शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज मुख्य अतिथि के तौर पर नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी के 27वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया और शिलांग कैंपस में आयोजित कार्यक्रम में 2020 व 2021 में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को डिग्री सौंपी।
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने उत्तीर्ण होने वाले सभी छात्रों को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने छात्रों से ज्ञान आधारित क्रांति में हिस्सा लेकर रोज़गार सृजनकर्ता बनने की अपील की, ताकि समाज में बदलाव लाया जा सके। उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय विचारों, नवाचारों, महत्वकांक्षाओं का पिटारा हैं और विश्वविद्यालयों को शोध के लिए उर्वर भूमि उपलब्ध करवानी चाहिए, ऐसा शोध जो समाज और मानव के कल्याण व उनके जीवन को आसान बनाने में मददगार साबित होता हो।
माननीय मंत्री ने कहा कि एनईपी 2020 वैश्विक नागरिक के निर्माण में हम सभी के लिए एक परिवर्तनकारी मार्ग है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति शुरुआती शिशु सेवा और शिक्षा का सार्वभौमिकीकरण करती है और भारतीय भाषाओं को सीखने पर भी जोर देती है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का सभी भारतीय भाषाओं की अहमियत को दोहराने के लिए भी धन्यवाद दिया। कोई भी भाषा दूसरी से कम नहीं है।
श्री प्रधान ने मेघालय में शुरुआती शिशु सेवा और शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के लिए मुख्यमंत्री श्री कोनराड संगमा को धन्यवाद दिया, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है। यह सुनिश्चित करेगा कि हमारे बच्चे उनकी पूरी संभावना का इस्तेमाल कर पाएं।
श्री प्रधान ने कहा कि हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं, हमारे युवाओं को अपना ध्यान अधिकारों से जवाबदेही की तरफ स्थानांतरित करना होगा। कर्तव्यों के पथ पर चलते हुए अगले दशक में हमें हमारे देश को नई ऊंचाईंयों पर ले जाना होगा। उन्होंने पूर्व-छात्रों के मजबूत नेटवर्क को बनाने पर जोर दिया। हमें अपने स्कूलों और विश्वविद्यालयों को बौद्धिक या फिर भौतिक मदद वापस देनी चाहिए, साथ ही राज्य, देश और मानवता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। मदद को वापस करने के लिए आज से बेहतर कोई समय नहीं होता।
मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कोनराड संगमा ने केंद्रीय मंत्री के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उन्होंने उत्तीर्ण होने वाले छात्रों से अगले स्तर तक पहुंचने के लिए नए क्षेत्रों को खोजने और अनुमानित जोखिम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि असफलता से उत्साह खोने की जरूरत नहीं है, ना ही सफलता को सिर पर चढ़ाना चाहिए।”
दीक्षांत समारोह के दौरान कुल 15,955 डिग्रियां बांटी गईं, जिनमें से 117 पीएचडी, 8 एमफिल, 1559 स्नातकोत्तर और 14,271 स्नातक की डिग्रियां थीं। मेघालय के शिक्षा मंत्री श्री लाहकमेन रायमबुई, एनईएचयू के उपकुलपति प्रोफेसर पीएस शुक्ला और विश्वविद्यालय के शिक्षकों व छात्रों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
बाद में केंद्रीय मंत्री ने मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और राज्य शिक्षा मंत्री लाहकमेन रायमबुई के साथ शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता की समीक्षा बैठक की, जिसमें केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
श्री प्रधान को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेघालय में राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को पूरे जोर-शोर से लागू किया जा रहा है। एस्पायर मेघालय और प्राइम मेघालय जैसे राज्य सरकार के कार्यक्रम प्रतिभा खोज, कौशल मान्यता, उद्यमशीलता को सहायता और मेघालय की संभावना को खोजने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मेघालय जैसे प्रगतिशील राज्य को राष्ट्रीय डिजिटल अवसंरचना को स्थापित करने की कोशिशों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए, खासतौर पर एनडीईएआर के तहत छात्र पंजीकरण पोर्टल का गठन करना चाहिए और अपने संस्थानों को एनआईआरएफ व एनएएसी ढांचे के तहत लाना चाहिए। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि एनईएचयू को राज्यभर में शिक्षण संस्थानों के साथ साझेदारी करनी चाहिए, खासतौर पर कौशल विकास के क्षेत्र में। शिक्षा मंत्रालय मेघालय को शिक्षा और उद्यमशीलता में एक मॉडल राज्य बनाने में पूरा सहयोग देगा।
बाद में श्री प्रधान ने उमस्निंग प्रेस्बायटेरियन स्कूल की यात्रा भी की। उन्होंने कहा कि मेघालय के राई भोई जिले में स्थित इस स्कूल के न्यूरो सर्जन, पायलट, फुटबॉल खिलाड़ी, संगीतकार व यहां से निकलने वाले भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं की महत्वकांक्षाएं और आकांक्षाएं इस विश्वास को पुष्ट करेंगी कि भारत आगे एक ज्ञानपूर्ण समाज बनेगा।