लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सरकार कृषि एवं किसानों को सर्वाधिक महत्व देती है। इसीलिए वर्तमान वर्ष किसान वर्ष घोषित किया गया है। कृषि संबंधित योनजायें जमीन स्तर तक पहुंचाई जायें जिससे किसानों को योजनाओं कर पूरा लाभ मिल सके। किसानों के लाभ में वृद्धि के लिए कृषि की लागत कम की जाये, अच्छे लाभकारी बीजों की प्रजातियां संरक्षित की जाये।
कृषि राज्य मंत्री ने आज यहां यह विचार कृषि भवन स्थित आडीटोरियम में आयोजित राज्य स्तरीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी 2015 में रखे। खरीफ में उत्पादन एवं उत्पादकता की वृद्धि के लिए किसानों को सरकार द्वारा समय पर सभी कृषि निवेश खाद, बीज, रक्षा रसायन उपलब्ध रहेंगे। उन्हें सोलर पम्प पर व्यापक छूट उपलब्ध कराई जा रही है। विभिन्न फसल के आच्छादन खरीफ लक्ष्य वर्ष 2014 के 89.57 लाख हे0 के सापेक्ष वर्ष 2015 में 85.18 लाख हे0 निर्धारित किया गया है।
कृषि राज्य मंत्रीे ने कहा कि खरीफ में कृषि निवेशों की समय से उपलब्धता, उन्नत कृषि तकनीकी, संकर बीजों का प्रयोग का विस्तार, मृदा परीक्षण अभियान द्वारा संतुलित उर्वरकों, जैविक खादों के प्रयोग के प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन के साथ-साथ किसान एकजुट होकर मेहनत करें तो लक्ष्यों की प्राप्ति अवश्य होगी। सरकार द्वारा सोलर पम्प पर भारी छूट दी जा रही है। बुन्देलखण्ड में तिलहन की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड, फसली ऋण की सुविधा, प्रमाणित एवं गुणात्मक बीजों की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। खरीफ में संकर बीजों, एवं रोटावेटर, सीडड्रिल पर 50 प्रतिशत का अनुदान, 20 लाख जैविक उर्वरक 2.25 रुपये प्रति पैकिट वितरित करने, 16 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। 9 जलवायुविक जोनों में किसान मेलों इसके अतिरिक्त गोष्ठियों का आयोजन होगा।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आनन्द मिश्र ने बताया कि किसानों की सहायता के लिए करोड़ों रुपये दिये गये हैं और उनकी सहायता लगातार की जा रही है। उन्होंने बीमा की धनराशि तुरन्त जमा करने पर जोर दिया जिससे फसल बीमा का लाभ किसानों को मिल सके। उन्होंने कहा कि सरकारी तंत्र, कृषक, समय पर पर्याप्त कृषि निवेश से किसानों की खुशहली अवश्य आयेगी।
प्रमुख सचिव, श्री अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि खरीफ में उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए रणनीति तैयार कर ली गयी एवं जिसका क्रियान्वयन प्रभावी रूप से किया जायेगा। कृषकों तक गोष्ठियों एवं मेलों के माध्यम से नई तकनीक, वैज्ञानिक सुझाव पहुचाये जायेंगे। प्रति सप्ताह किसानों को मौसम के अनुसार सुझाव भी दिये जायेंगे। उन्होंने कृषि के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन एवं मौन पालन आदि कृषि विविधीकरण अपनाने की बात भी रखी। कृषि सलाहकार श्री रमेश यादव ने विकास खण्डों पर बीज एवं अन्य सुविधायें उपलब्ध कराने की बात रखी, उन्होंने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, मृदा परीक्षण एवं पारदर्शी किसान सेवा योजना के संबंध में किसानों को बताया। प्रमुख सचिव पशुपालन, ने पशुओं को टीका लगवाने एवं पशुओं के चारे में ज्वार, मक्का, लोबीया आदि उगाने के लिए कहा। प्रमुख सचिव, समन्वय श्री राजन शुक्ला ने कृषि विविधीकरण अपनाने के लिए किसानों का अह्वान किया। उन्होंने बताया कि 18 जनपदों में विविधीकरण की योजनायें चलाई जा रही हैं। कृषि निदेशक श्री ए0के0बिश्नोई ने कृषि विभाग की सभी प्रमुख योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
गोष्ठी में कृषि तथा कृषि से सबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों आदि ने भाग लिया। किसानों ने अपनी मांगों में फसल बीमा का लाभ मिलने में आई दिक्कतों, किसान सेवा योजना के पंजीकरण की अवधि बढाने, सिंचाई आदि से संबंधी मांगे रखी। इस अवसर पर कृषि, सहकारिता, उद्यान, पशुपालन आदि विभागों तथा अनेक कम्पनियों ने अपने-अपने स्टाल लगाकर अपने उत्पादों, योनजाओं से परिचत कराया। सभी जनपदों कें किसानों ने यहां भारी संख्या में उपस्थित दर्ज करायी।