देहरादून: बीजापुर हाउस में उत्तराखण्ड ग्राम प्रधान संगठन के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से भेंट की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने 14 वें वित्त आयोग से मिल रहे धन को व्यय करने के संबंध में उत्पन्न भ्रम की स्थिति को दूर करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने ग्राम प्रधानों को केवल राय दी है कि गांवों में किन कार्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
ग्राम प्रधानों को लिखे पत्र में केवल यह अनुरोध किया गया है कि ग्राम पंचायतों को मिले धन का उपयोग चाल-खाल बनाने, पानी की निकासी के लिए नालियां बनाने, साफ-सफाई, शौचालयों के निर्माण, छोटी पेयजल योजना में किया जाए। इन कार्यों को ग्राम पंचायतों द्वारा ही किया जाना है। इसमें राज्य सरकार की हस्तक्षेप करने की कोई मंशा नहीं है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि कतिपय कार्यों के लिए जिन ग्राम पंचायतों के पास धन की कमी हो रही होगी, वहां शेष धनराशि की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। ‘मेरा गांव मेरी सड़क’ योजना में ग्राम पंचायत सड़क निर्माण का प्रस्ताव देती है तो केवल 50 प्रतिशत लागत उस ग्राम पंचायत को वहन करनी होगी। शेष 50 प्रतिशत लागत राज्य सरकार उठाएगी। इस प्रकार ग्राम पंचायत को ‘मेरा गांव मेरी सड़क’ के माध्यम से राज्य सरकार से अतिरिक्त धनराशि मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि 14 वें वित्त आयोग की संस्तुतियों पर ग्राम पंचायतों को धनराशि उपलब्ध करवाई जा रही है। यह राशि जनसंख्या के मानक पर आधारित होने से उन ग्राम पंचायतों को नुकसान हो रहा है जहां का क्षेत्रफल तो अधिक है परंतु जनसंख्या अपेक्षाकृत कम है। इसके लिए राज्य सरकार अपने स्तर पर एक कोष का गठन करेगी।