देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुधवार को बीजापुर अतिथि गृह में औद्यानिकी विभाग की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि औद्यानिकी को प्रदेश की आर्थिकी से जोड़ा जाय। सगन्ध पौधों के कृषिकरण पर विशेष जोर दिया जाय।
प्रदेश की औद्यानिकी नीति व उत्तराखण्ड सगन्धीय नीति शीघ्र तैयार की जाय। किसानों को अदरक व हल्दी के बीज 75 प्रतिशत सब्सिडी पर दिया जाय। उन्होंने गढ़वाल व कुमांयू में 4-‘4 कलस्टर तैयार किये जाय। इसके साथ ही आंवला, अखरोट के कलस्टर आधारित क्षेत्र विकसित किये जाय। किसानों को खेती में पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाय। इसके लिये खेती में उत्पन्न होने वाले अनाज की प्राइम सर्पोट की व्यवस्था सरकार द्वारा वहन की जायेगी। एरोमैटिक व जड़ी बूटी किसानों को सुनिश्चित बाजार उपलब्ध होने वाले उत्पादों के कृषिकरण, खाद बीज, प्रशिक्षण व मार्केटिंग आदि पर आने वाला क्रय भी सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। इसके लिए ठोस कार्ययोजना बनायी जाय। उन्होंने कहा कि सगन्धीय नीति तैयार की जाय, जिसमें सगन्ध फसलों के कृषिकरण, वृक्षारोपण, विपणन, बीमा, ढुलान, संरक्षित खेती, कृषि यंत्र, कृषि निवेश, सिंचाई व्वस्था, मैकेनाईजेशन, प्रदर्शन, आसवन, प्रसंस्करण, गुणवत्ता नियंत्रण, कलस्टर विकास आदि बिन्दुओं को शामिल किया जाय। उन्होंने कहा कि जिलेवार पौधारोपण एवं कहां पर कौन से उत्पादों की संभावना बहुतायत है, इसकी रिपोर्ट तैयार की जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बेमौसमी बारिश के कारण हुए नुकसान के आंकलन में भी तेजी लायी जाय। उन्होंने कहा कि किसानों को दिये जाने वाली मुआवजा राशि एक हजार रुपये से कम किसी भी किसान को न दिया जाय। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि उद्यान विभाग का ढांचा शीघ्र तैयार किया जाय।
बैठक में उद्यान मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत, पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, मुख्य सचिव एन. रवि शंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, सचिव उद्यान निधि पांडेय आदि उपस्थित थे।
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