देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड राज्य वन्य जीव बोर्ड की 13वीं बैठक आयोजित हुई। बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। इस अवसर पर वन मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत भी उपस्थित थे। बैठक में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने वनों के प्रबन्धन में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित किये जाने पर बल देते हुए कहा कि वनों के संरक्षण के साथ ही ग्रामीणों की आजीविका भी प्रभावित न हो इसके लिये प्रभावी पहल होनी चाहिए।
बैठक में मानव वन्य जीव संघर्ष से ग्रसित गांवों में वालेण्टरी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स के गठन, संरक्षित क्षेत्रों के अन्दर व निकटस्थ गांवों में इको डेवलपमेंट कार्यक्रम को पंचायतों के माध्यम से संचालित कराये जाने, राज्य मे कस्तुरी मृग व राज्य पक्षी मोनाल के संरक्षण, मत्स्य संरक्षण एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एंगलिंग की अनुमति प्रदान करने के साथ ही कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व में मानव वन्य जीव संघर्ष को कम करने के लिए बाघो व जंगली हाथियों की जनसंख्या प्रबन्धन व धारण क्षमता के आकलन के लिये दीर्घ कालीन शोध व नीति निर्धारण पर सहमति प्रदान की गई।
बैठक में नन्दौर एवं सुरई को क्षेत्रीय जनता की मांग के दृष्टिगत बफर जोन न बनाये जाने का भी निर्णय लिया गया। लालढ़ांग-चिल्लरखाल सड़क के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई। अब यह प्रस्ताव नेशनल वाईल्ड लाईफ बोर्ड को भेजा जाएगा। नेशनल पार्क व बफर जोन में वर्षों पूर्व स्थापित स्कूलों आदि में सौर उर्जा एवं शौचालयों के निर्माण के लिए कंजरवेटर को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया। इसके अतिरिक्त बैठक में विभिन्न सड़को के 16 प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई।
बैठक में कंडी मार्ग के सम्बन्ध में इसके सभी पहुलओं पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण के माध्यम से व्यापक चर्चा की गई। इस सम्बन्ध में व्यापक विचार विमर्श के पश्चात् शासन द्वारा इस पर व्यवहारिकता के दृष्टिगत नीतिगत निर्णय किए जाने की भी सहमति बनी।
बैठक में विधायक श्री सुरेश राठौर, श्री दिवान सिंह बिष्ट, श्री धन सिंह नेगी, मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव श्री आनन्द वर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक श्री जयराज सहित बोर्ड के सदस्यगण एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।