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प्रदेश के शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह पंवार द्वारा राज्य आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण एवं अपार्टमेंट एक्ट पर अधिकारियों के साथ विचार विमर्श करते हुए।

उत्तराखंड
देहरादून: प्रदेश के आवास एवं शहरी विकास, राजीव गांधी शहरी आवास योजना, पशुपालन, मत्स्य पालन, चारा एवं चारागाह विकास, नागरिक सुरक्षा, होमगार्ड एवं कारागार मंत्री उत्तराखण्ड सरकार प्रीतम सिंह पंवार ने आज विधानसभा स्थित सभागार में उत्तराखण्ड राज्य आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण का ढांचा, साडा, एवं एम.डी.डी.ए. का एकीकरण एंव अपार्टमेंट एक्ट, रेजिडेसिंयल, वेलफेयर सोसाइटी, आवास निति तथा होर्डिंग निति के विषय में विस्तार से चर्चा की गयी।

बैठक में उन्होंने कहा कि प्रदेश के अन्तर्गत आवास क्षेत्र के सुनियोजित विकास को गति दिया जाना आवश्यक है। जिससे उत्तराखण्ड के लोगों को जरूरतों के अनुरूप आसपास के क्षेत्र में रहने योग्य संरक्षित, मजबूत और टिकाऊ आवास की व्यवस्था हो सके। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि ग्रामीण व शहरी विकास केन्द्रों के टिकाऊ एवं संतुलित विकास को प्रोत्साहित करें और आवास क्षेत्रों के आस पास रोजगार के अवसरों को भी बढावा दिया जाय। उन्होंने कहा कि समाज के अल्प सुविधा प्राप्त, गरीबी रेखा के नीचे के वर्ग एवं दूर-दराज क्षेत्रों के नागरिकों को वित्तिय सहायता/ऋण उपलब्ध कराने हेतु वित्तिय संस्थानों एवं स्वयं सहायता समूह जैसी संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जाय।
बैठक में उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण के प्रस्तावित ढाॅचें में विभिन्न पदों पर भी चर्चा कि गयी जिसमें मुख्य प्रशासक से लेकर अनुसेवक के पदों तक संसोधित पद 116 पदों पर मंत्री जी द्वारा संस्तुति दी गयी।
उन्होंने बैठक में कहा कि ट्राॅंसपोर्ट प्लैनर तथा लैण्ड स्कैप प्लानर के पदों को यदि आवश्यकता हो तो आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती करने के निर्देश दिये।
बैठक में वेलफेयर सोसाईटी एवं होर्डिंग निति पर भी विचार विमर्श किया गया जिसमें मुख्य नगर अधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाये जिसमें ट्रैफिक पुलिस एवं लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी मौजूद हो उक्त कमेटी तय करे कि कौन-कौन से स्थल उपयुक्त हंै जहाॅं होल्डिंग लगाये जा सकते हैं। स्थान चयन के पश्चात ही टेण्डर प्रणाली अपनाई जाये, किसी भी प्राईवेट स्थान पर होल्डिंग लगाना स्वीकार नहीं किया जायेगा। मंशा यही है कि शहर स्वच्छ एवं साफ सुधरा हो।
बैठक में अपार्टमेंट एक्ट पर भी विस्तार से चर्चा हुई जिसमें मा0 मंत्री जी ने कहा कि उत्तराखण्ड कृषि प्रधान राज्य है। आवास प्रयोजनों के लिये अधिक से अधिक उपजाऊ भूमि का प्रयोग करना हितकर नहीं है, जिससे अन्तोगत्वा अनाज उत्पादन प्रभावित होगा। भूमि के प्रयोग में और पूंजी लागत में मितव्ययी होकर आवास की समस्या का हल खोजा जाये। इस प्रयोजन के लिए सामूहिक आवासीय विकास व्यवस्था का उन्नयन करना होगा। साझा क्षेंत्रों में अविभाजित हित वाले भवन में निजि अपार्टमेंट का स्वामित्व देने के लिए और ऐसे अपार्टमेंट से सम्बन्धित सुविधाएॅं और ऐसे अपार्टमेंट को बनाने के लिये और उसके हित वंशानुगत और अन्तरणीय करने के लिये कानून बनाया जाय। जिसे कैबिनेट की अगली बैठक में लाने के निर्देश मंत्री जी द्वारा आवास सचिव को दिये।
बैठक में सचिव शहरी विकास डी.एस.गब्र्याल ने अपार्टमेंट एक्ट के मुख्य-2 बिन्दु बैठक में रखे उन्होंने अवगत कराया कि प्रत्येक प्रमोटर, जो कि अपार्टमेन्ट विक्रय करेगा, को प्रोस्पेक्टस में भूमि के क्षेत्रफल सहित कितने भाग मे निर्माण होगा और क्या-क्या सुविधायें क्रेता को उपलब्ध करायी जायेंगी का विवरण अंकित करना आवश्यक होगा। सम्बन्धित प्राधिकरण/विनियमित क्षेत्र में प्रचलित मानकों के अनुसार निर्माण करायेगा। सभी सही तथ्यों को अंकित करना होगा।
प्रत्येक प्रमोटर को अपार्टमेन्ट पूर्ण करने की अवधि बतानी होगी, निर्धारित अवधि तक पूर्ण न कर पाने की स्थिति में के्रता को सस्ति  को भुगतान करना होगा। प्रमोटर विज्ञापन का प्रकाशन प्राधिकरण की सहमति प्राप्त करने के उपरान्त ही करेगा। प्राधिकरण की एन.ओ.सी. प्राप्त होने के उपरान्त ही विज्ञापन का प्रकाशन किया जा सकेगा।
सम्बन्धित प्राधिकरण से पूर्णता का प्रमाण पत्र प्राप्त होने के उपरान्त ही क्रेता को भवन अन्तरित किया जायेगा। पूर्णता का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के उपरान्त अपार्टमेन्टस का भौतिक कब्जा आवंटियों को उपलब्ध कराया जायेगा। कामन एरिया का विक्रय नहीं किया जायेगा तथा योजना के दस्तावेजों की मूल प्रति अपार्टमेन्ट स्वामी संघ को उपलब्ध करायेगा।
अपार्टमेन्ट और उनसे सम्बन्धित सम्पत्ति और साक्षा क्षेत्रों और सुविधाओं के प्रबन्ध से सम्बन्धित क्रियाकलापों के प्रशासन के लिए अपार्टमेंट स्वामियों का एक संघ बनाया जायेगा। प्रमोटर एवं अपार्टमेंट स्वामियों का यह संयुक्त दायित्व होगा कि वे संघ बनायें।
प्राधिकरण/विनियमित क्षेत्र द्वारा स्वीकृत योजना में विचलन करने एवं इसका दोष सिद्ध होने पर न्यूनतम 03 साल एवं अधिकतम 06 वर्ष का प्राविधान अथवा न्यूनतम 03 लाख का जुर्माना का भी प्राविधान है। यह ऐसे सभी अपार्टमेंन्ट पर लागू होगा, जिनमें पूर्णता का प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया गया है।
बैठक में सचिव शहरी विकास डी.एस.गब्र्याल, उपाध्यक्ष एम.डी.डी.ए.मीनाक्षी सुन्दरम, निदेशक शहरी विकास डाॅ0 षणमुगम, अपर निदेशक शहरी विकास नवनीत पाण्डे, उप सचिव शहरी विकास ओमकार सिंह, उप निदेशक शहरी विकास सुभाष गुप्ता, नगर नियोजक एम.डी.डी.ए. आर.जी.सिंह, सचिव एम.डी.डी.ए. बंशीधर तिवारी, अनु सचिव नरेन्द्र सिंह रावत सहित विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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