देहरादून: उत्तराखण्ड के विशेष राज्य के दर्जें को बनाए रखने, केन्द्रीय सहायता पूर्ववत पैटर्न पर ही देने के लिए राज्य विधानसभा में केन्द्र सरकार से अनुरोध हेतु सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने के लिए भारत सरकार से अनुरोध का प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित किया गया।
विधानसभा में इस पर हुई चर्चा में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि हम केन्द्र सरकार को विरोधी के तौर पर नहीं ले रहे परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा व्यवस्था में किए गए परिवर्तन से राज्य को लगभग रू. 3000 करोड़ का नुकसान हुआ, इस पर हमारा चिंतित होना स्वाभाविक हुआ है। पहले 38 से 46 योजनाएं ऐसी थी, जिनमें फंडिंग का पैटर्न 90ः10 था जिसे बदलकर 50ः50 कर दिया गया हैं। 8 योजनाएं शतप्रतिशत केन्द्र सहयतित थी, जिन्हें पूरी तरह से राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया हंै। फूड प्रोसेसिंग में हम टेक आॅफ कर ही रहे थे। अब केन्द्रीय फंडिग ना होने से हम सम्भावनाओं का लाभ नहीं उठा पाएंेगे। इसी प्रकार ई-गर्वनेंस, पुलिस आधुनिकीकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को भी पूरी तरह से राज्यों पर छोड़ दिया गया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस मुद्दे पर सहयोग के लिए विपक्ष का आभार व्यक्त किया। साथ ही इस मुद्दे को लोकसभा में उठाने के लिए सांसद भगत सिंह कोश्यारी का भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्य का पक्ष-विपक्ष व राज्य के सांसदों को भी साथ लेकर उत्तराखण्ड को हुए नुकसान के बारे में प्रधानमंत्ररी व भारत सरकार के समक्ष पक्ष रखा जाएगा।