देहरादून: राज्य सरकार द्वारा राज्य में निवेश को बढावा देने, पलायन रोकने, स्थानीय संसाधनों पर आधारित अधोगों की स्थापना करने,रोजगार सृजन, स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने तथा युवाओं के कौशल विकास के लिए उत्तराखण्ड सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम नीति 2015 के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रमुख सचिव उद्योग श्रीमती मनीषा पंवार की अध्यक्षता में रेखीय विभाग एवं उद्योग बन्धुओं के साथ बैठक आयोजित की गई।बैठक में प्रमुख सचिव श्रीमती मनीषा पंवार ने सभी रेखीय विभागों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के आर्थिक विकास में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र की महत्ता को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रदेश के लिए नई सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम नीति प्रख्यापित की गई है, जिसमें मा. मुख्यमंत्री द्वारा इस बात पर विशेष बल दिया गया कि एम.एस.एम.ई.,खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन, सिडकुल, वैैकल्पिक ऊर्जा द्वारा संचालित योजनाओं को सभी क्षेत्रों के निवेशकों के साथ सतत् संवाद स्थापित किया जाय तथा संचालित योजनाओं का व्यापक प्रचार प्रचार किया जाय ताकि अधिक से अधिक लोग जागरूक होकर इन योजनाओं का लाभ उठायें। उन्होने यह भी निर्देश दिये कि प्रत्येक माह के अन्तिम सप्ताह के शुक्रवार को सभी जनपदों में स्वरोजगार एवं उद्यमिता दिवस का आयोजन किया जायेगा जिसमें सभी रेखीय विभागों एवं उद्यमियों के साथ चर्चा की जायेगी तथा इसके क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं का समाधान किया जायेगा।
उन्होने यह भी कहा कि इस नीति के अन्तर्गत वित्तीय प्रोत्साहनों एवं अनुदान सहायता के लिए जनपद/क्षेत्रों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिसमें सीमावर्ती एवं सुदूर जनपदों को श्रेणी ए में वर्गीकृत करते हुए विशेष पूंजी निवेश प्रोत्साहन सहायता के रूप में 40 प्रतिशत अधिकतम 40 लाख तथा विशेष ब्याज उपादान के रूप मं 10 प्रतिशत अधिकतम 8 लाख रू. उपादान दिये जाने का प्राविधान किया गया है। नीति में वित्तीय प्रोत्साहन के रूप में विद्युत बिलों की प्रतिपूर्ति, वैट की प्रतिपूर्ति विशेष राज्य परिवहन उपादान तथा स्टैम्प ड्यूटी में छूट की सुविधायें भी दी गई है। उन्होने कहा कि एम.एस.एम.ई. क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए नये औद्योगिक आस्थानों तथा अवस्थापना सुविधाओं के विकास, अवस्थापना विकास कोष की स्थापना, एम.एस.एम.ई., क्षेत्र में गुणवत्ता अभिवृद्वि एवं इनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढाने के उपाय किये गये है। उन्होने अवगत कराया कि ए श्रेणी में जिला पिथौरागढ, उत्तरकाशी,चमोली, चम्पावत, रूद्रप्रयाग व बागेश्वर का सम्पूर्ण क्षेत्र बी श्रेण में जनपद पौडी गढवाल टिहरी गढवाल व अल्मोडा का सम्पूर्ण भू-भाग, जनपद देहरादून के विकासनगर, डोईवाला, सहसपुर तथा रायपुर विकासखण्ड को छोडकर अन्य पर्वतीय बाहुल्य विकासखण्ड जनपद नैनीताल के हल्द्वानी एवं रामनगर विकासखण्ड को छोडकर अन्य सभी पर्वतीय बाहुल्य विकासखण्ड। सी श्रेणी में जनपद देहरादून के रायपुर, सहसपुर विकासनगर व डोईवाला विकासखण्ड के समुद्र तल से 650 मी. से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र। जनपद नैनीताल के रामनगर व हल्द्वानी विकासखण्ड। डी श्रेणी में जनपद हरिद्वार एवं उद्यमसिहनगर का सम्पूर्ण क्षेत्र तथा जनपद देहरादून व नैनीताल के अवशेष क्षेत्र (श्रेणी बी-व सी में सम्मिलित क्षेत्रों को छोडकर)
बैठक में सिडकुल की वर्तमान एवं प्रस्तावित परियोजनाओं, राज्य एवं केन्द्र सकार की खाद्यप्रसंस्करण नीति, हाइड्रो एवं सोलर पावर तथा पर्यटन तथा राज्य के प्रमुख उद्योग संघो, नाबार्ड के साथ-साथ श्रम, कर विधि आबकारी, शहरी विकास विभाग, राज्य प्रदूषण नियत्रणं बोर्ड के अधिकारियों द्वारा अपने-अपने विभागों द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई।
बैठक में डा. आर.राजेश कुमार निदेशक उद्योग, अपर निदेशक उद्योग सुधीर चन्द्र नौटियाल, अपर निदेशक पर्यटन ए.के. द्विवेदी, महाप्रबन्धक सिडकुल एस.एल. सेमवाल संयुक्त निदेशक उद्योग श्रीमती कौशल्या बन्धु, प्रबन्धक नाबार्ड भूपेन्द्र सिंह, श्रम आयुक्त डा. आनन्द श्रीवास्तव सहित सभी क्षेत्रों के उद्यमी सहित सम्बन्धित अधिकारी मौजूद थे।