कुल 2,734.03 करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे। राज्य से भौतिक इनपुट यानी उपलब्ध कराये गए नल कनेक्शनों की संख्या एवं अनुरूप वित्तीय प्रगति के लिहाज से कार्यक्रम के त्वरित कार्यान्वयन का आग्रह किया जाता रहा है जिससे कि राज्य निष्पादन के आधार पर अतिरिक्त निधियों का लाभ उठा सके। पारदर्शिता एवं फंडों की आसान ट्रैकिंग के लिए लोक वित प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) को अनिवार्य रूप से अंगीकार करने को रेखांकित किया जाता रहा है।
गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रां में पाइप युक्त जल आपूर्ति उपलब्ध कराने के महत्व का उल्लेख करते हुए मंत्री ने मुख्यमंत्री से आर्सेनिक एवं फ्लुराइड प्रभावित 685 बस्तियों में रहने वाले राज्य की 3.60 लाख आबादी को पेय जल उपलब्ध कराने का आग्रह किया। फोकस जल की कमी वाले क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों, एससी एवं एसटी बहुल क्षेत्रों तथा सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के सार्वभौमिक कवरेज पर होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने पीआरआई को बहुत न्यायोचित तरीके से 15वें वित आयोग के उपयोग पर जल दिया, जिसका 50 प्रतिशत जल एवं स्वच्छता पर व्यय किया गया है। राज्य 2020-21 में वित आयोग अनुदान के रूप् में 3,217 करोड़ रुपये प्राप्त करेगा। राज्य द्वारा ग्राम स्तर पर मनरेगा, एसबीएम (जी), पीआरआई को 15वां वित आयोग अनुदान, जिला मिनरल विकास फंड, सीएएमपीए, सीएसआर फंड, स्थनीय क्षेत्र विकास फंड जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के तहत संमिलन योजन की आवश्यकता पर जोर देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने जल संरक्षण गतिविधियों के लिए ऐसी सभी निधियों के क्रमवेशन द्वारा प्रत्येक गांव की ग्राम कार्ययोजना (वीएपी) की तैयारी का आग्रह किया जिससे कि जल स्रोत सुदृढ़ हो सके तथा पेय जल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री ने दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए गांवों में जलापूर्ति प्रणालियों के योजना निर्माण, कार्यान्वयन, प्रबंधन, परिचालन एवं रखरखाव में स्थानीय ग्राम समुदाय/ग्राम पंचायत या यूजर ग्रुपों को शामिल करने पर भी बल दिया। जेजेएम को वास्तव में एक जन आंदोलन बनाने के लिए सभी गांवों में समुदाय जागरूकता के साथ आईईसी अभियान आरंभ करने का भी आग्रह किया गया है। गांव के भीतर ही जल आपूर्ति अवसंरचना के सृजन तथा उनके प्रचालन और रखरखाव के लिए ग्रामीण समुदाय को गतिशील बनाने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों तथा स्वयंसेवी संगठनों को इससे जोड़ने की आवश्यकता है।
कोविड-19 महामारी की वर्तमान स्थिति में केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री से गांवों में तत्काल जल आपूर्ति एवं जल संरक्षण से संबंधित कार्य आरंभ करने का आग्रह किया जिससे कि कुशल एवं अर्ध कुशल प्रवासी मजदूरों को कार्य उपलब्ध कराया जा सके तथा ग्रामीण लोगों के परिवारों को पेय जल सुनिश्चित की जा सके और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाया जा सके।
कर्नाटक को ‘100 प्रतिशत एफएचटीसी राज्य‘ बनाने के लिए राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन हेतु कर्नाटक के मुख्यमंत्री को बिना शर्त समर्थन देने का आश्वासन देते हुए, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने मिशन के उद्वेश्यों, कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को समुचित मात्रा में और नियमित तथा दीर्घकालिक रूप से अनुशंसित गुणवत्ता का पीने का पानी उपलब्ध हो सके, अर्जित करने के लिए कार्यक्रम के त्वरित कार्यान्वयन का आग्रह किया।