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उत्तराखण्ड की तृतीय विधान सभा का प्रथम सत्र 2015 कई मायनों में ऐतिहासिक रहा: मुख्यमंत्री

उत्तराखंड
देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विधानसभा में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की तृतीय विधान सभा का प्रथम सत्र 2015 कई मायनों में ऐतिहासिक रहा है। उन्होंने कहा कि इस सत्र में 51 घंटे 38 मिनट कार्यवाही चली है, जबकि 02 घंटे 18 मिनट का व्यवधान रहा है। इसी प्रकार से सदन में सदस्यों की भागदारी का औसत भी 95 प्रतिशत रहा है। सत्र में कुल 14 विधेयक पेश किये गये, जिनमें से 12 पास हुए, जबकि एक प्रवर समिति को भेजा गया और एक वापस लिया गया।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनो ने विधान सभा सत्र की कार्यवाही को जीवंत रखने का काम किया है। इस भावना को भविष्य में भी बनाये रखने का कार्य किया जायेगा। उत्तराखण्ड के लिए यह अच्छी बात है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आज जिस विधेयक को वापस लिया गया है, उसमें माननीय मंत्रीमण्डल व विधायकों द्वारा सुझाव दिया गया कि इस विधेयक में और अधिक सुधार किया जाये, ताकि अधिक से अधिक लोगो को लाभ मिल सके। इस विधेयक को और अधिक सुधार व सुझाव के साथ अप्रैल माह में आयोजित होने वाले दो दिवसीय विशेष सत्र में रखा जायेगा। बजट को लेकर हमने फाॅलोअप शुरू कर दिया है। वर्ष 2012 के मापदंड को लेकर चले तो इस वर्ष हमारा खर्च दोगुना रहा है। जिला योजना का गठन देर से होने के बाद भी 95 प्रतिशत खर्च का औसत रहा है।
 मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व बैंक व बाहय सहायतित परियोजनाओं के खर्च में हमारा रिकार्ड ठीक नही रहा है, हमारा प्रयास रहेगा कि इस वर्ष इसके खर्च की गति को और बेहतर बनाया जायेगा। राज्य का खर्च बढने से राज्य की आय बढ़ती है। हमने इस बार एक कदम और आगे बढ़ते हुए वर्ष 2015-16 के बजट को खर्च करने के लिए अप्रैल से ही तेजी लाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिये है। हमारा प्रयास होगा कि मार्च में खर्च करने की गति को सितम्बर व अक्टूबर में ला सके। हमने एक और निर्णय लिया है कि प्रत्येक विभाग निर्माण कार्यों के लिए बनने वाली 5 करोड़ रुपये तक की टी.एस.सी. योजनाओं का विभाग में ही सेल बनाया जाय। इससे स्वीकृति की गति को तेजी मिलेगी। हमने बजट में 2500 करोड़ रुपये को खर्च करने की कार्ययोजना बनायी है। इसके लिए हमने निर्णय लिया है कि प्रोजेक्ट बनाते समय तकनीक का उपयोग किया जाय, जिसमें कास्ट रिडयूश हो। हमने नये क्षेत्र भी चिन्हित किये है, कि अधिक पानी का उपयोग करने वालों पर टैक्स लगाया जायेगा। वन विभाग को ईको टूरिज्म के माध्यम से जोड़ा जाय, ताकि आय के साधन बने। हमने सामाजिक क्षेत्र में भी ऐतिहासिक निर्णय लिये है, इसके लिए बजट की कमी को नही होने दिया जायेगा। हमारा प्रयास है कि राज्य से पलायन को रोका जाय। हमने जो कार्ययोजना बनायी है, उसके अनुसार अगले चार वर्ष में पलायन को पूरी तरह से रोक दिया जायेगा।

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