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उत्तराखण्ड भोजन माता संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड
देहरादून: उत्तराखण्ड का अर्थ है महिला सशक्तिकरण। सुव्यवस्थित उत्तराखण्ड बनाने के लिए राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता महिलाओं के कल्याण कार्यक्रम हैं।

विकासनगर स्थित एक वैडिंग पाइंट में उत्तराखण्ड भोजन माता संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश में भोजन माताएं बेहतरीन काम कर रही हैं। घर में बच्चों की देखभाल मां करती है तो स्कूल में भोजन माता। उत्तराखण्ड में भोजन माताओं के मानदेय को दस माह से बढ़ाकर 11 माह का करने पर  मुख्यमंत्री श्री रावत का आभार व्यक्त करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि भोजन माताएं, आशा, आंगनबाड़ी आदि केंद्र सरकार की योजनाएं हैं। इनमें राज्य सरकार अधिक परिवर्तन नहीं कर सकती है। फिर भी कुछ सम्भव सुधारात्मक निर्णय राज्य सरकार ने लिए हैं। भोजनमाताओं को हम 1500 रूपए मानदेय दे रहे हैं जो कि दूसरे राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है। हालांकि भोजन माताओं द्वारा किए जा रहे काम को देखते हुए इसे अधिक नहीं कहा जा सकता है। एक रिवाल्विंग फंड बनाया जा रहा है ताकि जब भोजन माताएं सेवानिवृत्त हों तो उन्हें कुछ राशि प्राप्त हो सके। अंशदायी बीमा योजना प्रारम्भ की जाएगी जिसमें भोजन माताओं से बहुत ही नाम मात्र की अंशदायी राशि ली जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों मे परिवर्तन के लिए काम कर रही बहनों के लिए आगामी चै़त्र माह में एक योजना पं.नारायाण दत्त तिवारी जी के नाम पर प्रारम्भ की जाएगी। इसमें आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलो व भोजनामाताओं को एक साथ लेकर ‘‘उन्नति’’ योजना से जोड़ा जाएगा। इसमें भोजनामाताओं के लिए कुछ अतिरिक्त काम निकाला जाएगा जिसके एवज में अतिरिक्त पारिश्रमिक मिलगा। जैसे प्रदेश के आर्थिक संसाधन विकसित होंगें, उसका लाभ निचले स्तर तक पहुंचाया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद महिला कल्याण की अनेक योजनाएं प्रारम्भ की हैं। जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक हमारी बहनें व बेटियां किसी न किसी योजना के तहत लाभ उठा सकती हैं। गौरादेवी कन्याधन योजना में बालिकाओ की शिक्षा के लिए हम लगभग 86 करोड़ रूपए खर्च कर रहे हैं। अब 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए टेक होम राशन की व्यवस्था प्रारम्भ की गई है। इसमें एपीएल या बीपीएल का कोई प्रतिबंध नहीं है। प्रत्येक थाने में एक महिला सब इंस्पेक्टर, 1800 महिला कान्स्टेबिलों की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा पीआरडी व होमगार्ड में 30 फीसदी महिलाएं नियुक्त की जाएंगी। कन्या के जन्म पर एफडी, विधवा महिलाओं की पुत्रियों के विवाह पर सहायता राशि, गर्भवती महिलाओं के लिए पोष्टिक आहार, बालिकाओं के लिए साईकिल योजनाएं संचालित की जा रही हैं। काम करते हुए दुर्घटनाग्रस्त महिलाओं के लिए तीलू रौतेली पेंशन के साथ ही परित्यक्ता व एकाकी महिलाओं के लिए भी पेंशन प्रारम्भ की गई है। विक्षिप्त व्यक्ति की पत्नी को पोषण व पेंशन राशि के साथ ही व जन्म से ही विकलांग बच्चा होने पर भी पोषण राशि दी जा रही है। हमने न केवल सामाजिक सुरक्षा संबंधी पेंशनों की संख्या बढ़ाई है बल्कि विकलांग, वृद्धावस्था, विधवा पेंशन की राशि में भी बढ़ोतरी की है। साठ वर्ष से अधिक की महिलाएं उत्तराखण्ड रोड़वेज की बसों में निशुल्क सफर कर सकती हैं। मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ योजना के तहत हिंदु, मुस्लिम व सिक्ख बुजुर्ग अपने तीर्थस्थलों की यात्रा कर सकते हैं। इसमें यात्रा की व्यवस्था राज्य सरकार करती है।
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, विधायक नवप्रभात, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती सरोजिनी कैंत्यूरा, जगदीश सिंह, श्रीमती ऊषा देवी सहित बड़ी संख्या में भोजन माताएं मौजूद थीं।

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