नई दिल्ली: उपेन्द्र कुशवाहा 10-11 जुलाई, 2018 के दौरान मार्शल द्वीप समूह गणराज्य (आरएमआई) के आधिकारिक दौरे पर हैं। भारत से मार्शल द्वीप समूह गणराज्य के मजूरो की यह पहली मंत्री स्तरीय यात्रा है। भारत अप्रैल 1995 में मार्शल द्वीप समूह गणराज्य (आरएमआई) के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में एक था।
यात्रा के दौरान राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने मार्शल द्वीप समूह के राष्ट्रपति महामहिम डा. हिल्डा हैने के साथ शिष्टाचार मुलाकात की एवं मार्शल द्वीप समूह के विदेश मामले मंत्री जॉन एम सिल्क तथा मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के साथ विविध क्षेत्रों पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की एवं सामुद्रिक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूलन-न्यूनीकरण पद्धतियां, आपदा तैयारी, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विविध क्षेत्रों में सहयोग और बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई।
मार्शल द्वीप समूह ने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल एवं कल्याण के क्षेत्र में योग के महत्व को स्वीकार करते हुए विद्यालयों के माध्यम से युवाओं में योग के प्रचार में एवं दूर-चिकित्सा तथा दूर-शिक्षा के जरिए भौतिक संपर्क चुनौतियों का सामना करने में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाने के प्रति भी दिलचस्पी प्रदर्शित की। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग को देखते हुए, मार्शल द्वीप समूह ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में जल्द से जल्द शामिल होने की अपनी इच्छा साझा की। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार के मुद्दे पर, मार्शल द्वीप समूह ने परिषद के शीघ्र सुधार की आवश्यकता को स्वीकार किया एवं यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए जोरदार समर्थन व्यक्त किया। भारत सरकार की तरफ से, राज्य मंत्री ने मार्शल द्वीप समूह के महामहिम राष्ट्रपति को आपसी रूप से सुविधाजनक तिथि पर भारत आने के लिए आमंत्रित किया।
यात्रा के दौरान, मार्शल द्वीप समूह द्वारा किए गए एक आग्रह के आधार पर भारत ने एयूआर एटीओएलएल लोकल गवर्नमेंट के एक जल एवं स्वच्छता परियोजना प्रस्ताव के लिए 300,000 अमेरिकी डॉलर का अनुदान देने की प्रतिबद्धता भी की। 2005 से, भारत में उपकरण की खरीद, आपदा राहत, राष्ट्रीय निर्यात कार्य नीति, सौर ऊर्जा का दोहन करने वाले समुदाय एवं स्थानीय सरकार से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं के लिए 1.35 मिलियन डॉलर तक की अनुदान सहायता दे चुका है। भारत ने भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम में मार्शल द्वीप समूह के नागरिकों को पाँच स्लाट देने की भी पेशकश की है।
दोनों पक्षों ने भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग (एफआईपीआईसी) के फोरम की रूपरेखा के तहत सहयोग करने के तरीकों पर चर्चा की। भारत जलवायु परिवर्तन सहित विविध मुद्दों पर प्रशांत द्वीप समूह देशों के साथ जुड़ा है। एफआईपीआईसी का गठन प्रशांत द्वीप समूह देशों के साथ भारत के संबंध को सुदृढ़ बनाने के लिए नवंबर 2014 में किया गया था। पहले एफआईपीआईसी सम्मेलन का आयोजन नवंबर 2014 में फिजी के सुवा में राष्ट्राध्यक्षों के स्तर पर किया गया। दूसरे एफआईपीआईसी सम्मेलन का आयोजन अगस्त 2015 में भारत के जयपुर में किया गया। भारत सरकार ने 25 से 26 मई, 2017 को फिजी के सुवा में एक ‘भारत प्रशांत द्वीप समूह सतत विकास सम्मेलन’ की भी मेजबानी की।