देहरादून: बीजापुर में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य में विद्युत परियोजनाओं के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में पूरी मजबूती से हमने अपना पक्ष रखा है।
उत्तराखण्ड में जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर एक मिथक सा बना दिया गया है। यह कैसे हो सकता है कि उत्तराखण्ड के लिए अलग तर्क व नियम हो जबकि हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर सहित शेष भारत के लिए अलग नियम हो। जो नियम उत्तराखण्ड के लिए बनाया जाएगा वही पूरे भारत के लिए होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने उत्तराखण्ड को पर्यावरण की टेस्ट भूमि बना दिया है उनसे विनम्रता के साथ कहना चाहेंगे कि देश दुनिया को अमूल्य पर्यावरण सेवाएं देने वाले उत्तराखण्ड में पर्यावरण की रक्षा में योगदान बड़े-बड़े शहरों में रहने वालों का नहीं बल्कि यहां के गांवों में रहने वाले हमारे भाई बहिनों का है।
चारधाम यात्रा के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे लोग काम कर रहे हैं। 7-8 फीट की बर्फ में काम करने वालों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। केवल छिद्रान्वेषण करके लगातार काम कर रहे हमारे लोगों का मनोबल कम नहीं किया जाना चाहिए। हमने वैकल्पिक प्लान भी तैयार कर रखे हैं। चारधाम यात्रा को लेकर हमने पूरी तैयारियां कर रखी हैं। जिस दिन कपाट खुलेंगे उसी दिन से यात्रा भी प्रारम्भ हो जाएगी।
सरकारी आयोजनों में कटौति के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा राज्य इस समय भीषण कृषि संकट जूझ रहा है। हम अपने किसान भाईयों को हर सम्भव राहत पहुंचाना चाहते हैं। केंद्र से भी मदद का अनुरोध किया गया है यद्यपि उन्होंने राहत के मानकों को शिथिल नहीं किया है जिससे राहत राशि पर्याप्त नहीं होगी। इसलिए राज्य सरकार अपने स्तर पर काश्तकारों को सहायता उपलब्ध करवाने के लिए कोई कमी नहीं रखेगी। हमारी कोशिश है कि किसानों को इतनी मदद तो मिल ही जाए कि वे अपनी अगली फसल की तैयारी कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली दरें विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित की जाती है न कि राज्य सरकार द्वारा। वैसे अभी भी हमारे यहां बिजली दरें महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा से काफी कम है। भगवानपुर विधानसभा उपनिर्वाचन के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपना काम किया है और पूरा भरोसा है कि जनता अपना आर्शीवाद हमे देगी।
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