लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीय आपदा मोचक निधि से 500 करोड़ रुपए की धनराशि तत्काल स्वीकृत करने का अनुरोध किया है।
पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिवृष्टि/ओलावृष्टि के मेमोरेण्डम के सापेक्ष स्वीकृत की जाने वाली धनराशि में चूंकि समय लगेगा, इसलिए स्थिति की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए उनसे यह अनुरोध किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से कृषि फसलों के सापेक्ष भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक में कम से कम तीन गुनी वृद्धि करने के साथ ही, कृषि फसलों की 25 से 50 प्रतिशत तक की क्षति के लिए भी राहत दिए जाने की व्यवस्था किए जाने का भी अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में उल्लेख किया कि प्रदेश में चक्रवाती तूफान के कारण अतिवृष्टि/ओलावृष्टि से फरवरी/मार्च, 2015 में राज्य के किसानों की फसलों को व्यापक क्षति हुई है। फसलों की क्षति के आकलन के लिए केन्द्रीय दल को नामित करने के साथ ही ओलावृष्टि से किसानों को तत्काल राहत प्रदान किए जाने हेतु 500 करोड़ रुपए की धनराशि राष्ट्रीय आपदा मोचक निधि से स्वीकृत करने का अनुरोध प्रदेश सरकार द्वारा दिनांक 16 मार्च, 2015 को किया गया था। दिनांक 08 अप्रैल, 2015 को फसलों की क्षति के आकलन/स्थलीय निरीक्षण हेतु केन्द्रीय दल का आगमन हो रहा है। उन्होंने किसानों को हुई क्षति के आकलन के लिए केन्द्रीय दल को प्राथमिकता पर भेजने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए बताया कि कृषि फसलों की पर्याप्त क्षति के बाद भी भारत सरकार द्वारा अभी तक कोई भी धनराशि अन्तरिम रूप से स्वीकृत नहीं की गई है।
पूर्व में जनपदों द्वारा अतिवृष्टि/ओलावृष्टि से हुई क्षति के आधार पर 744.48 करोड़ रुपए की क्षति का मेमोरेण्डम दिनांक 25 मार्च, 2015 को कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित किया जा चुका है। मार्च के अन्तिम एवं अप्रैल के प्रथम सप्ताह में अतिवृष्टि/ओलावृष्टि के कारण उपरोक्त के अतिरिक्त प्रदेश के अन्य जनपदों में भी व्यापक क्षति हुई है, जिसका लगभग 350 करोड़ रुपए का अनुपूरक मेमोरेण्डम भारत सरकार को प्रेषित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि प्रदेश का किसान पूरे वर्ष लगातार आपदा-सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि से प्रभावित हुआ है, जिसके कारण उसके समक्ष विषम स्थिति उत्पन्न हो गई है। कृषि फसलों की क्षति के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक दरें वर्तमान में मंहगाई एवं कृषि लागत के सापेक्ष अत्यन्त कम हैं। भारत सरकार के मानक में 50 प्रतिशत से अधिक फसलों की क्षति होने पर राहत दिए जाने की व्यवस्था है, जबकि प्रदेश के अधिकांश जनपदों में किसानों की फसलों को 25 से 50 प्रतिशत तक की क्षति हुई है और राहत के अभाव में ये किसान संकट की स्थिति में हैं। भारतीय किसान यूनियन द्वारा भी इस सम्बन्ध में भारत सरकार का ध्यान आकर्षित किए जाने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने बताया कि निर्धारित मानक दरों में वृद्धि एवं कृषि फसलों की 25 से 50 प्रतिशत क्षति के सापेक्ष राहत की व्यवस्था होनी चाहिए।