रुझानों से स्पष्ट हो गया है कि यूपी में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनने जा रही है। 403 विधानसभा सीटों में से एनडीए गठबंधन ने 271 सीटों पर बढ़त बनाकर सारे समीकरणों और चुनावी गुणा-गणित को ध्वस्त कर दिया है। मतगणना के बीच इस बार भी सभी की निगाहें मुस्लिम बहुल सीटों पर है, जहां पर सपा की साख दांव पर है तो भाजपा भी सेंधमारी के लिए हरसंभव की है। 2017 के चुनाव में इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये थी कि भाजपा ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों या सीटों पर जीत हासिल की थी, जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी। भाजपा ने 82 में से 62 ऐसी सीटों पर जीत हासिल की थी, जहां मुस्लिम वोटरों की आबादी एक तिहाई है।
30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम बहुल इलाकों में कौन आगे कौन पीछे
1. बेहट- सपा गठबंधन से उमर अली खान
2. सहारनपुर ग्रामीण- सपा से आशु मलिक
3. कैराना- भाजपा से मृगांका सिंह
4. थाना भवन- आरएलडी से अशरफ अली
5. नजिबाबाद- सपा से तसलीम अहमद
6. धामपुर- भाजपा से अशोक कुमार राणा
7. कांठ- सपा से कमाल अख्तर
8. ठाकुरद्वारा- सपा से नवाब जान
9. मुरादाबाद ग्रामीण- सपा से नासिर कुरैशी
10. मुरादाबाद शहर- सपा से युसुफ अंसारी
11. कुंदरकी- सपा से जियाउर्रहमान
12. बिलारी- भाजपा से परमेश्वर लाल
13. संभल- सपा से इकबाल महमूद
14. स्वार- सपा से अब्दुल्ला आजम
15.चमरौआ- सपा से नसीर खान
16. रामपुर- सपा से आजम खान
17. अमरोहा- सपा से महबूब अली
18. सिवालखास- रालोद से गुलाम मोहम्मद
19. किठौर- सपा से शाहिद मंजूर
20. मेरठ- सपा से रफीक अंसारी
21. मेरठ दक्षिण- सपा से आदिल चौधरी
22. बागपत- भाजपा से योगेश धामा
23. धौलाना- भाजपा से धर्मेश सिंह तोमर
24. बुलंदशहर- भाजपा से प्रदीप कुमार चौधरी
25. स्याना- भाजपा से देवेंद्र सिंह लोढ़ी
26. कोल- सपा से शाज इसहाक अज्जू
27. अलीगढ़- सपा से जफर आलम
28. फिरोजाबाद- भाजपा से मनीषा
29. बहेड़ी- सपा से अताउर्रहमान
30. मीरगंज- सपा से सुल्तान बेग
31.भोजिपुरा- भाजपा से बहोरन लाल मौर्य
32.शाहजहांपुर- भाजपा से सुरेश कुमार खन्ना
33.बिसवान- भाजपा से निर्मल वर्मा
34,शाहाबाद- भाजपा से रजनी तिवारी
35.भोजपुर- भाजपा से नागेंद्र सिंह राठौर
36.सिसामऊ- सपा से इरफान सोलंकी
37.देवबंद- भाजपा से बृजेश
38.तिलाई- भाजपा से मयंकेश्वर शरण सिंह
2017 में मुस्लिम बहुल इलाकों में भी चली मोदी लहर
बुलडोजर, 80 बनाम 20 फीसदी और अंतिम चरण से पहले योगी का मुस्लिम प्रेम
इस बार पूरे चुनाव के दौरान तीन बातें खूब चर्चा में रहीं। एक बुलडोजर, जिसे भाजपा ने आक्रामक तरीके से पेश किया वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 80 बनाम 20 फीसदी वाले बयान ने चुनावी माहौल को गरमाए रखा। योगी आदित्यनाथ का कहना था कि यूपी में 80 फीसदी हिंदू भाजपा के पक्ष में है, इसलिए इस बार की लड़ाई 80 बनाम 20 की है। हालांकि अंतिम चरण से पहले सीएम का हृदय परिवर्तन ने सारे राजनीतिक पंडितों को चकित कर दिया। ऐसा क्या हुआ कि मुख्यमंत्री मुसलमानों के प्रति नरम रवैया दिखा रहे हैं। एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में योगी आदित्यनाथ ने मुसलमानों के साथ अपने रिश्तों को लेकर जवाब दिया और कहा कि मुसलमान उनसे प्यार करते हैं और वो भी मुसलमानों से प्यार करते हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को योगी आदित्यनाथ ने 80 बनाम 20 का चुनाव बताया था। उनके इस बयान की विपक्ष ने काफी आलोचना की थी। विपक्ष ने योगी के इस बयान को सांप्रदायिक बताया था। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी करीब 20 फीसदी है। योगी आदित्यनाथ के बयान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा था।
यूपी में करीब 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता
उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और सूबे की कुल 143 सीटों पर मुस्लिम अपना असर रखते हैं। इनमें से 70 सीटों पर मुस्लिम आबादी 20-30 फीसदी के बीच है जबकि 73 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान 30 प्रतिशत से ज्यादा हैं। राज्य की करीब तीन दर्जन ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं और करीब 107 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता चुनावी नतीजों को हमेशा प्रभावित करते हैं।
30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला
मुरादाबाद में 50.80 फीसदी, रामपुर में 50.57 फीसदी, बिजनौर में 43.04 फीसदी, सहारनपुर में 41.97 फीसदी, मुजफ्फरनगर में 41.11 फीसदी, शामली में 41.73 फीसदी, अमरोहा में 40.78 फीसदी, हापुड़ में 32.39 फीसदी, मेरठ में 34.43 फीसदी, संभल में 32.88 फीसदी, बहराइच में 33.53 फीसदी, बलरामपुर में 37.51 फीसदी, बरेली में 34.54 फीसदी और श्रावस्ती में 30.79 फीसदी मुस्लिम मतदाता है।
इन जिलों में 15-30 फीसदी हैं मुस्लिम मतदाता
वहीं अन्य जिलों जैसे बागपत में 27.98 फीसदी,अमेठी में 20.06 फीसदी, अलीगढ़ में 19.85 फीसदी, गोंडा में 19.76 फीसदी, लखीमपुर खीरी में 20.08 फीसदी, लखनऊ में 21.46 फीसदी, मऊ में 19.46 फीसदी, महाराजगंज में 17.46 फीसदी, पीलीभीत में 24.11 फीसदी, संत कबीरनगर में 23.58 फीसदी, , सिद्धार्थनगर में 29.23 फीसदी, सीतापुर में 19.93 फीसदी और वाराणसी में 14.88 फीसदी आबादी मस्लिमों की है।
2017 में मुस्लिम बहुल इलाकों में भी चली मोदी लहर
साल 2017 में ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल में एक भी मुस्लिम विधायक जीत कर विधानसभा नहीं पहुंचे। यहां तक भाजपा ने उत्तर प्रदेश में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को चुनावी समर में नहीं उतारा था। साल 2017 विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा को जहां 325 सीटें मिली थीं वहीं बीएसपी को 19 और सपा-कांग्रेस गठबंधन को 54 सीटें हासिल हो सकीं। भाजपा की इस ऐतिहासिक जीत का नतीजा यह हुआ कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में सबसे कम मुस्लिम विधायक पहुंच सके। 403 सदस्यों वाली विधानसभा में केवल 24 मुस्लिम विधायक चुने गए। ऐसा इससे पहले भी एक बार हो चुका है। साल 1967 में हुए चुनावों में सबसे कम 23 मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे थे।
सपा के एमवाई समीकरण यानि कि मुस्लिम और यादव के गठजोड़ को तोड़े बिना भाजपा यूपी में सत्ता हासिल नहीं कर सकती थी। भाजपा अपने हिंदुत्व के चेहरे के कारण हिंदू वोट बैंक को अपनी ओर खिंचने में कामयाब रही, वहीं मुस्लिम वोटों में भी सेंघ लगता दिखा। उदाहरण के तौर पर अगर हम पश्चिमी यूपी को देखें, जहां भाजपा को 2017 से पहले कोई खास बढ़त नहीं थी। लेकिन 2017 में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद यहां के वोट बैंक का समीकरण पिछले चुनाव से बदल गया।
मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा को मिली थी भारी जीत
वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में भारी बहुमत के साथ आए। इस चुनाव में भाजपा के पक्ष में लहर का नतीजा रहा कि देवबंद की सीट भी भाजपा के विरोधी अपने पक्ष में नहीं कर सके। भाजपा उम्मीदवार ब्रजेश पाठक ने करीब तीस हजार वोटों से जीत हासिल की थी। इस सीट पर दूसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी के माजिद अली रहे जिन्होंने 72,844 मत हासिल किए जबकि तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के माविया अली रहे जिन्होंने 55,385 मत हासिल किया। आश्चर्यजनक बात ये थी कि भाजपा ने उन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों या सीटों पर जीत हासिल की थी, जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की होगी। भाजपा ने 62 ऐसी सीटों पर जीत हासिल की थी, जहां मुस्लिम वोटरों की आबादी एक तिहाई है।
2012 में 69 मुस्लिम विधायक चुने गए थे
साल 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में 69 मुस्लिम जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे। यह उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की सबसे बड़ी संख्या थी। तकरीबन 22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी में हिस्सेदारी 19 प्रतिशत है। लेकिन 403 सदस्यों वाली विधान सभा में 23 उनकी हिस्सेदारी घटकर लगभग 6 प्रतिशत पर पहुंच गई है। 16 वीं विधानसभा में 69 सदस्यों के साथ यह हिस्सेदारी 16.87 प्रतिशत थी। 2017 में 19 सीट जीतने वाली बसपा के 5 विधायक मुस्लिम हैं। वहीं 54 सीट जीतने वाले सपा-कांग्रेस गठबंधन में 19 मुस्लिम हैं।। जिनमें से 17 सपा के और 2 कांग्रेस पार्टी के हैं।
विधानसभा चुनाव मुस्लिम विधायक
1951-52 41
1957 37
1962 30
1967 23
1969 29
1974 25
1977 49
1991 17
1993 28
1996 38
2002 64
2007 54
2012 68
2017 23
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