लखनऊ: श्री अरविन्द कुमार जैन, पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 की अपेक्षानुसार डा0 आर0के0 स्वर्णकार, पुलिस महानिरीक्षक (अपराध), द्वारा प्रदेश के समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक, प्रभारी जनपद/परिक्षेत्रीय पुलिस उपमहानिरीक्षक/जोनल पुलिस महानिरीक्षकों को बैंकों की सुरक्षा के दृष्टिगत निर्देश दिये गये हैं।
पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) द्वारा जारी किये गये परिपत्र में कहा गया है कि अभी हाल ही में जनपद देवरिया में स्थित सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया की सुरक्षा गार्द में नियुक्त एक पुलिस कर्मी को करेन्सी चेस्ट से रूपये चोरी करने हेतु आरोपित किया गया है। इस प्रकार की घटना से जहाॅ पुलिस की छवि धूमिल होती है वहीं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा पुलिस के प्रति अविश्वास भी उत्पन्न होता है। बैंकों की सुरक्षा हेतु पिकेट, गार्द व अन्य व्यवस्थापित की गयी पुलिस टुकडि़यों का नियमित व आकस्मिक निरीक्षण का प्राविधान है। जनपद के अधिकारियों द्वारा गार्दो आदि का गम्भीरता पूर्वक नियमित निरीक्षण अवश्य किया जाय। बैंको की सुरक्षा के दृष्टिगत निम्नलिखित बातें ध्यान में रखना आवश्यक है।
बैंको की गार्द सुरक्षा में नियुक्त किये जाने वाले पुलिस कर्मियों के सेवा अभिलेखों का भली-भाॅति अवलोकन कर यह देख लिया जाय कि पुलिस कर्मी अच्छी छवि वाला एवं अनुशासित कर्मचारी हो। शराबी, जुआरी, संदिग्ध सत्यनिष्ठा, अनुशासनहीन प्रवृत्ति/छवि के कर्मचारियों को बैंक गार्द ड्यूटी में कदापि नहीं लगाया जाए।
रात्रि गश्त एवं पिकेट ड्यूटी की योजना बनाते समय उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाय जहाॅ महत्वपूर्ण बैंक शाखायें स्थित है अथवा जो शाखायें नगरों के बाहर एकान्त स्थानों में स्थापित है। पेट्रोलिंग पार्टी द्वारा बैंक की कार्य अवधि में बैंक के भीतर जाकर बैंको के शाखा प्रबन्धकों से भी मुलाकात कर स्थिति का आकलन किया जाय।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक, जनपद प्रभारी के स्तर से आवश्यकतानुसार बैंक प्रबन्धक के साथ परस्पर समन्वय स्थापित किये जाने हेतु गोष्ठी आयोजित की जाय तथा गोष्ठी में बैंको की शाखाओं में एलार्म सिस्टम, सी0सी0टी0वी0 कैमरा आदि उपकरण लगाने तथा बैंको द्वारा निजी सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने पर बल दिया जाय।