16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में केन्द्रांश का प्रतिशत पूर्व की भांति ही रखे जाने का अनुरोध किया

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने 14वें वित्त आयोग की संस्तुति के अनुसार राज्यों के लिए अंतरण की धनराशि को 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत किए जाने के केन्द्र सरकार के फैसले के प्रति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए यह भी उल्लेख किया कि इससे आभास तो यह हो रहा है कि सभी राज्यों को अधिक अंतरण मिलेगा, लेकिन सच तो यह है कि राज्यों को मिलने वाले सभी संसाधनों के समावेश के साथ-साथ विभाज्य पूल में प्रदेश के प्रतिशत में कमी के कारण, वास्तविक धनराशि कम मिलेगी।

इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री द्वारा लिखे गए एक पत्र में प्रधानमंत्री का ध्यान विभाज्य पूल में पिछले दो वित्त आयोग की तुलना में कमी किए जाने, साथ ही, राज्य को मिलने वाले सहायता अनुदान एवं राज्य विशिष्ट अनुदान को समाप्त करने एवं कुछ केन्द्र प्रायोजित योजनाओं को डी-लिंक किए जाने की ओर करते हुए कहा है कि इससे प्रदेश को प्राप्त होने वाली धनराशि में कमी आएगी। श्री यादव ने इस विसंगति को दूर किए जाने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में उल्लेख किया कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं में केन्द्रांश का प्रतिशत पूर्व की भांति ही रखा जाए, ताकि समाज के कमजोर वर्गों, किसानों, ग्रामीणों, मजदूरों, महिला एवं बाल विकास, पिछड़ों एवं अनुसूचित जातियों-जनजातियों को लाभान्वित करने वाली विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में धनाभाव के कारण कोई कठिनाई उत्पन्न न होने पाए।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उनका ध्यान उत्तर प्रदेश की ओर आकृष्ट करते हुए कहा है कि 14वें वित्त आयोग की संस्तुति के अनुसार विभाज्य पूल में अंश मात्र 17.959 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, जो 12वंे एवं 13वें वित्त आयोग की अवधि में क्रमशः 19.264 एवं 19.677 प्रतिशत था। उन्होंने उल्लेख किया है कि पूर्व दोनों वित्त आयोगों की तुलना में 14वें वित्त आयोग द्वारा प्रदेश के अंश में पर्याप्त कमी किए जाने के कारण राज्य को मिलने वाली अपेक्षित अन्तरण में काफी कमी होगी।
श्री यादव ने उल्लेख किया है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की जनसंख्या एवं पिछड़ेपन को संज्ञान में लेते हुए धनराशि अन्तरित करने की मांग 14वें वित्त आयोग के समक्ष प्रबलता से रखी गई थी, किन्तु आयोग द्वारा अन्तरण हेतु अपनाए नए फार्मूले में वन क्षेत्र को 7.5 प्रतिशत भार दिए जाने एवं प्रदेश में अधिक वन क्षेत्र न होने के कारण राज्य का प्रतिशत अंश कम हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि यदि 13वें वित्त आयोग द्वारा प्रदेशों के मध्य निर्धारित प्रतिशत के अनुरूप ही अन्तरण किया जाता, तो राज्य सरकार को केन्द्रीय बजट 2015-16 में राज्य के केन्द्रांश 94,313.46 करोड़ रुपए के स्थान पर 1,03,371.19 करोड़ रुपए की धनराशि प्राप्त होती अर्थात् 14वें वित्त आयोग द्वारा लागू फार्मूले में प्रदेश का पर्याप्त अंश कम किए जाने से राज्य सरकार को लगभग 9057.73 करोड़ रुपए कम प्राप्त होंगे।
श्री यादव ने लिखा है कि 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के परिप्रेक्ष्य में केन्द्र सरकार द्वारा जहां एक ओर 13वें वित्त आयोग के माध्यम से राज्य को प्राप्त होने वाले सहायता अनुदान एवं राज्य विशिष्ट अनुदान को समाप्त कर दिया गया है, जिससे विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षा, वन सम्बन्धी अनुदान, सड़कों/पुलों तथा नहरों का अनुरक्षण, न्याय, पुलिस एवं बुन्देलखण्ड तथा पूर्वांचल क्षेत्रों सम्बन्धी योजनाएं सम्मिलित थी, वहीं दूसरी ओर कतिपय केन्द्र प्रायोजित योजनाओं को डि-लिंक कर दिया गया है। इसके अलावा, कुछ योजनाओं में केन्द्रांश भी कम कर दिया गया है, जिससे राज्यों का व्यय भार स्वतः ही बढ़ जाएगा।
मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया है कि वर्णित तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेश को प्राप्त होने वाले प्रतिशत अन्तरण में कमी के साथ-साथ केन्द्रीय योजनाओं के व्यय-भार में राज्य की भागीदारी में वृद्धि होने के कारण, प्रदेश के संसाधन और भी संकुचित हो जाएंगे, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव प्रदेश के विकास पर पड़ेगा। राज्य सरकार द्वारा अपने सीमित संसाधनों से जनहित में कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसका बदले हुए परिदृश्य में वित्त पोषण अत्यन्त दुष्कर होगा।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More