देहरादून: यूथ रॉक्स फाउंडे’ान देहरादून के संस्थापक डॉ दिव्या नेगी घई ने उत्तराखंड में महिलाओं के वेरोजगार होने के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहती है ’ हम सभी ने दसवीं और बारहवीं के बोर्ड के परिणामों में लड़कियों की अपने स्कूलों में टॉप करने की उज्ज्वल तस्वीरें देखी हैं और परिणाम के समय लड़कियों का अधिक पास प्रतिशत एक आम दृश्य है। हम अपनी बेटियों पर गर्व महसूस करते हैं और मैजूद सभी मंचों पर समाज के विभिन्न वर्गों के द्वारा महिला सशक्तिकरण के नारों और घोषणाओं से प्रोत्साहित करते हैं। हमें लगता है कि इस दिशा में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर सब कुछ ठीक चल रहा है। हम मानते हैं कि ये सभी लड़कियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही होंगी और अंततः आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही होंगी। लेकिन यह सब हकीकत से कोसों दूर है। यदि हम वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न सर्वेक्षणों से आने वाले आंकड़ों को देखें तो हम अत्यधिक निराश होगें।’
एनएसओ की ओर से जारी आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि कोरोना महामारी के बाद उत्तराखंड में शहरी बेरोजगारी में बढ़ोतरी हुई। राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों में तेजी से बेरोजगारी दर बेशक कम हुई हो, लेकिन उत्तराखंड में देश में सबसे ज्यादा 15.5 फीसद बेरोजगारी दर रही। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण अक्तूबर 2021 से दिसंबर 2021 में यह खुलासा हुआ है।
उत्तराखंड में पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा बेरोजगार हैं। सर्वे के मुताबिक, अक्टूबर से दिसंबर 2020 में पुरुषों में बेरोजगारी दर 11.1 फीसद थी। 2021 में इसी तिमाही में पुरुषों में बेरोजगारी दर बढ़कर 14.2 फीसद हो गई। इसकी तुलना में अक्टूबर से दिसंबर 2020 में पुरुषों से अधिक 13.4 फीसद महिलाएं बेरोजगार थीं, 2021 की इसी तिमाही में बेरोजगारी दर बढ़कर 20.7 फीसद हो गई। यानी कोरोना महामारी के बाद प्रदेश के शहरों में महिलाओं का सबसे अधिक रोजगार छुटा।
राज्यों में शहरी बेरोजगारी प्रतिशत दर- उत्तराखंड-15.5, केरल-15.2, जम्मू कश्मीर-14.5, ओडिशा-14.1, राजस्थान-12.2, हरियाणा-11.5, बिहार-11.1, छत्तीसगढ़-11.3, हिमाचल-11.0, तमिलनाडु-10.2, झारखंड-09.6, मध्य प्रदेश-09.5, उत्तर प्रदेश-09.4, दिल्ली-09.1, असम- 09.0, पंजाब-07.7, तेलंगाना- 07.7, आंध्र प्रदेश-07.5, महाराष्ट्र-07.2, प. बंगाल-06.5, कर्नाटक-05.5, गुजरात-04.5।
कोविड-19 के प्रकोप के बाद से भारत में महिलाओं के रोजगार में भारी गिरावट आई है और अब, 2022 में 9 प्रतिशत तक गिर गया, जो युद्धग्रस्त यमन के समान है। विश्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है, “2010 और 2020 के बीच, भारत में कामकाजी महिलाओं की संख्या 26 प्रतिशत से गिरकर 19 प्रतिशत हो गई।“
महिलाओं और युवाओं के लिये कार्य
यूथ रॉक्स फाउंडे’ान देहरादून के संस्थापक डॉ दिव्या नेगी घई कहंती है वे महिलाओं और युवाओं के सवालों को प्रमुखता से उठाना चाहती है। इन दोनों के बिना हम पहाड़ की कल्पना नहीं कर सकते। पहाड़ आज बचा है तो महिलाओं के कारण। युवाओं को पहाड़ में रोकना बहुत जरूरी है। इसके लिये संस्था महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति चेतना के लिये काम करेगी। महिलाओं को उनके कष्टों से निजात मिले उसके लिये सरकारी स्तर पर उनके उत्थान के लिये चल रही योजनाओं का लाभ मिले यह सुनिश्चित किया जायेगा। महिलाओं की शिक्षा, उनके स्वास्थ्य और उन्हें मुख्यधारा में प्रतिनिधित्व मिले इसके लिये संस्था काम करेगी। महिलाओं को परंपरागत समाजिक संरचना से बाहर लाकर उनकी प्रतिभा का सही उपयोग कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने, उन पर होने वाले किसी प्रकार के शोषण, भेदभाव, घरेलू हिंसा या अपराध को रोकने के लिये संस्था काम करेगी। युवाओं के लिये यूथ रॉक्स फाउंडे’ान ’ हर स्तर पर काम करेगी ताकि वह अपने रोजगार के लिये पहाड़ न छोड़े। युवाओं के लिये उत्तराखंड में रोजगार, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा या उन सभी संभावनाओं को देखते हुये मदद की जायेगी ताकि वह अपने संसाधनों से ही यहां अपनी आजीविका चला सके।