देहरादून: उत्तराखंड में बहुमत परीक्षण की कार्यवाही खत्म हो गई है। इसका परिणाम सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपा जाएगा। बीजेपी के तीरथ सिंह ने कहा, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे को खोला जाएगा। वोटिंग ‘हाथ खड़े करके’ हुई। इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि हरीश रावत ने शक्ति परीक्षण में सफलता हासिल की है। बीजेपी 28 विधायकों तक सिमट कर रह गई। मुख्यमंत्री हरीश रावत को बहुमत साबित करने के लिए 31 विधायकों के समर्थन की जरूरत थी। कांग्रेस के नौ बागी विधायक फ्लोर टेस्ट के दौरान वोट नहीं कर पाए।
कांग्रेस MLA रेखा आर्य विधानसभा पहुंचते ही बीजेपी खेमे के साथ दिखीं। वहीं मायावती ने साफ कर दिया था कि उसके 2 विधायक कांग्रेस का साथ देंगे। वह सांप्रदायिक ताकतों का साथ नहीं देंगी।
संविधान विशेषज्ञ वीके अग्निहोत्री के अनुसार, बीजेपी से निष्कासित विधायक भीम लाल पार्टी व्हिप से बंधे हुए हैं। कांग्रेस की विधायक रेखा आर्य जो कि बीजेपी के खेमे में दिखाई दी थीं, के मामले में अग्निहोत्री ने कहा कि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि उन्होंने पार्टी निर्देशों का उल्लंघन किया, तब तक कार्रवाई नहीं की जा सकती।
हरीश रावत ने फ्लोर टेस्ट से कुछ घंटे पहले ही कहा था बहुमत हमारे साथ है। पीडीएफ के विधायक भी हमारे साथ ही हैं। देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी है। उत्तराखंड की जीत होगी। रावत ने फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के गेट पर सभी विधायकों की अगवानी की थी।
दो घंटे के लिए हटा राष्ट्रपति शासन
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दो घंटे के लिए राष्ट्रपति शासन हटाया गया। फ्लोर टेस्ट के दौरान विधानसभा में मोबाइल फोन ले जाने पर पाबंदी थी। कोर्ट ने शक्ति परीक्षण के लिए विधानसभा के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था।
उतराखंड मामले में बागी विधायक शैला रानी रावत सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। उन्होंने अपील में कहा कि 27 मार्च को राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया था। उसी दिन स्पीकर ने 9 विधायकों को अयोग्य करार दिया था। ऐसे में राष्ट्पति शासन लगने पर स्पीकर ऐसा कदम नहीं उठा सकता और उनके पास ये अधिकार नहीं था। स्पीकर का ये आदेश गलत था। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा।
बागी विधायक रहेंगे अयोग्य
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था जिसमें कांग्रेस के 9 बाग़ी विधायकों को अयोग्य करार दिया गया था। इस फैसले के परिणामस्वरूप ये बाग़ी विधायक आज सदन में होने वाले विश्वास मत के दौरान वोट नहीं डाल पाए। मामले में अंतरिम राहत देने पर अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 12 जुलाई को होगी। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था और उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को ही एक फैसले में विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को सही ठहराया था।
ये हैं कांग्रेस के 9 बाग़ी विधायक
अमृता रावत
हरक सिंह रावत
प्रदीप बतरा
प्रणव सिंह
शैला रानी रावत
शैलेंद्र मोहन सिंघल
सुबोध उनियाल
उमेश शर्मा
विजय बहुगुणा
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