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नैनो यूरिया के उपयोग से फसल लागत में आयेगी कमी, आय में होगी वृद्धि: जे0पी0एस0 राठौर

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उन्नत स्वदेशी तकनीकी से बनी नैनो यूरिया कृषि क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। किसान इसका उपयोग करके अपनी उपज को बढ़ाने के साथ-साथ जमीन की उर्वरा शक्ति को लम्बे समय के लिए अच्छा बनाये रख सकते हैं।
उक्त वक्तव्य प्रदेश के सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जे0पी0एस0 राठौर ने नैनो यूरिया के संबंध में समस्त प्रदेश में आयोजित गोष्ठियों के सम्पन्न होने पर दिया। उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया भारत सरकार की प्राथमिकताओं का बिन्दु है। नैनो यूरिया का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों को आर्थिक बचत होगी, उत्पादकता बढ़ेगी एवं भारत की यूरिया आयात निर्भरता घटेगी। नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्रोत है तथा यह बहुत कम समय में पारम्परिक यूरिया का सशक्त विकल्प बनकर उभरा है। उन्होंने बताया कि भारत नैनो यूरिया का कमर्शियल इस्तेमाल करने वाला विश्व का पहला देश बन गया है।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि इफको नैनो यूरिया समस्त सहकारी बिक्री केन्द्रों जैसे-पैक्स, क्रय-विक्रय सहकारी समितियां, केन्द्रीय सहकारी उपभोक्ता भण्डार के केन्द्रों आदि पर उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने किसानों को नैनो यूरिया के उपयोग की सलाह देते हुए कहा कि पारम्परिक यूरिया से सस्ती होने के कारण किसानों के पैसे की बचत होगी तथा उत्पादकता में वृद्धि होगी। यूरिया की 50 किलो की बोरी बाजार में 266.50 रुपये की है, जबकि नैनो यूरिया की एक बोतल 236 रुपये में ही उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 में प्रदेश में यूरिया की मांग के सापेक्ष 25 प्रतिशत पारम्परिक यूरिया को नैनो यूरिया से रिप्लेस करने की योजना है।
सहायक आयुक्त एवं सहायक निबन्धक सहकारिता श्री रजनीश प्रताप सिंह ने बताया कि किसानों को इफको यूरिया के उपयोग से होने वाले लाभों की जानकारी के सम्बन्ध में जागरूक करने के लिए सहकारिता विभाग द्वारा सहकारिता मंत्री के निर्देशन में 05 मई से 15 मई 2022 तक प्रदेश के समस्त 823 विकासखण्डों में गोष्ठी आयोजित कर 50 हजार से अधिक किसानों को नैनो यूरिया के उपयोग तथा उससे होने वाले लाभ के संबंध मेे जागरूक किया गया।
श्री रजनीश प्रताप सिंह ने नैनो यूरिया के उपयोग के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इसके उपयोग से पहले बोतल को अच्छी तरह से हिलाएं। एक बोतल नैनो यूरिया को 100-125 लीटर पानी के ड्रम में मिला लें, फिर घोल का स्प्रे मशीन में भरकर फसल के ऊपर छिड़काव करें यदि ड्रम उपलब्ध नहीं हो तो 15 लीटर क्षमता की स्प्रे मशीन में नैनो यूरिया की बोतल के दो ढक्कन डाल दें। 15 लीटर स्प्रे मशीन में तैयार हो जायेगा और छिड़काव कर दें। नैनो तरल यूरिया का पहला छिड़काव अंकुरण/रोपाई के 30-35 दिनों बाद, तथा दूसरा छिड़काव फूल आने के पहले करना चाहिए। दलहनी फसलों में एक बार और शेष फसलों में छिड़काव दो बार करना होगा, लेकिन बोवाई के समय इसका उपयोग नहीं होता है। नैनो यूरिया को बच्चों और पालतू पशुओं से दूर तथा ठण्डी और सूखी जगह पर रखना चाहिए।

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