केंद्रीय पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल की उपस्थिति में संवाद कार्यक्रम के तहत ग्राम सभा, स्वामित्व योजना और पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में राज्यों की भूमिका के माध्यम से विकेन्द्रीकृत सहभागी लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के संबंध में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिल नाडु, तेलंगाना और केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी और लक्षद्वीप के साथ प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर तमिलनाडु सरकार के ग्रामीण विकास, पंचायत और पंचायत संघ के मंत्री श्री के. आर. पेरियाकरुप्पन भी उपस्थित थे।
केंद्रीय पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने जमीनी स्तर पर सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए सभी साझेदारों के बीच बेहतर समन्वय को लेकर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के साथ नियमित बातचीत और रचनात्मक परामर्श की आवश्यकता पर बल दिया। श्री गिरिराज सिंह ने जोर दिया कि मंत्रालयों, राज्यों, पंचायती राज संस्थानों और अन्य साझेदारों के बीच समन्वय बड़े पैमाने पर ग्रामीण आबादी के लिए बेहतर जीवन व कल्याण सुनिश्चित करने और पूरे देश में पंचायती राज प्रणाली को मजबूत करने के लिए साझा लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण है। स्थानीय शासन संरचनाओं को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की शक्ति का उपयोग करने के साथ हम अपनी पंचायतों को ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक प्रमुख घटक बना सकते हैं।
श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास की काफी संभावनाएं हैं और उन्होंने पंचायती राज संस्थानों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और ग्रामीण आर्थिक गतिविधियों में रोजगार के अवसर पैदा करने की संभावनाएं तलाशने में योगदान देने का आह्वान किया। इसके माध्यम से देश ग्रामीण स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों को भी प्राप्त कर सकता है।
मंत्री ने सुझाव दिया कि पंचायतों के माध्यम से गांवों में फलों की खेती या गांवों में फल फसलों को उगाकर फल उत्पादन में सुधार के माध्यम से गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पंचायत को अपने क्षेत्र की 20 प्रतिशत निजी भूमि पर उच्च गुणवत्ता वाले जैविक फलों के पौधे लगाकर किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में काम करना है। श्री सिंह ने कहा कि मनरेगा से तालमेल कर फलदार पौधे लगाने के कार्य को गति दी जा सकती है।
श्री गिरिराज सिंह ने राज्यों से पंचायत विकास योजनाओं को तैयार करने और उन्हें ई-ग्रामस्वराज पोर्टल पर अपलोड करने में तेजी लाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्यों को भी भारतनेट के माध्यम से ग्राम पंचायतों को सक्रिय और विश्वसनीय इंटरनेट से जोड़ने के काम में तेजी लानी चाहिए, जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता तब तक राज्य पंचायत भवनों में सामान्य सेवा केंद्र स्थापित करने के काम में तेजी लाएं।
श्री गिरिराज सिंह ने केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं को ग्राम पंचायतों से जोड़ने और स्थानीय स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों को उचित तालमेल के माध्यम से प्राप्त करने की दिशा में प्रयास करने पर जोर दिया।
इस अवसर पर केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि केंद्र और राज्य की योजनाओं का लाभ पंचायतों के माध्यम से जमीनी स्तर तक पहुंचे, इसके लिए उचित प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में संगठित तरीके से कार्य करने के अलावा केन्द्र व राज्य सरकार की सभी योजनाओं की जानकारी ग्राम सभा के माध्यम से ग्रामीणों तक पंचायत प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों एवं अन्य साझेदारों की सक्रिय भागीदारी से पहुंचनी चाहिए। हमारा उद्देश्य अंतिम छोर तक के लाभार्थियों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना और सहभागी योजना प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है। श्री पाटिल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अंतिम छोर तक कुशल सेवाओं की पहुंच देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में चहुंमुखी विकास में तेजी लाने की कुंजी है।
इस अवसर पर तमिल नाडु सरकार के ग्रामीण विकास, पंचायत और पंचायत संघ मंत्री श्री के. आर. पेरियाकरुप्पन ने अपने विचार रखे।
पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री सुनील कुमार ने राज्यों के साथ बातचीत में कहा कि पंचायती राज मंत्रालय ने पिछले साल राज्यों के साथ ग्राम सभा के माध्यम से विकेन्द्रीकृत और सहभागी लोकतंत्र को मजबूत करने के संबंध में कई बैठकें आयोजित की थीं और हमारे प्रयास रंग लाए हैं। ऐसे प्रयासों के परिणाम अब दिखाई दे रहे हैं।
श्री सुनील कुमार ने कहा कि जीवंत ग्राम सभा के कारण स्थानीय स्वशासन अपने कामकाज में अधिक जवाबदेह, पारदर्शी व प्रभावी होगा और केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सभी योजनाओं को बेहतर और कुशल तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा। ग्राम पंचायत की समितियों और उप-समितियों को सक्रिय करने की आवश्यकता के अलावा उन्होंने राज्यों से प्रत्येक ग्राम सभा की कार्यसूची में गांव के विकास से संबंधित एक या दो मुद्दों को शामिल करने और एक सौहार्द्रपूर्ण समाधान खोजने के लिए उन पर स्पष्ट रूप से चर्चा करने का भी आग्रह किया।
श्री सुनील कुमार ने ग्राम पंचायतों को जीवंत बनाने की दिशा में दक्षिणी राज्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि दक्षिणी राज्य इस मामले में पूरे देश के लिए आदर्श बन सकते हैं। उन्होंने सभी राज्यों से जीवंत ग्राम सभा पोर्टल पर सूचनाओं को लगातार अपडेट करने का भी आग्रह किया। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिल नाडु, तेलंगाना और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी और लक्षद्वीप के पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिवों ने भी अपने विचार रखे और बैठक के दौरान चर्चा की गई कार्यसूची विषयों के संबंध में की गई कार्रवाई की स्थिति से अवगत कराया और केंद्रीय पंचायती राज मंत्री को आश्वासन दिया गया कि साझेदारों और विशेष रूप से एमओपीआर के साथ निरंतर परामर्श के माध्यम से सामने आए संसाधनों व अवरोध को ध्यान में रखते हुए जहां कहीं भी इसे इंगित किया गया है उसे पूरा करने प्रयास किया जाएगा।
वर्चुअल रूप से आयोजित बैठक के उद्घाटन सत्र में अपर सचिव श्री (डॉ.) चंद्रशेखर कुमार ने स्वागत भाषण दिया। संयुक्त सचिव श्री खुशवंत सिंह सेठी ने ग्राम सभा के माध्यम से विकेन्द्रीकृत सहभागी लोकतंत्र को मजबूत करने पर संक्षिप्त प्रस्तुति दी और मंत्रालय के विचार साझा किए। संयुक्त सचिव श्री आलोक प्रेम नागर ने स्वामित्व योजना पर प्रस्तुति दी। संयुक्त सचिव श्रीमती रेखा यादव ने पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में राज्यों की भूमिका पर प्रस्तुति दी।