उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति – 2020 (एसटीआईपी 2020) से संबंधित उत्तराखंड राज्य स्तरीय परामर्श बैठक के लिए एक संदेश में जोर देकर कहा है कि एसटीआईपी 2020 को हर राज्य की स्थानीय एवं पारंपरिक तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए और नए युग के नवाचारों के साथ उनका समर्थन करना चाहिए।
मुख्यमंत्री के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सलाहकार प्रो. नरेंद्र सिंह के माध्यम से भेजे गये एक संदेश में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि “नवाचारों के साथ ग्रामीण तकनीकों का दोहन, अर्थव्यवस्था का ग्रामीणीकरण, स्थानीय स्तर पर तकनीक एवं नवाचारों के सहयोग से ग्राम-आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और देश को आत्मनिर्भर बनाएगा।”
राष्ट्रीय ‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति–2020’ से संबंधित इस राज्य स्तरीय परामर्श बैठक का आयोजन विजनान भारती (वीआईबीएचए) की राज्य इकाई देव भूमि विज्ञान समिति, उत्तराखंड द्वारा 11 अक्टूबर, 2020 को आभासी माध्यम से प्रस्तावित नवीन विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति-2020 के लिए विस्तृत परामर्श प्रक्रिया के एक अंग के तौर पर किया गया।
प्रोफेसर नरेन्द्र सिंह ने बागेश्वरी चरखा और लोहाघाट कढ़ाई के बारे में भी बताया, जो ग्रामीण लोगों की आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत बन गए हैं। इन ग्रामीण तकनीकों को नवाचारों की मदद से बदलकर सार्थक बना दिया गया है। उन्होंने राज्यों के विशिष्ट समस्याओं का समाधान करने और एक कुशल श्रमशक्ति तैयार करने के लिए नए युग की नवीन प्रौद्योगिकी को पारंपरिक तकनीकों और जनशक्ति का पूरक बनने की जरुरत को रेखांकित किया।
डॉ. अखिलेश गुप्ता, सलाहकार एवं प्रमुख, एसटीआईपी – 2020, डीएसटी ने इस नीति की महत्वपूर्ण विशेषताओं और इसके विकेंद्रीकृत, उर्ध्वाधरएवं समावेशी डिजाइन प्रक्रिया पर प्रकाश डाला, जिसमें स्वदेशी तकनीक, जमीनी स्तर के नवाचारों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी विघटनकारी तकनीक, मशीन के बारे में सीखने, इंटरनेट संबंधी पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। उन्होंने वृहतर सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा के तिहरे हेलिक्स ढांचे को आगे बढ़ाने पर बल दिया और राष्ट्रीय एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र और नीति निर्माण में राज्यों की भूमिका पर जोर डाला।
ई. जयंत सहस्रबुद्धे, राष्ट्रीय संगठन सचिव, विजनान भारती (वीआईबीएचए) ने नीति निर्माण की प्रक्रिया में इनपुट के तौर पर सभी हितधारकों के विचारों को एक साथ लाने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति के सचिवालय,विशेष रूप से डॉ. अखिलेश गुप्ता,के प्रयासों की सराहना की।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत के. चतुर्वेदी ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षाविदों और शोध संस्थानों को सहकर्मी समूहों की मान्यता से परे जाना चाहिए और अपनी प्रौद्योगिकियों और नवाचारों का व्यवसायीकरण करके बाजार से मान्यता प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने शिक्षा और उद्योग को करीब लाने के लिए एक महान मंच के रूप में स्टार्टअप की संस्कृति के निर्माण पर जोर दिया।
डॉ. राजेंद्र डोभाल, डीजी, उत्तराखंड एस एंड टी काउंसिल (यूकोस्ट), देहरादून ने सुझाव दिया कि एसटीआईपी 2020 को राज्य के एस एंड टी काउंसिलों के माध्यम से राज्यों में गुणवत्ता वाले मानव संसाधन पैदा करने, शिक्षा तथा उद्योग के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए उच्चाधिकार प्राप्तअंतर-मंत्रालय समितियों कानिर्माण करने और केंद्रीय एवं राज्य के विश्वविद्यालयों के साथ-साथ प्रयोगशालाओं के बीच समन्वय और नेटवर्किंग सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
इस राज्य स्तरीय परामर्श बैठक में बड़ी संख्या में विशेषज्ञों और विचारशील नेताओं ने भाग लिया। इनमें प्रोफेसर श्याम लाल सोनी, निदेशक, एनआईटी श्रृंगार (गढ़वाल); डॉ. महेंद्र कुंवर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एचएआरसी, देहरादून; प्रोफेसर रूपकिशोर शास्त्री, वीसी, जीकेवी, हरिद्वार; डॉ. दीपांकर बनर्जी, निदेशक, एआरआईईएस, नैनीताल; प्रोफेसर देवी पी. त्रिपाठी; डॉ. नरेंद्र एस. चौधरी, कुलपति, यूटीयू देहरादून; डॉ. विजय धस्माना, कुलपति, एसआरएचयू; प्रो राकेश शर्मा, वीसी, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय, देहरादून; श्री पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ़ यूके; डॉ. कलाचंद सेन, निदेशक, डब्ल्यूआईएचजी, देहरादून; डॉ. आरएस रावल, निदेशक जीबीपीआईएचई, अल्मोड़ा तथा कई अन्य गणमान्य लोग शामिल थे। इन विशेषज्ञों की सिफारिशेंऔर बैठक में हुई चर्चा नीति मसौदा प्रक्रिया के इनपुट के तौर पर काम करेंगी।
इस बैठक का आयोजन डॉ. केडी पुरोहित, अध्यक्ष और डॉ. हेमवती नंदन, सचिव, विभा उत्तराखंड के मार्गदर्शन में किया गया।