देहरादून: हमें न केवल पुनःनिर्माण करना है बल्कि बेहतर निर्माण करना है। उŸाराखण्ड राज्य के पुनर्निर्माण प्रयासों की यही आधारभूत अवधारणा है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को उत्तराखण्ड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट, उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तत्वाधान में आयोजित अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘‘टेकलिंग द चेलेंज आॅफ स्लोप स्टेबलाईजेशन एंड लेंडस्लाईड प्रिवेंशन’’ का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड बादल फटने, भूकम्प, बाढ़ व वनों में आग जैसी घटनाओं की दृष्टि से अति संवेदनशील राज्य है। भारी बरसात व बादल फटने से भूस्खलन की समस्या गम्भीर है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार इस हिमालयी क्षेत्र में प्रति वर्ग किमी औसतन दो भूस्खलन होते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल हाईवे विशेषरूप से एनएच 58 हर साल क्षतिग्रस्त होता है। भूस्खलन की समस्या के निदान के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं। हम सड़कों व पुलों के निर्माण में बेहतर तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। उत्तराखण्ड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत बनाए जाने वाले मकानों में आपदारोधी विशेषताएं तो हैं ही, साथ ही ये भूवैज्ञानिक दृष्टि से भी सुरक्षित स्थानों पर स्थित हैं। ऐसी पहल उत्तराखण्ड में पहली बार की गई है। भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं का सटीक पूर्वानुमान करने के लिए केपेसिटी बिल्डिंग, डिजास्टर रिस्क मेनेजमेंट व अर्ली वार्निंग सिस्टम के लिए पृथक से प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेंशन यूनिट गठित की गई हैं। यह यूनिट सरकार की क्षमता बढ़ाने व जोखिम शमन के लिए कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्लोप स्टेबलाईजेशन के मुद्दे पर व्यापक चर्चा किए जाने की आवश्यकता है। हमें यह देखना होगा कि किस तरह से भूस्खलनों का पूर्वानुमान करते हुए हानि को न्यूनतम किया जा सकता है। हमने 43 अति संवेदनशील भूस्खलन क्षेत्र चिन्हित किए हैं जिनका उपचार किया जाना बहुत जरूरी है। हमें यह भी देखना होगा कि विश्व में किस तरह की नीतियां अपनाई जाती हैं जिनका उपयोग हमारे राज्य के संवेदनशील इकोसिस्टम के लिए किया जा सकता है। हमें सिरोबगड़, साकनीधार व लामबगड़ जैसे बार-बार होने वाले भूस्खलन क्षेत्रों के उपचार व स्थिरीकरण के लिए उच्च स्तरीय तकनीक का उपयोग करना होगा। मुख्यमंत्री ने विश्व बैंक,एशियाई विकास बैंक व जापान इंटरनेशनल कोपरेशन एजेंसी सहित विभिन्न देशों से आए प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की कि गोष्ठी से उभरने वाले विचार विशेषतौर पर उत्तराखण्ड के लिए लाभदायक होंगे।
इस अवसर पर सचिव अमित नेगी, आर मीनाक्षी सुंदरम, अपर सचिव दिलीप जावलकर, विश्व बैंक,एशियाई विकास बैंक व जापान इंटरनेशनल कोपरेशन एजेंसी सहित विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधि उपस्थित थे।