नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की नई ड्रेस (गणवेश) की इसी हफ्ते से देशभर में ब्रिकी शुरू हो रही है। संघ का नया गणवेश इस वर्ष विजयादशमी से लागू हो रहा है। यह बदलाव 1925 में संघ की स्थापना से लेकर अब तक के अहम बदलावों में से एक है।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ मनमोहन वैद्य ने बताया कि, “खाकी निकर के स्थान पर अब ऑलिव ब्रॉउन शेड की फुल पैंट है और उसी शेड के मोज़े (सॉक्स) भी हैं। सफ़ेद शर्ट अब पूरी बांह की है, सर पर काली टोपी भी कायम है।”
सोमवार को प्रचारक रामभाऊ बोडाले के हाथों से नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में नई फुल पैंट और सॉक्स की बिक्री की शुरुआत की गई। नागपुर के स्वयंसेवकों के लिए कुल 90 हजार पैंटस एवं सॉक्स उपलब्ध कराए गए हैं। इससे पहले कानपुर से आए इन पैकेट्स का पूजन किया गया।
संघ के विदर्भ प्रांत प्रचार प्रमुख अतुल पिंगले ने बीबीसी को बताया कि कमर के नाप के अनुसार पैन्ट्स के अलग-अलग नंबर दिए गए हैं। इन साइज नंबरों के अनुसार उनका एक ही न्यूनतम मूल्य तय किया गया है। 20 नम्बर का फुल पैंट सिर्फ ढाई सौ रुपए का है तो सबसे बड़ा 48 नम्बर साइज का फुल पैंट साढ़े तीन सौ रुपए का है। मोज़े 25 रुपए में आरएसएस के स्टोर्स में उपलब्ध हैं।
नए गणवेश की तमाम जानकारी स्थानीय भाषाओं में एसएमएस के ज़रिए स्वयंसेवकों तक पहुँचाई जा रही है। एक तयशुदा कार्यक्रम के तहत गणवेश बदलाव का यह बड़ा कदम देशभर में लागू करना सम्भव हो सका है। मनमोहन वैद्य ने बीबीसी से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की।
उन्होंने बताया कि, “भीलवाड़ा से कपड़ा लेकर भिन्न स्थानों पर गणवेश के ट्राउजर्स सिलवाए गए हैं। इनका वितरण तय कार्यक्रम के तहत शुरू हुआ है।” संघ सूत्रों की मानें तो विजयादशमी से पूर्व नागपुर में नए गणवेश के साथ पथ संचालन का ट्रायल रन भी कराए जाने की संभावना है।
इससे नए गणवेश का सही अंदाजा हो सकेगा और कुछ छोटी सुधार योग्य बातें भी, यदि हों तो पता लग जाएंगी। संघ से जुड़े लेखक विराग पाचपोर ने बीबीसी से बातचीत के दौरान माना कि संघ की स्थापना से लेकर आज तक गणवेश में जो बड़े बदलाव हुए उनमें से यह एक है।
साभार बीबीसी हिन्दी