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नाबालिगों से तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादेां के उपयेाग व बिक्री कराने पर होगी सख्ती

उत्तराखंड

देहरादून: प्रदेश में अब नाबालिग को तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पाद नही बेच पाएगें। इसकी रोकथाम के लिए बना कानून इस मुहिम में अहम् भूमिका निभाएगा। इसके लिए वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस ने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर

किशोरावस्था न्याय अधिनियम (देखभाल और सुरक्षा) की संशोधित सख्त धारा के तहत कार्यवाही करने की मांग की है। जिससे कि प्रदेश में इन उत्पादों की खपत, युवाअेां का इस ओर बढ़ता आकर्षण और कैंसर पर रोकथाम संभव हो सके।

वीओटीवी सरंक्षक व स्वामी रामा हिमालयन यूनिवर्सिटी देहरादून के डॉ. सुनील सैनी के द्वारा पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर प्रदेशभर में शिक्षण संस्थाअेां सहित समस्त सार्वजनिक व अन्य स्थानों पर तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों का नाबालिगों के द्वारा उपयोग व बिक्री रोकने और उन पर किशोरावस्था न्याय अधिनियम (देखभाल और सुरक्षा) के तहत् कार्यवाही करने की मांग की है।

उन्होने बताया कि प्रदेश में 30ण्7 प्रतिशत लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं एवं कैंसर रोगियों में से 90 प्रतिशत तम्बाकू जनित रोगी है। इस अधिनियम में कार्यवाही हो तो निश्चित ही तंबाकू से होने वाले कैंसर के रोगियों की संख्या में कमी आएगी। ग्लोबल एडल्ट टोबेको के सर्वे के अनुसार भारत में तंबाकू की लत 17 साल की उम्र में लग जाती है। ग्लोबल यूथ टोबेको के सर्वे में सामने आया कि भारत के 20 प्रतिशत बच्चे तंबाकू के उत्पादों का प्रयोग करते हैं। 5500 किशोर प्रति दिन तंबाकू का सेवन शुरु करते हैं। यह अधिनियम हमारी आने वाली पीढ़ी को इस खतरनाक लत से बचाएगा। यह बिना किसी संदेह के यह साबित हो चुका है कि कैंसर, हृद्वय रोग और हृद्वघात के रूप में प्रत्येक तीसरे व्यक्ति की अकालमृत्यु तंबाकू सेवन के सेवन से हो रही है।

हाल ही में मुंबई में इस अधिनियम के तहत हुई कार्यवाही का जिक्र करते हुए बताया कि एक सत्रह साल के किशोर को सिगरेट बेचने के आरोप में पान-बीड़ी बेचने वाले एक दुकानदार पर किशोरावस्था न्याय अधिनियम (देखभाल और सुरक्षा) की  संशोधित सख्त धारा के तहत तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। किशोरावस्था न्याय अधिनियम में संशोधन के बाद किसी व्यक्ति के खिलाफ यह पहला मामला दर्ज किया गया है। अधिनियम में इसी साल जनवरी में संशोधन किया गया था।

टाटा मेमोरियल अस्पताल के कैंसर सर्जन डा.पंकज चतुर्वेदी बतातें है कि किशोर न्याय अधिनियम खासतौर पर तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की शुरुआत करने वालों की संख्या में कमी लाएगा। पूर्व में बना कोटपा नाबालिगों से बिक्री और इस पर केवल दो सौ रुपए का जुर्माना भी इसे रोकने में असफल रहा है। इस स्थिति में जेजे एक्ट किशेार एंव युवाअेंा को बचाने में कारगर सिद्व होगा। देशभर में जेजे एक्ट को प्रभावी रुप से लागू करने के लिए समस्त पुलिस महानिदेशकों को वीओटीवी के प्रदेश पैटर्न के माध्यम से लिखा गया है।

ये प्रावधान देश में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का किशोर न्याय( बाल देखभाल और संरक्षण)अधिनियम 2015, 15 जनवरी, 2016 से लागू हो गया है। इस तरह का कठोर अधिनियम बनाने वाला भारत दुनिया को पहला राष्ट्र बन गया है जहां बच्चों को तंबाकू उत्पाद बेचने और बचचों द्वारा तंबाकू उत्पाद बेचवाने पर अधिनियम के तहत सात साल तक की कठोर सजा हो सकती है और साथ ही उसे एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी हो सकता है।

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