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उत्तर प्रदेश ने डैम के निर्माण में निर्धारित अंशदान से अधिक धनराशि दी:शिवपाल सिंह यादव

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सिंचाई, एवं जल संसाधन मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव के अथक प्रयास एवं प्रबल इच्छा शक्ति के फलस्वरूप मध्य प्रदेश को उत्तर प्रदेश राज्य के हिस्से के जल को देने पर विवश होना पड़ा। सिंचाई मंत्री के निर्देश पर प्रमुख सचिव श्री दीपक सिंघल द्वारा मध्य प्रदेश से निरन्तर वार्ता कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया तथा केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय से इस विषय पर लगातार वार्ता कर मध्य प्रदेश से जल दिलवाने का अनुरोध किया गया।

सिंचाई  मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव ने बताया कि प्रदेश सरकार के कठिन प्रयास से ही यह सम्भव  हुआ कि लगभग 09 वर्ष के बाद मध्य प्रदेश इस डैम से उत्तर प्रदेश को जल देने को राजी हुआ तथा हाल में ही 2000 क्यूसेक पानी भी छोड दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस जल से सोनभद्र एवं मिर्जापुर के किसानों को न केवल सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी अपितु पशुओं को पीने का पानी भी उपलब्ध कराया जा सकेगा। श्री यादव ने कहा कि एम.ओ.यू. के अनुसार उत्तर प्रदेश द्वारा अपने जल की हिस्सेदारी मे से टोन्स पम्प कैनाल चलाने हेतु मध्य प्रदेश से जल की मांग की जा रही थी परन्तु मध्य प्रदेश द्वारा बाण सागर जलाशय से जल नही छोड़ा जा रहा था। इसके लिए उत्तर प्रदेश द्वारा सचिव स्तर की बैठक आयोजित कराकर मामले को निस्तारित कराने का प्रयास किया गया।
श्री यादव ने कहा कि वर्ष  1973 में मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य के मध्य हुए समझौते के तहत बाण सागर डैम का निर्माण किया जाना था। 10 अगस्त 1978  को योजना आयोग, भारत सरकार द्वारा उक्त डैम के निर्माण हेतु मध्य प्रदेश राज्य द्वारा प्रस्तुत परियोजना लागत रू0 91 करोड़ की स्वीकृति करते हुए इन्वेस्टमेन्ट क्लीयरेन्स प्रदान की गयी। बाण सागर डैम के निर्माण पर आने वाले व्यय को 2ः1ः1 के अनुपात में तीन राज्यों द्वारा वहन किया जाना था। इस डैम क ेजल संचयन का वितरण तीन प्रदेशों के मध्य उपरोक्त  अनुपात में ही किया जाना प्राविधानित है।
सिंचाई मंत्री ने कहा कि बाण सागर डैम मध्य प्रदेश में निर्मित है। इसका निर्माण कार्य वर्ष 1980 में प्रारम्भ हुआ एवं वर्ष 2006 में पूर्ण हुआ। काॅमन वाटर कैरियर में मध्य प्रदेश द्वारा बाण सागर डैम से वर्ष 2000 से ही पानी चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश द्वारा जुलाई 2001 से बाण सागर  जलाशय में संचित जल का उपयोग कर विद्युत उत्पादन भी किया जा रहा है। योजना आयोग, भारत सरकार द्वारा वर्ष 214 में डैम की लागत रू 1583 करोड़ अनुमोदित की गयी है।

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