देहरादून, 16 मार्च, 2015, मानवीय बस्तियों में गुलदार आदि के घुस आने की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग प्रभावी कार्ययोजना तैयार करें। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोमवार को विधान सभा स्थित अपने कार्यालय में वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर निर्देश दिये कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को गम्भीरता से लिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुलदारों की संख्या प्रदेश की क्षमता से अधिक हो गई है। ऐसे गुलदारों को प्रदेश से बाहर शिफ्ट करने के लिए केन्द्र सरकार को तत्काल पत्र भेजा जाय। उन्होंने कहा कि गुलदार के कारण हो रही घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाने के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाय। खाद्य श्रंखला को फिर से बनाए जाने की आवश्यकता है।
प्रत्येक फारेस्ट डिवीजन स्तर पर हिरन सहित अन्य छोटे जानवरों के लिए एक-एक प्रजनन केन्द्र विकसित किया जाय। गढ़वाल व कुमायूं में एक-एक लेपर्ड सफारी बनाये जाय। इसके साथ ही जंगलों में चैडी पत्तीदार व फलदार वृक्षों के रोपण पर कार्य किया जाय। जंगलों के किनारे के गांवों में सोलर लाईट लगाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाये। भारत सरकार और जायका जैसी योजनाओं को प्रस्ताव भेजे जाय, कि जंगल के किनारे बसे गांवों में बिजली, झाडी कटान, शौचालय आदि की व्यवस्था हेतु सहयोग किया जाय। वन विभाग ऐसी कार्ययोजना बनाये, जिसमें बुरांश, बांज व फलदार वृक्ष का रोपण किया जाय।
बैठक में वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, प्रमुख सचिव वन रणबीर सिंह, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डी.एस.खाती, अपर प्रमुख वन संरक्षक एस.टी.एस.लेप्चा आदि उपस्थित थे।