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केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के वर्गीकरण में राज्यों का अभिमत प्राप्त नहीं किया: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के वर्गीकरण में राज्यों का अभिमत प्राप्त नहीं किया है, जिसके परिणामस्वरूप श्रेणी ‘सी’ व ‘डी’ में ऐसी योजनाएं वर्गीकृत कर दी गई हैं, जो मुख्यतः पिछड़े क्षेत्रों के विकास, सामाजिक एवं आर्थिक उन्नयन व सेवा प्रदाय (डिलीवरी आॅफ सर्विस) से सम्बन्धित हैं। जबकि इन क्षेत्रों के लिए अपेक्षित सहायता उपलब्ध कराई जानी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं में भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय सहायता उपलब्ध न कराए जाने के कारण राज्य के अपने वित्तीय संसाधनों को लगाना पड़ेगा, जिससे अन्य कार्यक्रम प्रभावित होंगे।

मुख्यमंत्री ने यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान को लिखे पत्र में उठाई है, जो भारत के नीति आयोग में केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के परिमेयकरण (रेशनलाइजेशन) हेतु गठित उपसमूह के अध्यक्ष हैं। अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के रूप में 66 योजनाओं के प्रस्तावित वर्गीकरण पर पुनर्विचार किए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए लिखा है कि इन योजनाओं में अवस्थापना सुविधाओं का सृजन, कृषि, ऊर्जा, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य, नगरीय विकास, गरीब उन्मूलन, ग्राम्य विकास, समाज के कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा आदि से सम्बन्धित योजनाओं को यथावत बनाए रखते हुए फ्लैगशिप कार्यक्रमों के रूप में क्रियान्वित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन योजनाओं के वित्त पोषण के स्वरूप में परिवर्तन न किया जाए तथा राज्य को 90ः10 के अनुपात में केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के कार्यान्वयन को लचीला बनाने का आग्रह करते हुए कहा है कि इससे राज्यों को योजनाओं के मूल उद्देश्यों के आलोक में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप परिमार्जन एवं संशोधन करके इन्हें लागू करने में सुविधा होगी। मुख्यमंत्री ने केन्द्र पुरोनिधारित योजनाओं में राज्यों को फ्लैक्सी फण्ड दिए जाने के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि राज्यों को कम से कम 25 प्रतिशत फ्लैक्सी फण्ड दिया जाए। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि केन्द्रीय मंत्रालयों द्वारा इस सम्बन्ध में तत्काल आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया जाना चाहिए। उन्होेंने 27 अप्रैल, 2015 को प्रस्तावित उपसमूह की द्वितीय बैठक हेतु एजेण्डा उपलब्ध कराने का आग्रह भी किया है ताकि उसके सम्बन्ध में राज्य सरकार अपना अभिमत दे सके।

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