लखनऊ: बजट के जरिए सूबे के विकास का खाका तैयार करने में वित्त विभाग के खास ‘बाजीगर’ अधिकारियों को लगाया जाता है। ये वे लोग हैं, जो पिछले कई दशक से वित्त विभाग में काम करते रहे हैं। प्रदेश में सरकार किसी की भी हो लेकिन रिटायर होने के बाद भी इन अधिकारियों की ओर से ही बजट को अंतिम रूप दिया जाता है। ऐसे अधिकारियों के रिटायर होने के बाद भी सरकार सेवा विस्तार देकर विकास योजनाओं को धार देने का काम करती है।
लहरी यादव (वित्तीय सलाहकार बजट)
दो साल पहले रिटायर हो चुके वित्त विभाग के इस अधिकारी को सरकार ने सेवा विस्तार दिया है। वित्त विभाग में विशेष सचिव के साथ इन्हें वित्तीय सलाहकार बजट का जिम्मा भी सौंपा गया है। करीब 16 साल से वित्त विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे लहरी यादव के जिम्मे बजट बनाने से लेकर पेश करने तक की जिम्मेदारी होती है। बजट की बारीकियों को पूरी तरह समझने के कारण इन्हें पद से भी कभी नहीं हटाया गया।
श्याम लाल वर्मा (विशेष कार्याधिकारी)
वित्त विभाग में करीब 35 साल तक समीक्षा अधिकारी के पद पर रहे श्याम लाल वर्मा पिछले साल रिटायर हो गए थे। इसके बाद भी सरकार ने इन्हें विशेष कार्याधिकारी का पद देकर वित्त विभाग में ही तैनात किया है। वर्मा लहरी यादव की टीम के महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। बजट की बारीकियों को बखूबी समझते हैं। विभागों से आने वाले प्रस्ताव का परीक्षण करने में वर्मा माहिर हैं।
मुकेश मित्तल (सचिव वित्त)
इसी वर्ष जनवरी महीने में मुकेश मित्तल रिटायर तो हो गए लेकिन वित्त विभाग को भली भांति समझने के कारण सरकार ने एक साल का सेवा विस्तार दिया है। मित्तल भी पिछले काफी वर्षों से वित्त विभाग में सेवाएं दे रहे हैं।
पर्दे के पीछे रहती है एक और टीम
इन मंझे हुए अधिकारियों के अतिरिक्त वित्तीय प्रबंधन एवं बजट निदेशालय के शोध अधिकारी व सहायक शोध अधिकारी भी बजट तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। बजट की तैयारी अक्टूबर महीने से ही शुरू हो जाती है। बजट तैयार करने में भूमिका निभाने वाले अधिकारी बताते हैं कि दिसंबर महीने से काम में तेजी आ जाती है। उसके बाद छुट्टियों में भी अधिकारियों व कर्मचारियों को बजट की तैयारी के लिए आना होता है।
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