देहरादून:मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखण्ड के नौसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य को देश व दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने का आह्वान किया है। राज्य के चार धामों व यहा के रमणीय पर्यटन स्थलों के अतिरिक्त भी प्रकृति के कई पहलु ऐसे है, जो अभी पूरी दुनिया के सामने नही आ पाये है।
सोमवार को बीजापुर अतिथि गृह में प्रदेश के पूर्व मंत्री केदार सिंह फोनिया द्वारा लिखित पुस्तक ’’ट्रेवलर्स गाइड टू उत्तराखण्ड’’ का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने श्री फोनिया के प्रयासों को प्रदेश के व्यापक हित में रचनात्मक मार्गदर्शन देने वाला बताया। उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थलों व धार्मिक पर्यटन को देश व दुनिया के समक्ष अपनी किताबों के माध्यम से प्रस्तुत करने के प्रयासों की भी उन्होंने सराहना की।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि मंगलवार से चारधाम यात्रा आरम्भ हो रही है। 42 वर्षों के अन्तराल के बाद यह पहला अवसर है जब हमारे चार धाम बर्फ से लकदक है। अभी तक वहां पर जमी बर्फ ने इनकी खूबसूरती और बढा दी है। प्रकृति का यह नजारा अभी 10-15 दिन और रहे तो यहा आने वाले तीर्थ यात्री व पर्यटक इसकी खूबसूरती के नजारों को भूल नही पायेंगे। केदारनाथ, बदरीनाथ में प्रकृति का यह अद्भूत स्वरूप सभी के आकर्षण का केन्द्र बनेगा।
उन्होंने कहा कि चार धामों में सभी व्यवस्थाएं कर दी गई है। केदारनाथ, बदरीनाथ की व्यवस्थाओं को वे स्वयं देखकर आये है। गंगोत्री यमनौत्री की स्थिति का जायजा वे मंगलवार को स्वयं लेंगे। यात्रा मार्गों पर सड़क, बिजली, पानी, सुरक्षा, खाद्यान्न, स्वच्छता संबंधी सभी आवश्यक व्यवस्थाएं कर दी गई है। बदरीनाथ मार्ग पर लामबगड से आगे कुछ कठिनाई है उसे भी पट खुलने से पहले दूर कर दिया जायेगा। यात्रा मार्ग पर आने वाली हर समस्या का तत्परता के साथ निराकरण किया जायेगा। यात्रा सुचारू एवं सुरक्षित रूप से संचालित करने के लिए निरन्तर प्रभावी प्रयास जारी है।
उन्होंने कहा कि शीतकाल में भी दो माह यात्रा संचालित करने की व्यवस्था की जायेगी। इसका भी कार्यक्रम बनाया जायेगा। यात्रा स्थलों पर 400 प्रशिक्षित स्वयंसेवक तैनात है। 250 को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ए.एस.पी नवनीत भुल्लर को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रकृति में आ रहे बदलाव के कारण कार्यों में रूकावट न आए इसके लिए भी चरणबद्ध कार्ययोजना बनायी गई है।
इस अवसर पर पुस्तक के लेखक केदार सिंह फोनिया ने आपदा के बाद चार धाम यात्रा को पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री श्री रावत के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह मुख्यमंत्री का ही प्रयास रहा है कि विपरीत परिस्थितियों में केदारनाथ में निम व अन्य विभागों के कार्मिकों द्वारा पुनर्निर्माण कार्यों को गति प्रदान की। एमआई-26 हैलीकाप्टर द्वारा भारी निर्माण मशीनरी केदारनाथ पहुंचाई वहा की व्यवस्थाएं चाक चैबंद की। आज केदारनाथ में कई व्यवस्थाएं पहले से भी बेहतर हुई है। देश व दुनियां में सुरक्षित उत्तराखण्ड का संदेश पहंुचाने में भी मुख्यमंत्री सफल रहे है। उन्होंने कहा की इस पुस्तक में पूरे उत्तराखण्ड केपर्यटन रूवरूप को उजागर किया गया है। उनके द्वारा वर्ष 1977 से ऐसी पुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है। तथा उत्तराखण्ड के बारे में पूरी जानकारी पर्यटकों को उपलब्ध करायी जा रही हैं। यहा के तीर्थों के प्रति हर भारतवासी की आस्था रहती है। उनकी पहली पुस्तक ’’उत्तराखण्ड लैंड आफ जंगल टेम्पल एण्ड स्नोज’’ को ट्रेवल एजेंटो के साथ ही पर्यटको ने भी काफी सराहा है। उत्तराखण्ड को लोग स्वर्ग का द्वार भी मानते रहे है। सन् 1814 में अंग्रेजी लेखक स्किनर ने लिखा है कि उस समय 15 हजार लोग केदारनाथ आये थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने गढवाली फिल्म अन्जवाल की सीडी का भी विमोचन किया । उन्हेांने अपनी समृद्ध लोक संस्कृतिके संबर्द्धन के लिए इस प्रकार के प्रयासों की सराहना की । फिल्म को टैक्स फ्री करने के पहले ही निर्देश मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये थे।
इस अवसर पर पूर्व विधायक महेन्द्र भट्ट, गिरीश चन्द्र जुयाल, फिल्म के निर्माता मनीष वर्मा, डाॅ आर.के.वर्मा, संगीतकार संतोष खेतवाल सहित फिल्म के कलाकार आदि उपस्थित थे।
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