नई दिल्ली: भारत सरकार के मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने आज राजधानी में वर्ष 2017-18 के लिए सीबीएसई संबद्ध स्कूलों के 37 शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों को शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान और कक्षा शिक्षण में नवाचारों के लिए सम्मानित किया।
सीबीएसई ने लीक से हटकर पहली बार सीबीएसई पुरस्कार 2017-2018 के लिए प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों से हस्त लिखित आवेदन देने के बजाय ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे।
बोर्ड ने पहले गठित की जाने वाली क्षेत्रीय समितियों के बजाय राष्ट्रीय स्तर की स्क्रीनिंग समिति का गठन किया था। इस समिति ने निम्नलिखित आधार पर पुरस्कार विजेताओं का चयन किया:
क. पुरस्कारों की सभी श्रेणियों के लिए सामान्य मानदंड जैसे कि अकादमिक योग्यता, विद्वत्तापूर्ण योगदान,कार्यात्मक शोध, पाठ्यक्रम, सामुदायिक एवं विद्यार्थी विकास संबंधी उपलब्धियां, पुरस्कार और सम्मान।
ख. विशिष्ट मानदंड जैसे कि एक शिक्षक के रूप में प्रभावशीलता, सुधारात्मक शिक्षण, शिक्षक का अहम योगदान, और
ग. आमने-सामने बैठकर बातचीत या संवाद।
पुरस्कार विजेताओं में प्रधानाध्यापकों के अलावा प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षक भी शामिल हैं। पहली बार सार्वजनिक प्रदर्शन कला, विशेष शिक्षाविशारदों, स्कूल परामर्शदाताओं, व्यावसायिक,व्यायाम शिक्षा और आईटी शिक्षकों के लिए भी पुरस्कार निर्धारित किए गए हैं।
अभिनंदन समारोह श्रीमती रीना रे, सचिव (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता), श्रीमती अनिता करवल, अध्यक्ष, सीबीएसई, श्री अनुराग त्रिपाठी, सचिव, सीबीएसई और मानव संसाधन विकास मंत्रालय, एनवीएस, केवीएस और अनेक स्कूलों के कई अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित किया गया।
मंत्री महोदय ने देश भर के सभी पुरस्कार विजेताओं और अन्य शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि शिक्षक की भूमिका अद्वितीय होती है क्योंकि ‘एक शिक्षक का सकारात्मक प्रभाव अनंत काल तक कायम रहता है और आप कभी भी यह नहीं कह सकते कि इस तरह के प्रभाव पर कहां जाकर विराम लगा।’ एक आदर्श के रूप में शिक्षकों का सकारात्मक प्रभाव विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क पर लंबे समय तक कायम रहता है। अत: नैतिक मूल्यों को विद्यार्थियों के चेतन में आत्मसात कराते हुए शिक्षा को मानवीय स्वरूप प्रदान करने की जरूरत है। मंत्री महोदय ने कहा कि शिक्षकों को प्रणाली की चुनौतियों का सामना करने और अच्छी प्रथाओं को लागू करने एवं विद्यार्थियों को अच्छी तरह से शिक्षित करने में सक्षम होना चाहिए क्योंकि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं।
सचिव (स्कूल शिक्षा और साक्षरता) श्रीमती रीना रे ने सभी पुरस्कार विजेताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि शिक्षा का एक अहम लक्ष्य भविष्य के लिए आत्मविश्वास से भरे छात्रों को तैयार करना और उन्हें सामाजिक रूप से जवाबदेह, गुणवान एवं अभिनव विचारकों में तब्दील करना है, जबकि शिक्षा सुगम एवंन्यायसंगत होनी चाहिए और इसके जरिए उत्कृष्टता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
सीबीएसई की अध्यक्ष श्रीमती अनिता करवल ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि समूचा विश्व शिक्षकों का ऋणी है क्योंकि वे राष्ट्र एवं वैश्विक समाज का निर्माण करते हैं और शिक्षण एवं मार्गदर्शन के जरिए अंसख्य विद्यार्थियों के जीवन को विशिष्ट स्वरूप प्रदान करते हैं।
सीबीएसई के सचिव श्री अनुराग त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि ये पुरस्कार दरअसल प्रत्येक पुरस्कार विजेता की प्रतिबद्धता, समर्पण और निःस्वार्थ भावना का प्रतीक हैं। प्रत्येक पुरस्कार के तहत एक उत्कृष्टता प्रमाणपत्र एवं एक शॉल के अलावा 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया जाता है।
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