लखनऊ: प्रदेश के प्रमुख सचिव वन श्री वी0एन0 गर्ग ने बताया कि वर्ष 2014-15 में वन विभाग द्वारा 40,742 हे0 क्षेत्र में 3.05 करोड़ पौधों का एवं अन्य विभागों द्वारा 15,536 हे0 क्षेत्र में लगभग 101 करोड़ पौधों का रोपण किया गया हैं
इसमें स्थानीय मृदा व जलवायु के अनुकूल पौधे रोपित किए गए। रोपित की जाने वाली पौध प्रजातियों में शीशम, नीम, अमलतास, गुलमोहर, जेकरेण्डा, सिरस, कंजी, आम, छितवन, बरगद, पीपल, पाकड़ मौलश्री, कचनार, कदम्ब, इमली, बेल, महुआ, चक्रेशिया व पारिजात सहित विभिन्न प्राजातियां शामिल की गई हैं। उन्होंने बताया कि हरित पट्टी योजना के अंतर्गत वर्ष 2014-15 में 75 जनपदों के 520 स्थलों पर 3,105 हे0 क्षेत्र में 19.40 लाख पौधों का रोपण किया गया है।
श्री गर्ग ने बताया कि टोटल फारेस्ट कवर योजना प्रदेश के 6 जनपदों में चलाई जा रही है। इस योजना में जनपद लखनऊ, उन्नाव, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा तथा बदायूं में 714.45 हे0 क्षेत्र में 15,906 ब्रिकगार्ड निर्माण कर एवं 8340 ट्री गार्ड निर्माण कर वृक्षारोपण किया गया है। उन्होंने जनपद इटावा में बब्बर शेर प्रजनन केन्द्र एवं लायन सफारी पार्क की स्थापना योजना के अंतर्गत सेन्ट्रेल जू अथारिटी द्वारा अनुमोदित ले-आउट प्लान के अनुरूप ब्रीडिंग सेन्टर, अस्पताल, एनीमल हाऊस की स्थापना की है एवं इन्रप्रदेशन सेन्टर, जन-सुविधाएं, कार्यालय आदि निर्माणाधीन है। इस विकास कार्य से यहां पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इटावा का फिशर फारेस्ट के 1000 एकड़ क्षेत्र को 02 भागों, 600 व 400 एकड़ में विभाजित कर उनमें बब्बर शेरों हेतु उपयुक्त वासस्थल बनाने हेतु वास-स्थल विकास कार्य किए गये।
उन्होंने बताया कि इटावा में विभिन्न वन्य जीवों के ट्रांजिट/रेस्क्यू केन्द्र के प्रबंधन एवं संचालन तथा समीपवर्ती क्षेत्रों में इको जागरूकता के साथ-साथ पर्यटन को वढ़ावा देने हेतु इटावा सफारी पार्क समिति का गठन किया गया है तथा प्रदेश में राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु पीलीभीत टाईगर रिजर्व की स्थापना की गई है। यह देश का 45वां टाईगर रिजर्व है। प्रदेश में वन्य जीव विहार एवं पार्कों से इतर वन्य संरक्षण के लिए ‘‘संरक्षित क्षेत्र से बाहर वन्य जीवों का प्रबंधन‘‘ नामक नई योजना स्वीकृत कराई गई। इस योजना का उद्देश्य प्राकृतवास पर बढ़ते जैव दबाव के कारण समग्र प्रदेश में मानव वन्यजीव संर्घष की बढ़ती घटनाओं का निराकरण कराना है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि प्राकृतिक सौन्दर्य व वन्य प्राणियों से भरपूर क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने व स्थानीय जनता को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश में लाख बहोसी पक्षी विहार, कन्नौज, नवाबगंज पक्षी विहार, उन्नाव, कतरनियाघाट-बहराइच, राष्ट्रीय चम्बल पशु विहार-आगरा, सोहेलवा वन्य जीव विहार-बलरामपुर, टिकरी-गोण्डा व पार्वती अरगा, सरसई नावर-इटावा तथा सीतापुर-श्रावस्ती में ईको पर्यटन विकास का कार्य किया जा रहा है। ईको पर्यटन कार्यों में पर्यटक सुविधाओं का विकास, प्रचार-प्रसार, ईको पर्यटकों के लिए मोतीपुर एवं ककहरा में वन विश्राम गृहों की आॅनलाइन बुकिंग, वेबसाइट का विकास एवं आधारभूत संरचना का विकास शामिल है। दुधवा नेशनल पार्क के वन विश्राम गुहों तथा आन्तरिक सड़कों का सुदृ़ढ़ीकरण किया जा रहा है। दुधवा एनेशनल पार्क में टूरिज्म के विकास एवं वन तथा वन्यजीवों के संरक्षण एवं सवंर्धन के लिए यथोचित कार्य किए जा रहे हैं। लाख बहोसी पक्षी विहार, कन्नौज एवं नवाबगंज पक्षी विहार में विशेष ईको पर्यटन विकास योजना के अंतर्गत लाखबहोसी, कन्नौज एवं नवाबगंज पक्षी विहार उन्नाव में पर्यटकों को उच्चीकृत ईको फ्रेंडली सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है, जिससे पर्यटन अनुभव के साथ-साथ पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि वन प्रबंधन में जन-सहभागिता में वन क्षेत्रों और उसके आस-पास रहने वाले व्यक्तियों का आर्थिक स्तर उन्नत करने के लिए उन्हंे वनों के विकास व प्रबंधन में शामिल कर उन्हें भागीदार बनाने हेतु प्रदेश सरकार जन सहभागिता से वनों एवं वन्य जीवन के प्रबंध एवं वृक्षारोपण आदि कार्य करवा रही है। प्रदेश में संयुक्त वन समितियों व ईको विकास समितियों का गठन कर उनके माध्यम से वानिकी कार्य कराये जा रहे हैं। प्रदेश में 790 ग्रामों में लगभग एक लाख हे0 आरक्षित वन क्षेत्र में ग्राम वन घोषित किया जा चुका है। जिसका प्रबंध व विकास, स्थानीय वन उपयोगकर्ता समूह द्वारा गठित संयुक्त वन प्रबंध समितियों द्वारा किया जा रहा है।