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उत्तराखण्ड नान टिम्बर फारेस्ट प्रोडयूस सेन्टर आफ एक्सीलेंस कम म्यूजियम एवं ट्रैनिंग सेन्टर एनण्सीण्ईद्ध का शिलान्यास करते हुएः वन मंत्री

उत्तराखंड

देहरादून: प्रदेश में जायका योजनान्तर्गत लगभग 17 करोड़ रू0 की लागत के उत्तराखण्ड नान टिम्बर फारेस्ट प्रोडयूस सेन्टर आफ एक्सीलेंस कम म्यूजियम एवं ट्रैनिंग सेन्टर (एन.सी.ई) का शिलान्यास आज सहस्त्रधारा रोड देहरादून में मा वन मंत्री दिनेश अग्रवाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उमेश शर्मा क्षेत्रीय विधायक रायपुर उपस्थित थे। इस सेन्टर का निर्माण कार्य उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम द्वारा किया जाएगा।सर्वप्रथम सेन्टर आफ एक्सीलेंस कम म्यूजियम एवं ट्रैनिंग सेन्टर का शिलान्यास विधि विधान से किया गया सेन्टर की नीव का पत्थर वन मंत्री श्री दिनेश अग्रवाल तथा विशिष्ट अतिथि उमेश शर्मा क्षेत्रीय विधायक द्वारा रखा गया। कार्यक्रम में वन मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में औषधियों का भण्डार है, जो राज्य की आर्थिकी को और अधिक मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड का कहना है कि नान टिम्बर फोरेस्ट प्रोडयूस को जन सहभागिता से गावों की आर्थिकी का प्रमुख संसाधन बनायें जिससे पलायन रोका जा सके। यह तभी संभव हो पाएगा जब पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर सृजित किया जायेगें। जिसके लिए वन पंचायतों की क्षमता का विकास कर आर्थिकी से जोड़ना आवश्यक है। उन्होने कहा कि फारेस्ट प्रोडयूस सेन्टर आफ एक्सीलेंस कम म्यूजियम एवं ट्रैनिंग सेन्टर (एन.सी.ई) के बनने से युवाओं एवं स्थानीय उद्यमियों को जागरूक एवं प्रशिक्षित कर स्वरोजगार के अवसर दिलायें व पलायन पर रोक लगाये। इससे प्रदेश के स्थानीय उत्पादों का अधिक मात्रा में उपयोग होने के साथ ही राज्य में रोजगार के अवसर सृजित होंगे। जिससे पहाड़ के युवाओं का पलायन रूकेगा। उन्होने आशा व्यक्त की है कि यह सेन्टर राष्ट्र के लिए माडल बने। उन्होने वन विभाग को इको टूरिज्म से जोड़ने की कार्य योजना तैयार करने पर बल दिया।
इस अवसर पर स्थानीय विधायक उमेश शर्मा ने मा मंत्री एवं उपस्थित अधिकारीगण का आभार व्यक्त किया तथा कहा कि फोरेस्ट प्रोडयूस सेन्टर आफ एक्सीलेंस कम म्यूजियम एवं ट्रैनिंग सेन्टर (एन.सी.ई) के निर्माण से प्रदेश एवं स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा तथा प्रदेश की आर्थिकी भी मजबूत होने के साथ ही भविष्य में अधिक रोजगार के पैदा होंगे। उन्होने कहा कि सेन्टर में विभिन्न पौंधो पर शोध उनके व्यवसायिक प्रबन्धन तथा उन्हे स्वरोजगार से जोड़ने की जानकारी भी दी जाये, जिसमें युवाओं को स्वरोजगार के अवसर के साथ पलायन पर रोक लगे।
इस अवसर पर अपर प्रमुख वन संरक्षक एस.टी.एस लेपचा ने बताया कि इस सेन्टर में म्यूजियम, ट्रेनिगं सेन्टर, लाइबे्ररी कक्ष विकसित किया जाएगा। जिसमें प्रदेश के युवा उद्यमियों को जोड़ा जायेगा। तथा इससे जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों के साथ युवा उद्यमियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होने बताया कि सेन्टर को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से जोड़ा जायेगा। उन्होने बताया कि भविष्य में इस आदर्श केन्द्र को बीजिंग (चाईना) स्थित बम्बू रतन सेन्टर से जोड़ा जायेगा, जिससे स्थानीय उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलायी जा सके। उन्होने कहा कि यह देश का पहला नान टिम्बर सेन्टर है, जहां पर क्षेत्रीय उत्पादों पर शोध करने के साथ ही उनके उत्पादन एवं उनकी विशेषताओं से लोगों को जागरूक किया जायेगा। जहां अधिकारियों के साथ स्थानीय उद्यमियों को भी दक्ष किया जायेगा। उन्होने यह भी बताया कि नान टिम्बर फारेस्ट प्रोडयूस सेन्टर खोलने की अनुमति 2005 में भारत सरकार को मिल चुकी है। तथा भविष्य में इसी सेन्टर को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर नान टिम्बर फारेस्ट प्रोडयूस सेन्टर आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा यकेगा।
इस अवसर पर सचिव वन पी के पात्रो, एम.डी सिडकुल राजेश कुमार, अपर मुख्य वन संरक्षक गढवाल गम्भीर सिंह, अपर प्रमुख वन संरक्षक मोनीष मलिक, मुख्य परियोजना निदेशक वन संसाधन प्रबन्धन परियोजना उत्तराखण्ड अनूप मलिक, निदेशक कार्बेट समीर सिन्हा, डी.एफ.ओ सुशांत पटनायक तथा डाॅ एस के गुप्ता, उत्तर प्रदेश राजकीय निमार्ण निगम के परियोजना प्रबन्धक अरविन्द तिवारी सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे।

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